दो रमजानों दरमियान के गुनाह माफ गोरखपुर। तंबीहुल गाफिलीन में हजरत अअ़मश ,हजरते खैसमा सहाबी से नक्ल करते हैं एक रमजान दूसरे रमजान तक, एक हज दूसरे हज तक, और एक जुमअ दूसरे जुमाअ तक, एक नमाज दूसरे नमाज तक के गुनाहों का कफ्फारा बनते हैं। जबकि कबीरा गुनाहों से बचता रहे। दुर्रतुन नासिहीन में हजरते अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास से मरवी है कि पैगम्बर साहब ने इरशाद फरमाया कि जब रमजान शरीफ की पहली तारीख होती है तो अर्शे अजीम के नीचे से मसीरा नामी हवा चलती है जो जन्नत के दरख्तों के पत्तों को हिलाती है। इस हवा के चलने से ऐसी दिलकश आवाज बुलन्द होती है कि इस हवा के चलने से ऐसी दिलकश आवाज बुलन्द होती है िकइस से बेहतर आवाज आज तक किसी ने नहीं सुनी। हूरें अल्लाह की बारगाह में अर्ज करती हैं, या अल्लाह अपने बंदों में से हमारे लिए शौहर मुकरर्र फरमा। पस रमजान के रोजादारेां में से कोई ऐसा न होगा। जिसको उन हूरों में से एक हूर न मिले। उन हूरों के वास्ते सुर्ख याकूत से बना हुआ एक तख्त है, हर तख्त पर सत्तर फर्श हैं और सत्तर नेअमत के ख्वान मुख्तलिफ किस्म के खानों से भरे हुए है। ये सब नेअमत...
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जून, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
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बिछौना दुआएं देता है गोरखपुर। हदीस में है कि पैगम्बर ने इरशाद फरमाया कि मोमिन माहे रमजान में बेदार होता है और लेटे करवटे बदलता है, और अल्लाह के जिक्र में लगा रहता है । तो उस से फिरिश्ता कहता है उठ! अल्लाह तुझ पर रहम करे। फिर जब वो उठकर खड़ा होता है तो उसका बिछौना उसके लिए दुआ करता है ऐ अल्लाह इसको जन्नत के बेहतरीन बिछौना अता फरमा। और जब वो जूते पहनता है तो वो जूते उसके लिए दुआ करते है, ऐ अल्लाह ! इसको पुल सिरात पर साबित कदम रखना। और जब बरतन लेता है तो बरतन उसके लिए दुआ करता है, ऐ अल्लाह इसको जन्नत के बरतन अता फरमा। और जब वुजू करता है ंतो पानी उसके लिए दुआ करता है। ऐ अल्लाह! इसको गुनाहों और खताओं से पाक व साफ कर दे और अगर अल्लाह के सामने खड़ा होता है यानि नमाज पढ़ने लगता है तो उसके लिए काबा शरीफ दुआ करता है, ऐ अल्लाह! इसकी कब्र को मुनव्वर और कुशादा कर दे और अल्लाह उसकी तरफ नजर करता है और फरमाता है ऐ मेरे बंदे! तू जो कुछ दुआ माॅंगेगा मैं कुबूल फरमाऊॅगा। माहे रमजान के कद्र दानों और माहे रमजान में रेाजा रखकर उसकी रहमत भरी मुबारक साअ़तों से फैज उठाने वालो! आपको मुबार...