हाल-ए-गोरखपुर मदरसा - न वक्त से मानदेय न ड्रेस-किताब
सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। जब से उप्र में भाजपा की सरकार बनी है तब से मदरसा सुर्खियों में है। जांच दर जांच से गुजर रहे मदरसों में अभी तक न तो ठीक ढ़ंग से किताबें बंटी है और न ही मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों का मानदेय ही समय से मिल पा रहा है। जिस वजह से मदरसों में शिक्षा की रफ्तार धीमी पड़ गयी है। सरकार भले ही सबका साथ सबका विकास का दावा करें लेकिन मदरसे के हालात ठीक नहीं है। सरकार द्वारा अनुदानित मदरसों को मिलने वाली किताबों का वितरण अभी तक नहीं हो सका है जबकि मदरसे की छमाही परीक्षाएं होने वाली है। बच्चे बाजार से किताब खरीद कर या पुरानी किताबों से काम चला रहे हैं। अभी तक केवल चंद मदरसों को किताबें मिली हैं। वहीं छात्रों के ड्रेस के मद में पैसा तो आ गया है लेकिन वितरण अभी तक नहीं हो पाया है। अभी तक केवल एक मदरसे में ड्रेस वितरित हुआ हैं। बाकी मदरसों में नवम्बर माह में ड्रेस वितरण की संभावना है। मदरसों में जूता-मोजा व बैग वितरण की संभावना कम नजर आ रही है। गोरखपुर में केवल दस अनुदानित मदरसे हैं जिनमें करीब 4000 के करीब बच्चे तालीम हासिल कर रहे है। मदरसों को आधुनिक बनाने का दावा करने ...