मेले के लिए दूर-दूर से आते है व्यापारी

गोरखपुर। शाही इमामबाड़ा सिर्फ अपने इतिहास को लेकर ही खास नहीं है बल्कि देश का ऐसा इमामबाड़ा है जहां शिक्षा की अलख भी जगाई जाती है। दूर दराज से आए हुए मेहनतकशों के लिए इमामबाड़ा व्ययवासायिक पनाहगाह भी बना हुआ है। हर साल इमामबाड़ा स्टेट परिसर में मोहर्रम के अवसर पर लगने वाला मेला हर खासो आम को अपनी ओर खींचता है। मेले में स्आॅल लगाने के लिए दूर-दराज के व्यवसायी काफी पहले से ही अपना स्ािान सुरक्षित कराने की होड़ में रहते हैं तो स्थानीय लोग भी इस मेले के इंतजार में रहते है। हो भी क्यों न हरआम और खास की जरूरत को जो यह मेला पूरी करता है। सोमवार को शाही इमामबाड़े में अकीदतमंदों की भारी भीड़ उमड़ी। लोग रौशन अली शाह और सोेने-चांदी की ताजियों का दर्शन करने के साथ ही मेले में सामान की खरीदारी करते दिखें। महिलाओं व बच्चों कीसंख्या मेले में अधिक दिखी। देर शाम इमामबाड़ा पूरी तरह रौशनी में नहा उठा। देर रात तक यहां दुकानदार सारा माल बेचकर ही जाते है। दसवीं मोहर्रम के कई दिन बाद तक मेला चलता रहता है। मेले में क्राकरी की सबसे बड़ी दुकान लगाने वाले कहते है कि वह तेरह सालों से लगातार इस मेले में आते हैं मोहर्रम पर इस्तेमाल होने वाले सामानों के अलावा क्राकरी की अलग-अलग वेरायटी के प्लेट, चम्मच,टिफिन, हाटकेस सहित अन्य सामान सजाते है। सब बेचकर ही यहंा से जाते है। बहराईच, मुरादाबाद से आए log कहते हे हम इस मेले में आकर अच्छा कारोबार करते है।

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