
खजूर जन्नती फल
इस महीने में निजात आफत से हर मोमिन को हो
इस महीने में शयतीन कैद होतेे है तमाम
मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार के प्रिंसिपल हाफिज नजरे आलम कादरी ने बताया कि पैगम्बर साहब को चार चीजें बेहद महबूब थी। जिसे वह कभी तर्क नहीं करतें थे। एक सर्मा लगान, दूसरा इत्र लगाना, तीसरा इमामा शरीफ पहनना, चैथा मिस्वाक करना। रमजान माह में रोजेदार इन प्यारी सुन्नतों का खास ख्याल रखते है ।इन प्यारी सुन्नतों से रोजदारों को रूह को सुकून व इबादत में ताजगी मिलती है। इनका इस्तेमाल करने वालों के लिए खुदा के फरिशतें दुआएं करते है।
सुरमा लगाना नबी की मीठी मीठी सुन्नत है। जब आप सोेने लगते तो अपनी मुबारक आॅंखों में सुर्मा लगाया करते। हदीस में आया है कि नबी ने फरमाया इस्मद का सुर्मा डाला करो कि ये आॅंखों की रोशनी को बढ़ाता और पलकें उगाता है। इब्ने माजा की रिवायत है कि तमाम सुर्मों में बेहतर सुर्मा इस्मद है कि यह निगाह को रोशन करता और पलकें उगाता है। कहा जाता है कि इस्मद इस्फहान में पाया जाता है। उलमा-ए-किराम फरमाते है कि इसका रंग सियाह होता है और मश्रिकी मुल्कों में पैदा होता है। बहरहाल इस्मद का सुर्मा मयस्सर आ जाए तो यही अफजल है वरना किसी किस्म का भी सुरमा डाला जाए सुन्नत अदा हो जाएगी। हदीस में है कि नबी सोने से पहले हर आॅंख में सुर्मा इस्मद की तीन सलाईयाॅं लगाया करते थे।
इसी तरह नबी को खुशबू बेहद पसंद है और बदबू से आप को बहुत ही अजीयत होती है। लिहाजा आप हर समय मुअत्तर मुअत्तर रहते हैं। हदीस में आया है कि आप मुश्क सरे अकदस के मुकद्दस बालों और दाढ़ी मुबारक में लगाते। हदीस में यह भी आया है कि नबी खुशबू का तोहफा रद्द नहीं फरमातें थे। नबी ने फरमाया तीन चीजें कभी नहीं लैाटानी चाहिए तकिया, खुशबूदार तेल, और दूध।
इमामा शरीफ नबी की प्यारी सुन्नत है। नबी हमेशा सरे अकदस पर अपनी मुबारक टोपी पर इमामा मुबारका को सजाकर रखा। इमामा मुसलमानो का वकार और अरब की इज्जत है तो जब अरब इमामा उतार देंगे अपनी इज्जत उतार देंगे। नबी ने इमामा की तरफ इशारा करके फरमाया फरिशतों के ताज ऐसे ही होते है। इमामा बाधंने से बुर्दबारी बढेगी। टोपी पर इमामा हमारा ओर मुश्किरीन का फर्क है हर पेच पर कि मुसलमान अपने सर पर देगा उस पर रोजे़ कियामत एक नूर अता किया जाएगां। बेशक अल्लाअ और उसके फरिश्ते दुरूद भेजते हैं, जुमअ के इमामा वालों पर । इमामा के साथ नमाज दस हजार नेकियों के बराबर है। इमामा के साथ देा रक्अतें बगैंर इमामा की सत्तर रक्अतों से अफजल है।
हदीस में आया है कि नबी को चार चीजें पसंद है खतना करना, इत्र लगाना, मिसवाक करना, निकाह करना। हदीस में है कि नबी ने फरमाया कि मिसवाक का इस्तेमाल अपने लिए लाजिम कर लों क्योंकि इसमें मुहॅं की पाकीजगी और अल्लाह की खुशनूदी है। नबी ने फरमाया कि अगर मुझे अपनी उम्मत की मशक्कत और दुश्वारी का ख्याल न होता तो मैं इनकों मिसवाक करने का हुक्म देता। नबी ने फरमाया तुम अपने कपड़ों को धोओ ओर अपने बालों की इस्लाह करों और मिसवाक की जीनत और पकीजगी हासिल करों क्योंकि बनी इसराईल औरतों ने कसरत से जिना किया। सो कर उठने के बाद मिस्वाक करना सुन्नत है। सोने की हालत में हमारे पेट से बुखारात और गन्दी हवाएं मुहॅं की तरफ चढ़ जाती है जिसकी वजह से मुहॅं में बदबू और जाएके में तब्दीली हो जाती हैं । इस सुन्नत की बरकत से मुहॅं साफ हो जाता हैं। मिसवाक कुव्वते हाफिजा को बढा़ती है औ बलगम दूर करती है।मिसवाक इंसान की फसाहत में इजाफा करती है। मिसवाक में चैबिस खुबियां है । इनमें सब से बड़ी खूबी यह है कि अल्लाह राजी होता ह,ै मालदारी और कुशादगी पैदा होती है, मुहॅं मंे खुशबू पैदा हो जाती है, दर्दे सर को सूकुन होता है, दाढ़ का दर्द दूर होता है और चेहरे के नूर और दाॅंतो की चमक की वजह से फरिश्ते मुसाफह करते हैं। मिसवाक में दस खसलतें है। दांतो ंकी जर्दी खत्म होती करती है। आॅंखों की बीनाई को तेज और मसूढ़ों को मजबूत बनाती है।
पैगम्बर की महबूब गिजा खजूर
खजूर एक ऐसा सूखा फल है जो रमजान में हर खास व आम के दस्तरखान पर जरूर दिखाई देता हैं खजूर के बारे में पैगम्बर साहब ने फरमाया कि यह जन्नत का फल है। और इस में ज़हर से शिफा है। खजूर जो खुशाी का फल कहा जाता है और इसे अरब के देशों में हमेशा से मीठे के तैार पर इस्तेमाल किया जाता रहा है। कुरआन शरीफ में 20 से ज्यादा जगह खूजर और उसके पेड़ का जिक्र आता है। खजूर में ऐसे तमाम अनासक मौजूद है जिस की जरूरत रोजेदारों के जिस्मों को होती है। खजूर में साठ से सत्तर फीसदी शर्करा होती है। आयर, कैलशियम,पैाटेशियम, मैग्नीशियम, फॅास्फोरस, मैंग्नीज, तांबा जैसे पोषक तत्व होते हे। खजूर खाने से थकावट दूर होती है गुर्दे की शक्ति बढ़ती है। खजूर में बेहद आयरन होता है जो खून की कमी के मरीजों के लिए अच्छा होता है। लो ब्लड प्रेशर वालों के लिए भी बेहद फायदेमंद है। खजूर में मौजूद पौष्टीक तत्व रोजेदारों को दिनभर ताकत देते है और भूख की कमी को पूरा करते हैं । और अगले दिन के रोजे के लिए तैयार करतें है।
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