दरूद व सलाम पढ़ मांगी गयी अमन चैन व जुल्म से निजात की दुअा



-यौमे-ए-दरूद शरीफ


गोरखपुर। नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां पर शनिवार को रात्रि नमाज के बाद यौम-ए- दरूद शरीफ ( दरूद शरीफ डे) अदबों ऐहतराम के साथ मनाया गया। बुलंद आवाज से दरूद व सलाम का विर्द (पढ़ा) किया गया। दरूद व सलाम पढ़ रो-रो कर अमन चैन व जुल्म से निजात की दुअाएं मांगी गयी। पूरी दुनिया के मुसलमानों के जान, माल, इज्जत व आबरु की हिफाजत और अमन के लिए बंदों ने अल्लाह की बारगाह में झोली फैला कर फरियाद की। कार्यक्रम की शुरुआत तिलावते कलाम पाक से हुई। इसके बाद नात शरीफ हुई। उलेमा का बयान हुआ। दरूद व सलाम का विर्द बुलंद आवाज से करीब 20 मिनट तक किया गया फिर दुआओं का सिलसिला चला जो काफी देर तक जारी रहा। बताते चलें कि दुनिया में यौम-ए- दरूद शरीफ मनाया जा रहा हैं। इसी के तहत दरगाह पर कार्यक्रम आयोजित हुआ।


कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार के मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी ने कहा कि कुरआन शरीफ में अल्लाह फरमाता हैं कि "बेशक अल्लाह तआला और उसके फ़रिश्ते दरूद भेजते हैं उस गैब बताने वाले नबी (सल्लल्लाहौ अलैहि वसल्लम) पर ऐ ईमान वालो ! उन पर दरूद और सलाम भेजों"।

दरूद व सलाम एक ऐसी अनोखी और बेमिसाल इबादत है जो रज़ा-ए-इलाही और हजरत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहौ अलैहि वसल्लम से करीब होने का जरिया है | इस मक़बूल तरीन इबादत के ज़रिए हम बारगाह-ए-इलाही से बरकत हासिल करते हैं। दरूद शरीफ दुआ की कुबूलियत का जरिया हैं।  दरूद शरीफ़ के जरिए अल्लाह बंदों के ग़मों को दूर करता है | दरूद शरीफ तंग दस्त के लिए सदक़ा का जरिया हैं। दरूद शरीफ पढ़ने वाले को इस अमल की वजह से उसकी ज़ात, अमल, उम्र और बेहतरी के असबाब में बरकत हासिल होती है। दरूद शरीफ पढ़ने वाले से आप सल्लल्लाहौ अलैहि वसल्लम मुहब्बत फ़रमाते हैं |

उन्होंने कहा कि जो शख्स दरूद शरीफ़ को ही अपना वजीफ़ा बना लेता है अल्लाह उसके दुनिया और आखिरत के काम अपने ज़िम्मे ले लेता है | दरूद शरीफ़ पाक मजलिसों की ज़ीनत है । दरूद शरीफ़  तंगदस्ती को दूर करता है | दरूद शरीफ़ से आक़ा की मुहब्बत का जज़्बा और बढ़ता है | दरूद शरीफ़ पढ़नें वाले को किसी की मुहताजी नहीं होती। इसी वजह से आज पूरी दुनिया यौमे-ए- दरूद शरीफ मना रही हैं और दुनिया में मुसलमानों पर हो रहे जुल्म से निजात के लिए दुआएं मांग रही हैं।


विशिष्ट वक्ता मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि कोई इबादत ऐसी नहीं हैं जिसकी कुबूलियत का मुकम्मल यकीन हो, जबकि दरूद व सलाम एक ऐसी इबादत और नेक अमल है,  जो हर हाल में अल्लाह की बारगाह में मक़बूल है | इसी तरह तमाम इबादत के लिए खास हालत, समय, स्थान और कार्यप्रणाली का होना जरुरी है। जबकि दरूद व सलाम को जिस हाल में और जिस जगह भी पढ़ा जाए अल्लाह उसे कुबूल फरमाता है। यही वजह है आशिक़ाने मुस्तफ़ा सल्लल्लाहौ अलैहि वसल्लम अपनी तमामतर इबादत को अल्लाह  की बारगाह में पेश करते समय अव्वल व आख़िर दरूद व सलाम पेश करते हैं। अल्लाह अपने महबूब के  सदके हमारी बंदगी और इबादत को कुबूल फरमा लेता हैं। दुआ से पहले दरूद शरीफ पढने से दुआ की कुबूलियत का सबब है | इसीलिए पूरी दुनिया में एक वक्त दरूद शरीफ पढ़ दुआएं मांगी जा रही हैं। दरूद शरीफ़ पढ़ने वाला हर किस्म के खौफ़ से निज़ात पाता है | दरूद शरीफ़ पढ़ने से दुश्मनों पर फतह हासिल होती है। दरूद शरीफ़ पढ़ने वाले का दिल ज़ंग से पाक हो जाता है | दरूद शरीफ़ पढ़ने वाले शख्स से लोग मुहब्बत करते है | दरूद शरीफ पढ़ने वाले की मजलिस में बैठने लोग खुश होंगे| उन्होंने शेर पढ़ा-"ज़हां से जुल्मों तस्द्दुद के खात्मे के लिए ।। पढ़ें खुलूस से सुब्हो मशां दरूद शरीफ"।।


संचालन करते हुए दरगाह मस्जिद के  खतीब व इमाम मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने कहा कि हर दुआ उस वक़्त तक पर्दा-ए -हिजाब (छुपी) में रहती है जब तक हुज़ूर सल्लल्लाहौ अलैहि वसल्लम और आप सल्लल्लाहौ अलैहि वसल्लम के अहले बैत पर दरूद ना भेजा जायें | स्पष्ट है कि दरूद शरीफ उम्मत के लिए बख्शिश , मगफिरत, कुबूलियते दुआ, बुलंदी-ए-दर्जात और कुर्बे (क़रीबी) इलाही व कुर्बे (क़रीबी) मुस्तफ़ा सल्लल्लाहौ अलैहि वसल्लम का कारण बनता है। दरूद शरीफ़ गुनाहों का कफ्फारा है |एक बार दरूद शरीफ पढने वाले पर दस रहमतें उतरती हैं। उसके लिए दस नेकियां लिखी जाती हैं | उस के दस गुनाह मिटाए जाते हैं | दरूद शरीफ़ पढ़ने वाले की दुआ हमेशा क़ुबूल होती है। दरूद शरीफ़ पढ़ना दुनिया और आखिरत के हर दर्द व ग़म का वाहिद इलाज़ है |


इस दौरान दरगाह के मुतवल्ली इकरार अहमद, कारी शराफत हुसैन कादरी, मौलाना मोहम्मद असलम रजवी, मोहम्मद अहमद, रमजान अली, मोहम्मद सैफ, हाफिज मोहम्मद अशरफ रजा, मोहम्मद आजम, गुलाम मोहम्मद, कुतबुद्दीन, हाफिज मोहम्मद शहादत हुसैन, हाफिज मोहम्मद अजीम, हाफिज सलमान, हाफिज रहमत अली निजामी, नूर मोहम्मद दानिश, अब्दुल कादिर, एडवोकेट तौहीद अहमद, तनवीर अहमद, अतहर, इंजीनियर सेराज अहमद, मौलाना अयाज अहमद, शादाब अहमद सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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उर्स-ए-पाक में नगर निगम नहीं कर रहा सहयोग : मंजूर


गोरखपुर। नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद का सालाना उर्स-ए-पाक 20 जुलाई से शुरु हो रहा हैं। उर्स की तैयारियां परम्परागत रुप से ईदगाह प्रागंण में बड़े पैमाने पर हो रही हैं। उर्स-ए-पाक में दूरदराज के हजारों जायरीन शिरकत करते हैं। परंतु खेद का विषय हैं कि नगर निगम या अन्य संबधित विभाग की तरफ से जो सहयोग विगत वर्षों में मिलता रहा था उसका इस बार पूर्णत: अभाव हैं। यह बातें दरगाह के सेक्रेटरी मंजूर आलम ने विज्ञप्ति के माध्यम से कहीं। उन्होंने कहा कि दरगाह परिसर में जगह-जगह जलभराव हैं। सीवर की टंकी भरी हुई हैं। पानी लगने से कई जगह कीचड़ व गड्ढे हो गए हैं। उन्होंने नगर निगम से मांग की हैं कि उक्त समस्या पर तत्काल काम शुरु करें और इंडिया मार्को हैंडपम्प लगवा दें। ताकि जायरीनों को उर्स-ए-पाक में दुश्वारियों का सामना न करना पड़ें।



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