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सीएम के शहर में छह जगहों से दिया जाता है 'फतवा'

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गोरखपुर। फतवों को लेकर पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है। हर बार दरगाह आला हजरत बरेली व दारुल उलूम देवबंद सहारनपुर से निकलने वाले फतवों से सियासी गर्माहट तेज हो जाती है। वहीं बहुत कम लोगों को पता है कि सीएम के शहर में एक नहीं छह जगहों से 'फतवा' दिया जाता है। मदरसा अंजुमन इस्लामियां खूनीपुर में कायम दारुल इफ्ता से मुफ्ती वलीउल्लाह, मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार से मुफ्ती अख्तर हुसैन अजहर मन्नानी, जामिया रजविया मेराजुल उलूम चिलमापुर से मुफ्ती खुर्शीद अहमद मिस्बाही, शम्सी दारुल इफ्ता तुर्कमानपुर से मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी, दारुल इफ्ता जामा मस्जिद उर्दू बाजार से मुफ्ती अब्दुल्लाह गाजीपुरी मजाहिरी, दारुल इफ्ता वल इरशाद वजीराबाद कालोनी से मुफ्ती मो. मतीउर्रहमान कासमी फतवा देते है। 'फतवा' पूछने के लिए कोई शुल्क नहीं लगता है। मदरसा अंजुमन इस्लामियां खूनीपुर में कायम 'दारुल इफ्ता' सबसे पुराना है।  उक्त जगहों से निकलने वाला 'फतवा' मुसलमानों में कद्र की निगाह से देखा जाता है। मुसलमान मजहबी मामलात में इन 'फतवों' पर अमल भी करते हैं। मजहबी मामलात के अ...

Gorakhpur - मदरसा शिक्षक मानदेय रोके जाने के विरोध में काली पट्टी बांध कर दे रहे शिक्षा

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गोरखपुर। केंद्र पुरोनिर्धारित मदरसा (एसपीक्यईएम) आधुनिकीकरण योजना के तहत जिले के करीब 168 मदरसों में तैनात करीब 504 शिक्षकों का 2 से 3 साल का मानदेय बकाया है। कई माह से राज्यांश भी नहीं मिला है। शब-ए-बारात, रमजान व ईद में भी न केंद्रांश मिला न राज्यांश। सरकार के रवैये के विरोध में शिक्षक बांह पर काली पट्टी बांधकर शिक्षण कार्य कर रहे हैं। प्रदेश भर के शिक्षक आने वाली 23 जुलाई को लखनऊ के इको गार्डन में धरना देंगे। जनपद से भी बड़ी संख्या में शिक्षक लखनऊ धरने में शामिल होने जायेंगे। शिक्षक मोहम्मद आजम ने बताया कि  शिक्षकों का दो व तीन साल का मानदेय केंद्र सरकार ने जारी नहीं किया है। कई माह से राज्यांश भी नहीं मिला है। जिंदगी चलाना बहुत मुश्किल हो गया है। मदरसों में आधुनिक शिक्षा की वकालत करने वाली केंद्र व प्रदेश सरकार के कथनी और करनी में काफी अंतर देखने को मिल रहा हैं। दोनों सरकारें मदरसों में आधुनिकीकरण शिक्षा को बढ़ावा देने की बात तो करती हैं लेकिन मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों को मानदेय देने में हीलाहवाली कर रही है। शिक्षिक गौसिया सुम्बुल ने बताया कि आधुनिकीकरण शिक्षकों पर ...

Gorakhpur - 18 फीसदी जीएसटी का अतिरिक्त बोझ लेकर हज यात्रियों का बड़ा काफिला 28 को होगा सऊदी अरब रवाना

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- हज यात्री दो हजार रुपया बेझिझक सऊदी अरब साथ ले जा सकते हैं -हज यात्री 20 व 22 जुलाई और 1 व 2 अगस्त को भी रवाना होंगे सऊदी अरब गोरखपुर। मुकद्दस हज के सफर की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है वैसे-वैसे हज यात्रियों में अल्लाह के घर काबा शरीफ, पैगम्बर-ए-इस्लाम के रौजा-ए-मुबारक व मुकद्दस मकामात के जियारत की तड़प बढ़ती जा रही है। तैयारियां एकदम मुकम्मल हैं।  दोस्त, रिश्तेदार व पड़ोसियों से मिलने मिलाने का सिलसिला जारी है। हज यात्रियों से लोग खास दुआ की दरख्वास्त कर रहे हैं। मुकद्दस हज के सफर लिए 14 जुलाई से हज यात्रियों का काफिला मक्का-मदीना रवाना होने लगा है। भारत से इस बार एक लाख 75 हजार यात्री बिना सब्सिडी के हज पर जा रहे हैं। इतना ही नहीं 18 फीसदी जीएसटी का अतिरिक्त बोझ लेकर यह यात्री सऊदी अरब पहुंच रहे हैं। सरकार द्वारा हज पर पहली बार 18 फीसदी जीएसटी लगाने से हाजियों पर हज किराया का बोझ बढ़ा है। इस बार अजीजिया कैटगरी में प्रति हज यात्री करीब  241608 रुपया व ग्रीन कैटगरी में प्रति हज यात्री करीब 267850  रुपया खर्च आ रहा है। इस वर्ष से सरकार ने हज सब्सिडी बंद कर दी है। ज...

गोरखपुर में 1967 से विवाद निपटा रही दारुल कजा

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 मुफ्ती वलीउल्लाह सुनाते हैं फैसला 1984 में बिहार से आए काजी दारुल मुजाहिदुल ने दारुल कजा की दस्तावेजी प्रक्रिया प्रदान की गोरखपुर। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड 15 जुलाई को देश में दारुल क़ज़ा की संख्या बढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर चर्चा करेगा। उधर गोरखपुर में दारूल कजा 1967 से सेवाएं प्रदान कर रहा है। 84 वर्षीय शहर-ए-काजी मुफ्ती वलीउल्लाह शरीयत की रोशनी में दारूल कजा में फैसले सुनाते हैं। हालांकि अब दारूल कजा में तीन से चार मामले ही हर महीने पहुंचते हैं। मुफ्ती वलीउल्लाह को उम्मीद है कि मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और शहर के मौजिज लोग आगे आए तो दारुल कजा में ज्यादा से ज्यादा विवादों को सुलह सफाई से निपटारा किया जा सकता है। उन्हें न केवल कुछ सहयोगी मिल जाएंगे बल्कि त्वरित न्याय की संकल्पना भी साकार होगी। शहर-ए-काजी मुफ्ती वलीउल्लाह कहते हैं कि मुसलमानों के मसायल के सिलसिले में कोई बेंच नहीं है। मुसलमान को मुसलमान कहने के लिए महजबी वे काम जो हदीस और कुरान से हर मुसलमान के जिम्मे लगा है, उस से हट कर मुसलमान, मुसलमान नहीं रहेगा। इसलिए मुसलमानों को अपने मजहब पर रहने के लिए दारु...