हयाते मंज़ूर सिर्फ किताब नहीं जिंदगी गुजारने का सलीका


 विमोचन 


गोरखपुर । मोहल्ला जाफरा बाजार के निकट मौजूद मस्जिद के पूर्व इमाम मरहूम काज़ी मंज़ूर अहमद बड़ी शख्सियत के मालिक थे। जो सभी समुदाय के लोगो में प्यार बांटते थे । सब के दुख-सुख में शरीक होते और दुआ करते थे।हयाते मंजूर सिर्फ एक किताब नहीं जिंदगी का गुजारने का सलीका  हैं। 
यह बातें शहर काजी वलीउल्लाह ने  इलाहीबाग ताज पैलेस में आयोजित हयाते मंजूर किताब के विमोचन के मौके पर कही।
इस मौके पर मौलाना नसरुल्लाह ,हकीम जुनेद आलम ,डॉ दरखशा ताज्वर ,अब्दुल मालिक, मक़सूद अहमद, हाश्मी शिब्ली, आब्दी आरिफ , आब्दी काजमी, युसूफ वहाब आदि मौजूद रहे।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

*गोरखपुर में डोमिनगढ़ सल्तनत थी जिसे राजा चंद्र सेन ने नेस्तोनाबूद किया*

*गोरखपुर के दरवेशों ने रईसी में फकीरी की, शहर में है हजरत नक्को शाह, रेलवे लाइन वाले बाबा, हजरत कंकड़ शाह, हजरत तोता-मैना शाह की मजार*

जकात व फित्रा अलर्ट जरुर जानें : साढे़ सात तोला सोना पर ₹ 6418, साढ़े बावन तोला चांदी पर ₹ 616 जकात, सदका-ए-फित्र ₹ 40