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आजम खाॅन का तानाशाही रवैया बर्दाश्त नहीं : मौलाना कुतबुद्दीन

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आॅल इण्डिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिस-ए-अरबिया गोरखपुर ईकाई की बैठक गोरखपुर। आॅल इण्डिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिस-ए-अरबिया गोरखपुर ईकाई की बैठक सोमवार को मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार में हुई। अध्यक्षता कुतबुद्दीन निजामी ने व संचालन कारी मोहम्मद अनीस ने की। बैठक में मदरसा शिक्षा परिषद् द्वारा संचालित मुंशी, मौलवी, आलिम, कामिल व फाजिल की परीक्षाओं के सबंध में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद आजम खान द्वारा दिये गये आदेश कि मदरसा बोर्ड की परीक्षाएं राजकीय इंटर कालेजों में होगी। बैठक में इसका घोर विरोध किया गया। हाफिज नजरे आलम कादरी ने कहा कि मदरसें की बोर्ड परीक्षाएं मदरसों में ही होनी चाहिए किसी अन्य इंटर कालेज में परीक्षा होने पर मदारिसों की तौहीन है। मदारिस इंताजिमया इसे किसी भी सूरत मंे बर्दाश्त नहीं करेंगें। मौलाना शौकत अली नूरी ने कहा कि मदरसा बोर्ड की परीक्षाएं शासन व प्रशासन की पूरी निगरानी में होती है, ऐसे में यह आरोप लगाना कि मदरसों में नकल होती है बहुत गैर जिम्मेदाराना बयान है। मौलाना मोहम्मद सिद्दीकी ने कहा कि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री का यह बयान मदारिस-ए-अरबिया मानने केा ...

तो यह साल 366 दिनों का है

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गोरखपुर। चार साल बाद वर्ष 2016 में 366 दिन पड़ेगे। चौकं गए, चौकना भी लाजिमी है। जनाब बचपन से सुनते आए है कि वर्ष 365 दिनों का होता है लेकिन चार साल बाद पूरे साल में 366 दिन पड़ते है। यह होता है फरवरी मंे 29 दिन पड़ने की वजह से। यानी इस साल घूमने फिरना सहित तमाम प्लानिंग मंे एक दिन का इजाफा मिलेगा। यह सब मुमकिन हुआ अंग्रेजी कैलेण्डर की वजह से। जिसमें फरवरी 28 दिनों की होती है। लेकिन चार साल के अंतराल बाद फरवरी मंें एक दिन का इजाफा हो जाता है इसलिए पूरा 366 दिनों का हो जाता है। लेकिन जिन लोगों के जन्म या शादी 29 फरवरी को होती है उन्हें जन्मदिन व सालगिरह मनाने में चार का इंतेजार करना पड़ता है।

आजम खां के फैसले से मदरसों में उठे विरोध के सुर

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उ. प्र. मदरसा बोर्ड की परीक्षाएं राजकीय स्कूलों में कराये जाने से नाराजगी 24 फरवरी को लिया गया फैसला मदरसो के प्रधानाचार्याे व प्रबंधकों की बैठक 29 फरवरी को गोरखपुर। उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड द्वारा संचालित परीक्षाएं अब प्रदेश में स्थित राजकीय इण्टर कालेजों और राजकीय हाई स्कूलों को परीक्षा केन्द्र बनाकर वहीं संचालित की जायेंगी। यह निर्णय 24 फरवरी को विधान भवन में प्रदेश के नगर विकास एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद आजम खाँ की अध्यक्षता में आयोजित माध्यमिक शिक्षा परिषद तथा मदरसा शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों की बैठक में लिया गया। उक्त फैसले के विरोध में सुर उठने लगे है। कई जिलों में बैठके हुई है। आल इण्डिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया गोरखपुर शाखा के तत्वावधान में मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया इमामबाड़ा दीवान बाजार में 29 फरवरी को अपराह्न 1 बजे से बैठक होगी। जानकारी देते हुए एसोसिएशन के जिला महासचिव हाफिज नजरे आलम कादरी ने बताया कि बैठक में जनपद के समस्त अनुदाानित, गैर अनुदानित एवं आलिया स्तर के मान्यता प्राप्त मदरसों के प्रधानाचार्य एवं प्रबधंक भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि मदरसों के स...

गजल हिन्दुस्तानी औरत की तरह: प्रो. वसीम बरेलवी उर्दू के फरोग के लिए बेटियों को उर्दू जरूर पढ़ाए

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सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। मशहूर शायर प्रोफेसर वसीम बरलेवी ने गजल, उर्दू, शेर व शायरी पर खुल कर अपने सोच को बयां किया। मुशायरे व कवि सम्मेलन में शिरकत करने आए प्रो. वसीम ने गजल पर कहा कि इसकी लोकप्रियता दिन बा दिन बढ़ती चली जा रही है। गजल के शायरी कहने की ऐसी विधा है जिसे कोट किया जाता है। कोटबीलिटी जितनी गजल में पायी जाती है। उतनी किसी और जुबान व विधा के पास ये चीज नहीं पायी जाती है। गजल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसने अपने को हिन्दुस्तानी औरत की तरह हालात व माहौल के मुताबिक ढ़ालने की ऐसी अजीबो गरीब सलाहियत है जो हिन्दुस्तानी औरत के पास मय्यसर है। जिस तरह वह बाप के पास रहती है तो बेटी बनकर, पति के पास बेगम व उनके बच्चे की मां बनकर। ठीक उसी तरह गजल के मुख्तलिफ रूप है। जहां-जहां जाती है। माहौल के हिसाब से ढ़ाल लेती है। जो हिन्दुस्तान और उसके मिजाज का हिस्सा है। इसकी मकबूलियत का सबसे बड़ा राज यहीं है। उर्दू के सिमटने के सवाल पर बोले इसके लिए हम खुद जिम्मेदार है। उर्दू घरानों में उर्दू से दिलचस्पी की कमी हुई है। हम लोग इतनी मीठी जुबान की हिफाजत अपने घरों में नहीं कर पा रहे है। ये हमारे ...