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'शरीयत' 14 सौ साल पुराना आज का सबसे ज्यादा मार्डन नियम : डा. अजीज अहमद

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'शरीयत' 14 सौ साल पुराना आज का सबसे ज्यादा मार्डन नियम : डा. अजीज अहमद "समान नागरिक संहिता क्यों" पर विचार गोष्ठी गोरखपुर। इस वक्त का अहम तरीन मसला समान नागरिक संहिता की शक्ल में हमारे सामने हैं।क्या हिन्दुस्तान के विविधता लिए हुए  सामाजिक ढ़ाचें में ऐसा मुमकिन हैं। अगर नहीं तो इस बहस को छेड़ने का मकसद क्या हैं? इन्हीं विषयों पर तबादला खैर(विचार विमर्श) करने के लिए स्टूडेंट इस्लामिक आर्गनाइजेशन (एसआईओ) की जानिब से शहर में  एक सेमिनार "समान नागरिक संहिता क्यों"  बेनीगंज स्थित दुल्हन मैरेज हाउस में रविवार को आयोजित हुआ। जिसमें ईसाई धर्म के विद्वान अरुण प्रकाश ने कहा कि इस्लामी कानून(शरीयत) की बहुत अच्छाई हैं।इसी कानून के जरिए अभी सऊदी राजकुमार को हत्या के लिए फांसी दी गयी। शरीयत बहुत सी ऐसी चीजें हैं जिन्हें आगे बढ़ाया जा सकता हैं। हमारा देश विभिन्न धर्म व संप्रदाय से मिलकर बना हैं। भारत जैसे देश में किसी एक धर्म के नियम को समाप्त कर पाना मुश्किल हैं। ईसाई समाज में शादी, तलाक, आराधना के नियम हैं अगर कोई सरकार इसमें हस्तक्षेप करती हैं तो हमें अच्छा नह...

आईये करबला चले...तीन दिन के भूखे प्यासे...हुसैन शाह हैं बादशाह हैं हुसैन दीन हैं

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आईये करबला चले...तीन दिन के भूखे प्यासे...हुसैन शाह हैं बादशाह हैं हुसैन दीन हैं जिक्रे शोहदाए करबला करबला की दोपहर के बाद रिक्कत अंगेज दास्तां सुनन से पहले एक लरजां खेज और दर्दनाक मंजर निगाहों के सामने लाइए। सुबह से दोपहर तक खानदाने नुबुवत के तमाम चश्मों चिराग व जुमला आवान व असांर एक करके शहीद हो गये। नजर के सामने लाशों के अंबार है,उनमें जिगर के टुकड़े भी है और आंख के तारे भी भाई और बहन के लाडले भी हैं, और बाप की निशानियां भी, इन बेगोरों कफन जनाजां पर कौन आसूं बहाये। तन्हा एक हुसैन रजियल्लाहु अन्हु और दोनों जगह की उम्मीदों का हुजूम। उन्होंने आगे कहा कि नाना जाना की शरीअत के मुहाफिज हजरत इमाम हुसैन सर से कफन बांध कर जंग में जाने के लिए निकल पड़ते है। अपने नाना जाना नबी-ए-पाक का अमामए मुबारक सर पर बांधा। सैयदुश्शुहदा हजरत अमीर हमजा रजियल्लाहु अन्हु की ढाल पुश्त पर रखी। शेरे खुदा हजरत सैयदुना अली रजियल्लाहु अन्हु की तलवार जुलफिकार गले में हमाइल की और हजरत जाफर तय्यार रजियल्लाहु अन्हु का नेजा हाथ में लिया। ओर अपने बिरादरे अकबर इमाम हसन रजियल्लाहु अन्हु का पटका कमर में बांधा। इस तरह...

दसवीं मुहर्रम कोई मामूली दिन नहीं, मुहर्रम की दस तारीख को जमीन पर पहली बारिश हुई, कयामत भी इसी दिन, और क्या-क्या हुआ जानने के लिए जरुर पढ़े

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दसवीं मुहर्रम कोई मामूली दिन नहीं, मुहर्रम की दस तारीख को जमीन पर पहली बारिश हुई, कयामत भी इसी दिन, और क्या-क्या हुआ जानने के लिए जरुर पढ़े फजाइले आशूरह यानी दसवीं मुहर्रम के अहम वाकयात सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। खुदावन्दे कुद्दूस अपने मुकद्दस कलाम पाक में इरशाद फरमाता है बेशक महीनों की गिनती अल्लाह के नजदीक बारह महीने है। अल्लाह की किताब में जबसे उसने आसमान व जमीन बनाए उनमें से चार हुरमत (ज्यादा इज्जत एवं इबादत करने) वाले है। उन ही हुरमत वाले महीनों में माहे मुहर्रम भी शामिल है । इस महीने की दसवीं तारीख जिसे आशूरह के नाम से याद किया जाता है दुनिया की तारीख में इतनी अजमत व बरकत वाला दिन है कि जिसमें खुदा की कुदरतों और नेमतों की बड़ी-बड़ी निशानियां जाहिर हुई । उसी दिन हजरत आदम की तौबा कुबूल हुई। हजरत इदरीस व हजरत ईसा आसमान पर उठाए गये। हजरत नूह की कश्ती तुफाने नुह में सलामती के साथ जुदी पहाड़ पर पहुंची उसी दिन हजरत इब्राहीम की विलादत हुई। हजरत यूनुस मछली के पेट से जिन्दा सलामत बाहर आए। अर्श व कुर्सी, लौह व कलम, आसमान व जमीन, चॉंद व सूरज, सितारे व जन्नत बनाए गए। हजरत युसूफ गहरे कुंए स...

दसवीं मुहर्रम को नहा लिया तो यह सारी बीमारी दूर

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दसवीं मुहर्रम को नहा लिया तो यह सारी बीमारी दूर मुहर्रम की दस तारीख को गुस्ल जरूर करें। क्योंकि उस रोज जमजम का पानी तमाम पानियों में पहंचता है। मुसन्निफे तफसीर नईमी अलैहिर्रहमः फरमाते है आशूरह के दिन गुस्ल करने वाला साल भर बीमारियों से महफूज रहेगा।मुहर्रम की दस तारीख को जो शख्स सुरमा लगाए तो इंशाअल्लाह साल भर उसकी आंख नहीं दुखेगी। *Mufasir Shaheer Hakeem-ul-Ummat Mufti Ahmed Yar Khan Naeemi رحمت اللہ تعالی علیہ fermaty hain k 9th aur 10th moharam ka rooza rukhney ka bohat sawab hai. Baal bachon k liay khoob achy achy khaney pakaey tou انشاء الله عزوجل sara saal gher main berkat rahy gi.* *Eshi tareekh(10th moharam) ko ghussal kary tou tamam saal انشاء الله عزوجل beemariyon sey aman main rahy ga, kyun k es din aab-e-Zam zam tamaam paniyon main pohanchta hai".* *(Roohul Bayan, V:4, Page:142)* واللہ تعالی اعلم ورسولہ اعلم عزوجل و صلی اللہ علیہ وسلم جزاك الله خيرا

जानिए नौवीं व दसवीं मुहर्रम का रोजा रखने की फजीलत

नौवीं व दसवीं मुहर्रम का रोजा जरुर रखें गोरखपुर। मुफ्ती अजहर शम्सी ने बताया कि नौवीं और दसवीं मुहर्रम दोनों दिन रोजा रखना चाहिए। इसकी बहुत फजीलत है। हजरत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास से रिवायत है कि रसूल ए पाक जब मदीना तशरीफ लाए तो यहूदियों को आशूरह के दिन रोजा रखे हुए देखा। आप ने उनसे फरमाया यह कैसा दिन है कि जिसमें तुम लोग रोजा रखते हो? उन्होंने कहा यह वह अजमत वाला दिन है जिसमें अल्लाह ने हजरत मूसा और उनकी कौम को फिरऔन के जुल्म से निजात दी और उसको उसकी कौम के साथ डुबो दिया। हजरत मूसा ने उसी के शुक्रिया में रोजा रखा। इसलिए हम भी रोजा रखते हैं। रसूल ने फरमाया हजरत मूसा की मुवाफिकत करने में तो तुम्हारी बनिस्बत हम ज्यादा हकदार है। चुनांचे हुजूर ने खुद भी आशूरह का रोजा रखा और सारी उम्मत को उसी दिन रोजा रखने का हुक्म दिया। मुसनद इमाम अहमद अैार बज्जाज में हजरत इब्ने अब्बास से मरवीं हैं कि रसूल ने फरमाया यौमे आशूरह का रोजा रखो और उसमें यहूद की मुखालफत करो। यानि नौवीं और दसवीं मुहर्रम दोनों दिन रोजा रखों। *"Mufti Ahmed Yar Khan Naeemi رحمت اللہ تعالی علیہ fermaty hain:* 1)-Moharam ki 9t...

जानिए क्यों पकाते हैं खिचड़ा

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खिचड़े के मुताल्लिक तो एक रिवायत मे आता है कि खास मुहर्रम के दिन खिचड़ा पकाना हजरत नूह अलैहिस्सलाम की सुन्नत है। चुनांचे मंकूल है कि हजरत नूह की कश्ती तूफान से नजात पाकर जूदी पहाड़ पर ठहरी हो वह दिन आशूरह मुहर्रम था। हजरत नूह ने कश्ती के तमाम अनाजों को बाहर निकाला तो फोल (बड़ी मटर), गेहूं, जौ, मसूर,चना, चावल, प्याज यह सात किस्म के गल्ले मौजूद थे। आप ने उन सातों को एक हांडी में लाकर पकाया। चुनांचे अल्लामा शहाबुद्दीन कल्यूबी ने फरमाया कि मिस्र में जो खाना आशूरह के दिन तबीखुल हुबूब (खिचड़ा) के नाम से मशहर है उसकी असल व दलील यही हजरत नूह अलैहिस्सलाम का अमल है। सबीले वगैरह बांटने में सवाबे खैर है।

ब्रेकिंग : ओवैसी की पार्टी ने गोरखपुर ग्रामीण से विधायक प्रत्याशी का टिकट काटा, छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया गोरखपुर जिला अध्यक्ष समीर सिद्दीकी समेत यूपी के आठ जिला जिलाध्यक्षों की भी छुट्टी

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ब्रेकिंग : ओवैसी की पार्टी ने गोरखपुर ग्रामीण से विधायक प्रत्याशी का टिकट काटा,  छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया गोरखपुर जिला अध्यक्ष समीर सिद्दीकी समेत यूपी के आठ जिला जिलाध्यक्षों की भी छुट्टी प्रदेश के 110 मुस्लिम बहुल सीटों पर है पार्टी की निगाह सैयद फरहान अहमद गोरखपुर।आल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रदेश अध्यक्ष हाजी शौकत अली ने  बड़ा फैसला लेते हुए उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए गोरखपुर ग्रामीण क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी मिर्जा दिलशाद  बेग का टिकट काट दिया और छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया हैं। इसी के साथ  गोरखपुर के जिलाध्यक्ष  समीर सिद्दीकी समेत यूपी के मुजफ्फरनगर, हापुड़, बुलंदशहर, नोएडा, बरेली, गाजीपुर, अमरोहा के  जिलाध्यक्षों को भी पद से हटा दिया गया हैं। प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने यह अहम  फैसला लेते हुए मिर्जा दिलशाद बेग को पार्टी के खिलाफ काम करने व नेताओं के साथ अपशब्दों का प्रयोग करने के आरोप में निष्कासित किया  हैं। अभी दो दिन पूर्व लखनऊ में यूपी के जिला अध्यक्षों की...

ऐतिहासिक: मियां साहब इमामबाड़ा ने देखा नवाबी-अंग्रेजी दौर, आजाद हिंदुस्तान का चश्मदीद भी

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ऐतिहासिक: मियां साहब इमामबाड़ा ने देखा नवाबी-अंग्रेजी दौर, आजाद हिंदुस्तान का चश्मदीद भी स्थापत्य कला की अमिट निशानी अवध के नवाब आसफ-उद्दौला ने स्थापित किय। अवध की नक्काशी बेजोड़ बहुत खूब है सोने चांदी के ताजिए सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। मोहर्रम का चांद होते ही इस्लामी नये साल का आगाज हो गया। इसी माह में हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों ने मैदाने करबला में तीन दिन के भूखे प्यासे रह कर अजीम कुर्बानियां दी। इस्लाम को बचा लिया। इसलिए तो कहा गया है इस्लाम जिंदा होता है हर करबला के बाद। मुहर्रम के मौके पर खास पेशकश। इसकी पहली कड़ी में जानिए मियां साहब इमामबाड़े का इतिहास। यह इमामबाड़ा सामाजिक एकता, अकीदत व एकता का केन्द्र है। यह गोरखपुर का मरकजी इमामबाड़ा है। भारत में सुन्नी सम्प्रदाय के सबसे बड़े इमामबाड़े के रूप में इसकी ख्याति है। 18वीं सदी के सूफीसंत सैयद रौशन अली शाह का फैज बटता है। यहां हर मजहबें के मानने वालों की दिली मुरादें पूरी होती है। इमामबाड़ा की शान पुरानी चकम दमक के साथ बरकरार है। इमामबाड़ा मुगल स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। इसकी दरों दीवार की नक्काशी बेजोड...