हलाल पैसे से ही कुर्बानी जायज : मौलाना अब्दुल हबीब




-दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद पर दर्स का चौथा दिन


गोरखपुर। तंजीम उलेमा-ए-अहले सुन्नत की जानिब से नार्मल स्थित दरगाह मुबारक खां शहीद मस्जिद में कुर्बानी पर दस दिवसीय दर्स (व्याख्यान) कार्यक्रम के चौथे दिन शनिवार को महाराष्ट्र के इस्लामिक विद्वान मौलाना सैयद अब्दुल हबीब ने कहा कि अल्लाह इरशाद फरमाता हैं कि "ऐ मेरे महबूब अपने रब के लिए नमाज पढ़ों और कुर्बानी करो"। कुर्बानी का सिलसिला ईद-उल-अजहा के दिन को मिलाकर तीन दिनों तक चलता है। मुसलमान अल्लाह की रजा के लिए कुर्बानी करता है। हलाल तरीके से कमाए हुए पैसे से कुर्बानी जायज मानी जाती है, हराम की कमाई से नहीं। उन्होंने कहा कि ऐसे जानवरों की ही कुर्बानी करें जिसकी हमें भारतीय कानून से इजाजत है जैसे भैंस, बकरा-बकरी, दुंबा, भेड़ आदि। ऐसे जानवरों की कुर्बानी कतई न करें जिन पर सरकार द्वारा प्रतिबंध है। कुर्बानी के दिनों में साफ-सफाई का खास ख्याल रखें। अपशिष्ट पदार्थ सड़कों पर न फेंके। इस्लाम में साफ-सफाई को आधा ईमान करार दिया गया हैं  लिहाजा इसका खास ख्याल रखें।


मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि कुर्बानी इबादत हैं इसे खुश दिली से अदा करें बिना किसी को तकलीफ दिए हुए। अपशिष्ट पदार्थ व खून नालियों में न बहाकर किसी गड्ढें में दफन करें और एक अच्छा मुसलमान व अच्छा शहरी होने की जिम्मेदारी निभायें। कुर्बानी अल्लाह के लिए होती हैं। दिखावा अल्लाह को पसंद नहीं हैं। कुर्बानी के समय वीडियो व फोटो बिल्कुल न बनाया जायें और न ही सोशल मीडिया पर डाला जायें। त्यौहार को सादगी से मनाया जाये। यह मेहमान नवाजी का त्यौहार हैं भाईचारे को आम किया जाये।


संचालन दरगाह मस्जिद के इमाम मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने किया।।इस मौके पर कारी शराफत हुसैन कादरी, कारी महबूब रजा, मोहम्मद आजम, अब्दुल अजीज, शहादत अली, अजीम, अनवर हुसैन, अशरफ, सैफ रजा, शारिक, शाकिब, अब्दुल राजिक, मनौव्वर अहमद, तौहीद अहमद, मोहम्मद अतहर, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद कैफ, नूर मोहम्मद दानिश, रमजान, कुतबुद्दीन, नवेद आलम आदि मौजूद रहे।


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