मुुसलमान शोधकर्ता तकीउद्दीन (1526 ई.- 1585 ई.)
तकीउद्दीन
सोलहवीं शताब्दी के महान जीनियस माने जाते हैं। सुनहरे इस्लामी युग के वह
अंतिम वैज्ञानिक हैं जिन्होंने भौतिकी और भूगोल में परीक्षणों के साथ
ऐसी-ऐसी चीजों का आविष्कार किया कि सुनकर विश्वास करना मुश्किल होता है।
उनका जन्म 1526 ई. में सीरिया की राजधानी दमिश्क में हुआ। प्रारम्भिक
शिक्षा वहीं प्राप्त की। वह संसार के प्रथम वैज्ञानिक हैं जिन्होंने स्अीम
टर्बाइन और भाप का इंजन बनाया जिसका श्रेय आज जेम्स वाॅट को दिया जाता हैं।
वह स्प्रिंग के प्रयोग से अच्छी तरह परिचित थे इसलिए पहली जेब घड़ी के
अलावा अलार्म घड़ी और बड़े स्प्रिंग से स्वचालित खगोलिक घड़ी भी बनाई।
उन्होंने पहली बार ऐसी घाडि़यों का आविष्कार किया जिनमें मिनट के अलावा
सेकेण्ड का भी पता चलता था।
भौतिकी में अपने परीक्षणों द्वारा उन्होंने छाया को सिद्ध किया और प्रकाश की गति का पता लगाया। खगोल विद्या के परीक्षणों के लिए उन्होंने तर्की की राजधानी इस्तम्बूल में अलदीन वैद्यशाला बनाई जहा उन्होंने कण की दूरी नापने का यंत्र बनाया, वहां उन्होंने खगोल विद्या सबंधी कई यंत्र तैयार किए। उन्होंने सोलहवीं शताब्दी की बिल्कुल सही जंत्री भी बनाई। 1585 ई. में तुर्की की राजधानी इस्तम्बूल में इस महान वैज्ञानिक ने आखिरी सांस ली।
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भौतिकी में अपने परीक्षणों द्वारा उन्होंने छाया को सिद्ध किया और प्रकाश की गति का पता लगाया। खगोल विद्या के परीक्षणों के लिए उन्होंने तर्की की राजधानी इस्तम्बूल में अलदीन वैद्यशाला बनाई जहा उन्होंने कण की दूरी नापने का यंत्र बनाया, वहां उन्होंने खगोल विद्या सबंधी कई यंत्र तैयार किए। उन्होंने सोलहवीं शताब्दी की बिल्कुल सही जंत्री भी बनाई। 1585 ई. में तुर्की की राजधानी इस्तम्बूल में इस महान वैज्ञानिक ने आखिरी सांस ली।
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