एक रोजा छोड़ने का नुकसान

मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार गोरखपुर एक बार पैगम्बर मोहम्मद साहब ने फरमाया की सब लोग मेम्बर के पास हाजिर हो जाओं सब सहाबा ए किराम हाजिर हो गये जब पैगम्बर साहब मेम्बर के पहले दर्जा पर चढ़े तो कहा आमीन। दूसरे पर चढ़े कहा आमीन, तीसरे पर चढ़े कहा आमीन। जब मेम्बर से तशरीफ लाये तो सहाबा ने अर्ज कि आज हमनें हुजूर से ऐसी बात सुनी कि जो कभी न सुनते थे। पैगम्बर साहब ने फरमाया कि जब मैं पहले जीने पर चढ़ा तो जिब्रील आये और उन्होंने कहा कि या रसूलल्लाह वह आदमी हलाक हो जाये जो रमजान का महीना पाये और रोजा रखकर अपनी मगफिरत न करा ले तो मैंने कहा आमीन। जब दूसरे जीने पर कदम रखा तो जिब्रील ने कहा वह आदमी हलाक हो जाये जो किसी महफिल में आपका नाम सुने ओर दरूद शरीफ न पढे़, मैंने का आमीन। फिर जब मैं तीसरे जीने पर कदम रखा तो जिब्रील ने कहा वह आदमी हलाक हो जाएं जो मां बाप को बुढ़ापें में पाये या इनमें से किसी एक को पायें ओर उनकी खिदमत करके जन्नत न हासिल कर लें तो मैंने कहा आमीन। इस हदीस शरीफ से मालूम हुआ की रमजानुलमुबारक का महीना पाए रोजा न रखना नेक काम न करना, नबी पाक नाम सुन का दरूद शरीफ ने पढ़ना मां बाप को बुढ़ापें में पाकर खिदमत करके उनको खुश न करना यह दुनिया आखिरत दोनों में हलाकत बर्बादी का सबब है। नौ लाख बरस का अजाब जहां रोजा रखने के बेशुमार फजाइल है। वहीं बगै किसी सही मजबूरी के रमजानुलमुबारक का रोजा तर्क करने पर सख्त सजायें भी है। रमजान शरीफ का एक रोजा जो बिला किसी उज्रे शरई के जान बूझकर छोड़ दे तो एक हदीस के मुताबिक उसे नौ लाख बरस जहन्नम की आग मंे जलना पड़ेगा। नीज जिसने एक रोजा जाया कर दिया तो अब उम्र भर भी अगर राजे रखता रहे तब भी उस छोड़े हुए रोजे की फजीलत नहीं पा सकता। पैगम्बर मोहम्मद साहब फरमातें है कि जिसने रमजान के एक दिन का रोजा बगैर रूख्सत बगैर मर्ज रमजान के एक दिन का अफ्तार किया तो जमाना भर का रोजा उसकी कजा नहीं हो सकता। अगरच बाद में रख भी ले। यानी वो फजीलत जो रमजानुलमुबारक में रोजा रखने की थी। अब किसी तरह नहीं पा सकता। लिहाजा हमें हरगिज हरगिज गफलत का शिकार होकर रोजे जैसी अजीमुश्शा नेमत नहीं छोड़नी चाहिए। कुछ लोग रोजा रखकर बगैर सही मजबूरी के रोजा तोड़ डालते है वो इस हदीस को बार बार पढ़े और अल्लाह के कहर व गजब से खूब डरे। पैगम्बर साहब ने फरमाया कि मैं सोया हुआ था तो ख्वाब में दो शख्स मेरे पास आए और मुझे एक दुश्वार गुजार पहाड़ पर ले गए। जब मैं पहाड़ के दरमियानी हिस्से पर पहुंचा तो वहां बड़ी सख्त आवाजें आ रही थीं। तो मैंने कहा कि ये कैसी आवाजें है? तो मुझे बताया गया कि ये जहन्नमियों की आवाजें हैं। फिर मुझे और आगे ले जाया गया मैं कुछ ऐसे लोगों के पास से गुजरा कि उनको उनके टख्नों की रगों में बांधकर उल्टा लटकाया गया था। उनके गलफडे़ फाड़ दिए गए थे और उनके गलफड़ों से खून बह रहा था तो मैंने पछा कि ये कौन लोग है? तो मझे बताया गया कि ये लोग रोजा रखकर अफ्तार से पहले बिना मजबूरी के खा पी लेते थे।

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