रमजान की हर घड़ी नेमत

गोरखपुर। मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार के मुफ्ती अख्तर हुसैन ने बताया कि खुदाए रहमान के करोड़ एहसान कि उसने हमें माह रमजान जैसी अजीम नेअमत से सरफराज फरमाया माहे रमजान के फैजान के क्या कहने इसकी तो हर घड़ी रहमत भरी है। इस महीने में अज्र सवाब बहुत ही बढ जाता है। नफल का सवाब फर्ज के बराबर और फर्ज का सवाब सत्तर गुना कर दिया जाता है। एक हदीस के मुताबिक एक बाद दुरूद शरीफ पढे तो लाख दुरूद शरीफ का सवाब मिलता है। एक और हदीस में आता है कि जो केई रमजानुल मुबारक में एक बार सुब्हानल्लाह कहे उसको इस कदर सवाब मिलेगा जो गैरे रमजान में एक लाख बार सुब्हानल्लाह कहने पर मिलता है। एक और रिवायत के मुताबिक अर्श उठाने वाले फरिश्तें रोजादारां की दुआ पर आमीन कहते है। अत तरगीब वत तरहीब की एक रिवायत के मुताबिक रमजान के रोजादार के लिए दरिया की मछलियां इफतार तक दुआ-ए-मगफिरत करती रहती है। रोजा बातिनी इबादत है क्योंकि जब तक हम किसी पर जाहिर नहीं करते किसी को ये इल्म नहीं हो सकता कि हमारा रोजा है। अल्लाह बातिनी इबादत का ज्यादा पसंद फरमाता है। जैसा कि हदीसे पाक में पैगम्बर साहब फरमाते है कि अल्लाह की राह में पोशीदा यानी छुपाकर एक पैसा देना उन सौ पैसों से अफजल है जो जाहिर में दिए जाए। इस मुबारक महीने की एक खुसूसियत ये भी है कि अल्लाह ने इस में कुरआन पाक नाजिल फरमाय है। चुनांचे कुरआन मजीद में अल्लाह का नुजूले कुरआन और माहे रमजान के बारे में फरमाने आलीशान है रमजान का महीना, जिसमें कुरआन उतरा, लोगों के लिए हिदायत और रहनुमाई और फैसले की रौशन बाते, तो तुम में जो कोई ये महीना पाए जरूर इस के रोज रखे और जो बीमार या सफर मंे हो , तो उतने रोजे और दिनों । अल्लाह तुम पर आसानी चाहता है और तुम पर दुश्वारी नहीं चाहता और इस लिए कि तुम गिनती पूरी करो और अल्लाह की बड़ाई बोलो इस पर कि उसने तुम्हें हिदायत की और कहीं तुम हक गुजार हो।

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