मां की गोद बच्चे का पहला मदरसा व स्कूल: नायब काजी

सैयद फरहान अहमद कादरी 

गोरखपुर। एक पढ़ी लिखी मां की गोद से पढ़ी लिखी औलाद समाज को मिल सकती है। मां की गोद बच्चे के लिए सबसे पहला मदरसा व स्कूल है, इसलिए उसका पढ़ा लिखा होना बेहद जरूरी है। किसी दानिश्मंद का कौल है कि एक औरत को तालीम दे देना एक यूनिवर्सिटी खोल देने के बराबर है। मुसलमान अगर तरक्की चाहते हैं तो नमाज़, रोजा, हज व ज़कात की पाबंदी करें। अल्लाह और पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि की तालीमात पर मुकम्मल बेदारी के साथ अमल करें। अल्लाह और पैग़ंबरे इस्लाम के जिक्र से दिलों को रौशन करें। शरीअत के खिलाफ़ कोई काम न किया जाए।

यह बातें सोमवार को खरादी टोला तुर्कमानपुर में आयोजित जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी में बतौर मुख्य वक्ता नायब काजी मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने कही।

विशिष्ट वक्ता मौलाना मोहम्मद अहमद निजामी ने कहा कि ईद मिलादुन्नबी मनाना क़ुरआन व हदीस की रौशनी में जायज है। पैग़ंबरे इस्लाम ने खुद अपना मिलाद मनाया। सहाबा, अहले बैत, ताबईन, औलिया ने भी इसका एहतमाम किया। लिहाजा मुसलमान पूरे साल इस अज़ीम नेमत को मना कर सवाब हासिल करें। ईद मिलादुन्नबी की महफिलों व जलसों में अल्लाह की रहमत नाज़िल होती है।

वहीं बसंतपुर खास में आयोजित जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी में बतौर मुख्य वक्ता मुफ्ती मुनव्वर रजा ने कहा कि ईद मिलादुन्नबी के सदके में तमाम ईदें मिलीं। पैगंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के लिए पूरी दुनिया बनी। पैग़ंबरे इस्लाम के सदके में पूरी दुनिया को वजूद मिला। आप नूर-ए-खुदा, खैरुल बशर हैं। क़ुरआन में अल्लाह फरमाता है कि बेशक तुम्हारें पास अल्लाह की तरफ से नूर तशरीफ लाया। पैग़ंबरे इस्लाम की नूरानियत से चांद, सूरज, सितारे सारी कायनात रौशन है। पैग़ंबरे इस्लाम जब पैदा हुए तो अल्लाह को सजदा करके अपनी उम्मत को याद फरमाया। आप ही सबसे पहले शफाअत के मनसब पर फाइज होंगे। अल्लाह ने आपको बहुत बड़ा मर्तबा अता फरमाया है।

अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई। जलसे में सैयद ज़फ़र हसन, कारी मो. मोहसिन बरकाती, मास्टर तौफीक रईस अनवर, डॉ. शाकिर, महबूब आलम, महमूद आलम, सैयद अरशद, हाफ़िज़ सैफ अली इस्माईली, हाफ़िज़ अशरफ रजा, कासिद रजा इस्माईली, हाफिज जान आलम, उस्मान रजा, फजलुर्रहमान आदि मौजूद रहे।

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