अल्लाह की अज़ीम नेमत हैं पैगंबर-ए-इस्लाम - मुफ्ती अख्तर
गोरखपुर। मोहल्ला गाजी रौजा मरहूम काजी नईमुर्रहमान केआहाता में पैगंबर-ए-इस्लाम के यौम-ए-विलादत (जन्मदिवस) की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को रात्रि नमाज बाद जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी का आयोजन हुआ। जिसमें मुफ्ती अख्तर हुसैन ने कहा कि अल्लाह इरशाद फरमाता है "बेशक अल्लाह का बड़ा एहसान हुआ मुसलमानो पर कि उनमें उन्हीं में से एक रसूल भेजा जो उन पर उसकी आयतें पढ़ते हैं और उन्हें पाक करते हैं और उन्हें किताब और हिक़मत सिखाते है। अल्लाह ने हमें लाखों-करोड़ों नेमत दी लेकिन एहसान नहीं जताया। कसम है उस रब्बे क़ायनात की पूरा क़ुरआन उठाकर देख लीजिए कि क्या कहीं उसने अपनी किसी नेमत पर एहसान जताया हो अगर जताया है तो अपने महबूब को जब बन्दों के दरमियान भेजा तब जताया है। अब बताइए क्या जिस नेमत को देने पर वो खुद फरमा रहा है कि "मैंने एहसान किया बन्दों पर" ज़रा सोचिये कि कैसी ही अज़ीम नेमत है मेरे मुस्तफ़ा की विलादत। जब हजरत आदम अलैहिस्सलाम की तखलीक हुई तो हर जुमा ईद हो गयी। तो जो आदम का भी नबी है, उसके पैदा होने पर तो पूरे साल खुशियां मनानी चाहिए। अल्लाह अपनी दी हुई नेमतों का चर्चा करने का हुक्म दे रहा है। अल्लाह फरमाता है" और अपने रब की नेमत का खूब चर्चा करो। लिहाजा मुसलमान शरीयत के दायरे में रहकर ईद मिलादुन्नबी की खुशियां मनाएं। पटाखा फूलझड़ी से परहेज करें। इबादत करें। मिलाद की महफिल सजाएं। जुलूस-ए-मोहम्मदी अदबो एहतराम से निकले। हो हल्ला करने के बजाए नात शरीफ पढ़े। कसरत से दरूद व सलाम पढ़ें।
मौलाना फैजुल्लाह कादरी ने कहा कि पैगंबर-ए-इस्लाम ने इंसानों को जीने का सलीका बताया। लोगों को सही रास्तें पर चलने की तालीम दी। सारी दुनिया पैगंबर-ए-इस्लाम के तुफैल बनायी गयी। आप सारी दुनिया के लिए रहमत है। ईद मिलादुन्नबी के दिन महफिल-ए-मिलाद, कुरआन ख्वानी, नात ख्वानी करें। गरीबों, यतीमों को खाना खिलाएं। जुलूस-ए-मोहम्मदी में शामिल हों। जश्न-ए-आमदे रसूल का एहतमाम करें। अच्छे कपड़े पहने, खुशबू लगाएं, महफिल-ए-मिलाद में शिरकत करें। कार्यक्रम के आखिर में सलातो-सलाम पेश कर दुआ मांगी गयी।
इस दौरान काजी ईनामुर्रहमान, फरहानुर्रहमान, ताबिश, सिराज, शहबाज, फहीम, मोहम्मद आजम, हाफिज अब्दुर्रहमान, हाफिज नजरे आलम आदि तमाम मौजूद रहे।
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माशाअल्लाह
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