अब मदरसों में नहीं होगी मिनी आईटीआई की परीक्षा
-दस साल बाद बदल दिया गया फैसला
सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर। उप्र मदरसा वोकेशनल ट्रेनिंग की वर्ष 2017 की मिनी आईटीआई की परीक्षा के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिया गया है। जिसमें साफ तौर पर लिखा गया है कि मिनी आईटीआई की परीक्षा वरीयता के हिसाब से राजकीय आईटीआई, राजकीय पालिटेक्निक, राजकीय इंटर कालेज व महाविद्यालय में ही करायी जायेंगी। इस बार मदरसों को परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जायेगा। मदरसा मिनी आईटीआई की परीक्षा पिछले दस सालों से मदरसों में ही आयोजित हो रही थीं। इस बार फैसला बदल दिया गया है। हालांकि मिनी आईटीआईटी की परीक्षा दिसंबर में हो जानी चाहिए लेकिन इस बार परीक्षा में देरी हुई है। मार्च में परीक्षा होने की संभावना है। अभी परीक्षा फार्म भरा जा रहा है। 10 फरवरी अंतिम तिथि है। जिला स्तरीय समिति को परीक्षा केंद्रों का निर्धारण एक सप्ताह के अंदर करना है वह भी वर्ष 2016 में सम्मिलित परीक्षार्थियों के आधार पर। केंद्र निर्धारण के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति बनेगी। जिसमें उपनिदेशक/अल्पसंख्यक कल्याण अधिकीरी (सदस्य/सचिव) व जिला विद्यालय निरीक्षक (सदस्य) शामिल होंगे।
बताते चलें कि वर्ष 2016 की मिनी आईटीआई परीक्षा में जिले के तीन मदरसों को परीक्षा केंद्र बनाया गया था। मदरसा अंजुमन इस्लामियां खूनीपुर में 4, मदरसा अनवारुल उलूम गोला बाजार में 2 व मदरसा जामिया सिद्दीक निस्वां मरवटिया में 1 मदरसे का परीक्षा केंद्र बना था। इस बार जिले के 7 मदरसे के करीब 250 छात्र-छात्राएं राजकीय विद्यालयों में ही परीक्षा देंगे।
--मदरसा मिनी आईटीआई योजना से आच्छादित मदरसे व ट्रेड
मदरसों में छात्रों को तकनीकी रुप से दक्ष बनाने के लिए वर्ष 2005 में प्रदेश की सपा सरकार ने मिनी आईटीआई योजना शुरू की थी। प्रदेश के 140 मदरसों में यह योजना संचालित हैं। जिसके तहत 35 ट्रेडों में से मदरसों में 3 ट्रेड चलाने की व्यवस्था की गयी। जिसके तहत जिले में 7 मदरसों में मिनी आईटीआई योजना संचालित है। जिसमें 3 मदरसे शहर के हैं और 4 मदरसे ग्रामीण क्षेत्र के हैं। शहर के मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया इमामबाड़ा दीवान बाजार, मदरसा जामिया रजविया मेराजुल उलूम चिलमापुर, मदरसा अंजुमन इस्लामियां खूनीपुर व ग्रामीण क्षेत्र के मदरसा नूरिया खैरिया बगही बारी पीपीगंज, मदरसा अनवारुल उलूम गोला बाजार, मदरसा जामिया सिद्दीक निस्वां मरवटिया, मदरसा मकतब इस्लामियां बहरुल उलूम बड़गो बरईपार में यह योजना संचालित हैं। उक्त मदरसों में छात्र-छात्राएं वेल्डर, कटाई- सिलाई, रेफ्रीजिरेशन – एअरकंडीशनिंग, कम्पयूटर आपरेटर, इलेक्ट्रीशियन, ड्राफ्ट मैन सिविल, वॉयर मैन, मैकेनिक डीजल की ट्रेनिंग लेते हैं।
--एनसीवीटी या एससीवीटी से मान्यता मिलना ज्यादा जरूरी
उप्र मिनी आईटीआई अनुदेशक कार्मिक वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष इस्माईल खान ने कहा कि पिछले 13 वर्षों से संचालित यह योजना सरकार की लापरवाही से परवान नहीं चढ़ पायीं है। ट्रेनिंग के बाद मिलने वाला सर्टिफिकेट सरकारी योजनाओं व नौकरियों में मान्य नहीं है। मिनी आईटीआई का सर्टिफिकेट नेशनल काउंसिल ऑफ वोकेेशनल ट्रेनिंग (एनसीवीटी) व स्टेट काउंसिल ऑफ वोकेेशनल ट्रेनिंग (एससीवीटी) के द्वारा मान्य किया जाये तब तो कोई बात बने। इस प्रशिक्षण के बाद काफी छात्रों का स्वरोजगार है तो काफी छात्र विदेशों में काम कर रहे हैं लेकिन सरकारी नौकरियों में इस सर्टिफिकेट की कोई वैल्यू नहीं है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। मदरसों को परीक्षा केंद्र न बनाने से कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। हां छात्रों को थोड़ी कठिनाई हो सकती है।
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