गोरखपुर : इस मदरसे के शिक्षक राष्ट्रपति से हो चुके सम्मानित
अशफाक अहमद
गोरखपुर। ज़िले में सैकड़ों छोटे-बड़े मदरसे इल्म की रोशनी फैला रहे है। इन मदरसों में तैनात शिक्षक बच्चों को दीनी तालीम के साथ दुनियावी तालीम भी दे रहे है। मदरसे से तालीम हासिल करने के बाद कई बच्चे विभिन्न क्षेत्रों में ऊंचा मुकाम हासिल कर प्रदेश का नाम रोशन कर रहे है। वहीं मदरसे में पढ़ाने वाले शिक्षक भी राष्ट्रपति पुरस्कार हासिल कर मदरसे को बुलंदियों पर पहुंचा रहे है।
पुराना गोरखपुर के गोरखनाथ इलाके में स्थित मदरसा जियाउल उलूम में तैनात दो शिक्षक राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कर चुके है। मदरसा 1955 में खपरैल के मकान में आबाद हुआ। वर्तमान में मदरसा एडेड होने के साथ ही तीन मंजिला इमारत में तब्दील हो चुका है। मदरसे के प्रधानाचार्य मौलाना नुरूज़्ज़मा मिस्बाही ने बताया कि इस मदरसे में कुल 637 बच्चों में 137 मदरसे के हॉस्टल में रह कर शिक्षा हासिल कर रहे है। जिनको 22 शिक्षक मजहबी व दुनियावी शिक्षा दे रहे है।
उन्होंने बताया कि इस मदरसे में बच्चों को मजहबी तालीम व हिन्दी, अंग्रेजी के साथ ही विज्ञान व कम्प्यूटर की शिक्षा दी जाती है। इस मदरसे के मौलाना हबीबुर्रहमान को वर्ष 1983 में बेहतर शिक्षण कार्य के आधार पर राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। शिक्षक मौलाना मोहम्मद सज़्ज़ाद को वर्ष 1993 में पूर्व राष्ट्रपति डां. शंकर दयाल शर्मा ने राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया था।
गोरखपुर। ज़िले में सैकड़ों छोटे-बड़े मदरसे इल्म की रोशनी फैला रहे है। इन मदरसों में तैनात शिक्षक बच्चों को दीनी तालीम के साथ दुनियावी तालीम भी दे रहे है। मदरसे से तालीम हासिल करने के बाद कई बच्चे विभिन्न क्षेत्रों में ऊंचा मुकाम हासिल कर प्रदेश का नाम रोशन कर रहे है। वहीं मदरसे में पढ़ाने वाले शिक्षक भी राष्ट्रपति पुरस्कार हासिल कर मदरसे को बुलंदियों पर पहुंचा रहे है।
पुराना गोरखपुर के गोरखनाथ इलाके में स्थित मदरसा जियाउल उलूम में तैनात दो शिक्षक राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कर चुके है। मदरसा 1955 में खपरैल के मकान में आबाद हुआ। वर्तमान में मदरसा एडेड होने के साथ ही तीन मंजिला इमारत में तब्दील हो चुका है। मदरसे के प्रधानाचार्य मौलाना नुरूज़्ज़मा मिस्बाही ने बताया कि इस मदरसे में कुल 637 बच्चों में 137 मदरसे के हॉस्टल में रह कर शिक्षा हासिल कर रहे है। जिनको 22 शिक्षक मजहबी व दुनियावी शिक्षा दे रहे है।
उन्होंने बताया कि इस मदरसे में बच्चों को मजहबी तालीम व हिन्दी, अंग्रेजी के साथ ही विज्ञान व कम्प्यूटर की शिक्षा दी जाती है। इस मदरसे के मौलाना हबीबुर्रहमान को वर्ष 1983 में बेहतर शिक्षण कार्य के आधार पर राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। शिक्षक मौलाना मोहम्मद सज़्ज़ाद को वर्ष 1993 में पूर्व राष्ट्रपति डां. शंकर दयाल शर्मा ने राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया था।
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