सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में हो सकती है मदरसा बोर्ड की परीक्षाएं!


-राजकीय इंटर कालेज व अनुदानित मदरसे बन सकते है परीक्षा केंद्र

गोरखपुर। उप्र मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा संचालित मुंशी, मौलवी, आलिम, कामिल व फाजिल वर्ष 2018 की परीक्षा को लेकर तैयारियां तेज हो गई है। मार्च में परीक्षा होने की संभावना है। फिलहाल परीक्षा में आवेदन की अंतिम तिथि 10 फरवरी निर्धारित है। मदरसा पोर्टल की स्पीड काफी धीमी है जिससे आवेदन करने में कठिनाई हो रही है। वहीं परीक्षा केंद्र निर्धारण के लिए उप्र मदरसा शिक्षा परिषद से करीब 14 बिन्दुओं पर दिशा-निर्देश आ गया है। जिला स्तर पर समिति बनाकर एक सप्ताह के अंदर केंद्र निर्धारण करके उप्र मदरसा शिक्षा परिषद को अवगत कराना है। रजिस्ट्रार की तरफ से स्पष्ट रूप से निर्देश दिया गया है कि परीक्षा केंद्रों का चयन निम्न क्रम राजकीय इंटर कालेज, अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय, अनुदानित मदरसा, राजकीय आईटीआई, राजकीय पालिटेक्निक, राजकीय महाविद्यालय जैसी संस्थाओं में ही किया जाए। इसके साथ यह भी निर्देश है कि परीक्षा केंद्र निर्धारण के पूर्व यह देख लिया जाये कि संस्था में परीक्षार्थियों के सापेक्ष तमाम सुविधाओं के साथ सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है कि नहीं। बालिका परीक्षार्थियों का आकलन कर राजकीय बालिका इंटर कालेज/अशासकीय अनुदानित निस्वां मदरसा परीक्षा केंद्र हेतु आवंटित किए जाने व परीक्षा केंद्र 8 किलोमीटर की परिधि में निर्धारित करने का भी निर्देश दिया गया है। केंद्र निर्धारण के लिए जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय समिति बननी है। जिसमें वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (सदस्य), उपनिदेशक/अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी (सदस्य/सचिव) व जिला विद्यालय निरीक्षक (सदस्य) शामिल है। केंद्र निर्धारण के लिए परिषद स्तर पर भी समिति बननी है। केंद्र निर्धारण परीक्षा वर्ष 2017 में सम्मिलित परीक्षार्थियों के आधार पर किया जायेगा।

बतातें चलें कि वर्ष 2017 की परीक्षा में जिले के 53 मदरसों के 4604 परीक्षार्थियों ने हिस्सा लिया था। 25 अप्रैल से 10 मई तक 7 परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा हुई थी। राम जतन यादव इंटरमीडिएट कालेज को छोड़कर सभी परीक्षा केंद्र अनुदानित मदरसों में बनाये गए थे। शहर में 4 व ग्रामीण में 3 परीक्षा केंद्र बने थे। वहीं वर्ष 2016 की परीक्षा में 12 परीक्षा केंद्रों में करीब 6000 परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी थी। जिसमें एक भी मदरसे को परीक्षा केंद्र नहीं बनाया गया था। यह सब सपा सरकार के पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खां के आदेश से हुआ था। जिसको लेकर मदरसा संचालक काफी नाराज हुए थे।

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