हुजूर आपके कदमों की मेहरबानी है

प्लीज हजरत अमीर खुसरो के इस कलाम को जरूर पढ़े कमेंट भी करे फकत आपके लिए आओ जो घर में, तो लूंगी बलय्या। दौड़ झपट कदमों पे गिरूंगी।। दामन पकड़ के ये अर्ज करूंगी। ऐ री सखी मोरे पिया घर आए। भाग्य लगे इस आंगन को।। हमारे घर को रौनक कहां मय्यसर थीं।
।। ऐ री सखी मोरे पिया..... वो आ रहे है वो आते है वो आ रहे होंगे। तमाम रात इसी में गुजार दी मैंने।। ऐ री सखी मोरे पिया..... एै मेरे आरामें जा तकलीफ फरमाना जरा। मौत के आने से पहले तुम चले आना जरा।। ऐ री सखी मोरे पिया..... अल्लाह कोई हद हैं मेरे इंतजार की। तस्वीर बन गया हूं दिले बेकरार की।। मरने के बाद भी यूं खुली रही आंखें। आदत पड़ी हुई थी तेरे इंतजार की।। ऐ री सखी मोरे पिया..... दिलों निगाह में तस्वीर यार रहती है। मेरे चमन में हमेशा बहार रहती है। ऐ री सखी मोरे पिया..... तसव्वुर मे दिलोजां में उजाला कर लिया मैंने। जब आंखे बंद की उनका नजारा कर लिया मैंने।। ऐ री सखी मोरे पिया..... बलि बलि जाऊं मैं अपने पियां के। चरन लगाओ निर्धन को। क्हूं एक बात जी की अगर जां की अमां पाऊं। मुझे कुर्बान होने दें तेरे कुर्बान हो जाऊं।। जिसका पिया संग बीते सावन। उस दुल्हन की रैन सुहागन। जिस सावन में पिया घर नाहीं। आग लगे उस सावन को। मैं तो खड़ी थी आस लगायें। मेहंदी गजरा मांग सजाये। देख सुरतिया अपने पिया की। हार गयी मैं तन-मन को। हां यहीं जान कर तो, जान की बाजी लगायी थी। हमारी हार हो जायें तुम्हारी जीत हो जायें। ----------- वो इश्क जो हमसे रूठ गया, अब उसका हाल बताये क्या। कोई मेहर नहीं कोई केहर नहीं फिर सच्चा शेर सुनाये क्या।

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