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मार्च, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सीएम योगी आदित्यनाथ के अदबी शहर में बेगाने हुए 'उर्दू नॉवेल'

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सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। इस समय गोरखपुर की चर्चा पूरी दुनिया में है।  सीएम आदित्यनाथ का यह शहर  कभी  देश का अदबी (साहित्यिक सरगर्मियों) मरकज हुआ करता था। मजनूं, फिराक का यह शहर अदबी दुनिया के आसमान पर चमकता हुआ मेहताब (चांद) था। जिस शहर से मुंशी प्रेमचंद की बावस्तगी हो उस शहर की अदबी शोहरत का अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल है। इस शहर में उर्दू  परवान चढ़ी। लेकिन अब इस अदबी शहर के हालात बदल चुके है। बाबा गोरखनाथ और हजरत रौशन अली रहमतुल्लाह अलैह की यह तपोस्थली इस बार सीएम योगी आदित्यनाथ की वजह से चर्चा के उरुज पर है, लेकिन इस अदबी शहर से उर्दू अदब का जनाजा निकल चुका है। यहां से उर्दू के चाहने वाले करीब न के बराबर हैं और इसी के साथ खत्म हो गया 'उर्दू नॉवेलों' का दौर। यानी इस शहर में उर्दू नॉवेल बेगाने हो चुके हैं। अब इस शहर में 'पाकीजा आंचल' और 'हुमा' ही बिकता है वह भी बेहद कम  तादाद में और पढ़ने वालों में सिर्फ महिलाएं। समय के साथ या तरक्की के दौर में वक्त की किल्लत और उर्दू से नाआशनाई ने उर्दू नॉवेल का बेड़ा गर्क कर दिया। अदबी महफिलों, मुशायरों, उर्दू नॉवे...

सीएम योगी आदित्यनाथ का यह शहर कभी 'मुअज्जमाबाद' हुआ करता था

-अतीत के झरोखे से -गोरखपुर मंदिर के ईद-गिर्द चारों तरफ हैं मुस्लिम आबादी -औरंगजेब के सेना नायक काजी खलीलुर्हमान ने गोरखपुर से अयोध्या तक सड़क बनवायीं -आसफुद्दौला ने गोरखनाथ मंदिर  व इमामबाड़ा को बराबर जागीर दी सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। सीएम योगी आदित्यनाथ की वजह से गोरखपुर सुर्खियो में हैं। वजह  बड़ी हैं। पहली बार गोरक्षनाथ पीठ से कोई सीएम हुआ हैं । गोरखपुर की पहचान गोरखनाथ मंदिर, मियां साहब इमामबाड़ा, गीता प्रेस के रुप में दूर तक हैं। गोरखनाथ मंदिर के चारों तरफ घनी मुस्लिम आबादी हैं। जहां पसमांदा मुस्लिम परिवार कई सौ साल से निवास कर रहे  हैं। एक तरह से देखा जायें तो मंदिर के चारों ओर मुहाफिज किले की शक्ल में बसी हैं मुस्लिम आबादी। अतीत में यह शहर 'मुअज्जमाबाद' हुआ करता था। वह भी सौ साल तक। डा. दानपाल ने 'गोरखपुर-परिक्षेत्र का इतिहास' में लिखा हैं कि "सत्रहवीं शताब्दी के अंत में (औरंगजेब की मृत्यु 1707 ई. के कुछ वर्ष पूर्व) शहजादा मुअज्जम, जो बाद में बहादुर शाह के नाम से मुगल बादशाह बने, शिकार खेलने गोरखपुर आये। उन्होंने गोरखपुर में जामा मस्जिद बनवायीं । उ...

पुलिस बोली मेरी नौकरी का सवाल हैं, गोश्त कारोबारी बोले मेरी रोजी-रोटी का सवाल हैं

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गोरखपुर। प्रदेश सरकार के फैसले से गोश्त कारोबारियों (भैंस का गोश्त) में हड़कंप मचा हुआ हैं। मंगलवार  को  दहशत की वजह से तुर्कमानपुर, रसूलपुर में जहां गोश्त की दुकानें बंद रहीं वहीं बक्शीपुर, जाफरा बाजार, अस्करगंज व रहमतनगर मोहल्ले में गोश्त की बिक्री हुई। रहमतनगर में तो पुलिस और कसाईयों के बीच नोंकझोंक भी हुई। मिली जानकारी के अनुसार आज रहमतनगर मोहल्ले में गोश्त की दुकानें खुली हुई थीं। सुबह करीब 10. 30 बजे पुलिस वाले पहुंच गये और दुकान बंद करने का दबाव बनाने लगे। गोश्त कारोबारियों  ने भी विरोध किया। काफी तू-तू मैं-मैं हुई। बकौल दुकानदार बब्लू कुरैशी ने बताया कि पुलिस वालों ने कहा कि दुकान बंद कर दो। ज्यादा तीन-पांच करोगे तो बंद कर दूंगा। इस बीच पूरा मोहल्ला इकट्ठा हो गया। तब पुलिस वालों के तेवर नर्म पड़ गये और कहां कि हमारी नौकरी का सवाल हैं।  तो तपाक से गोश्त कारोबारी बोले हुजूर हमारी रोजी-रोटी का सवाल हैं । अगर बंद करना हैं तो लिखित आदेश दिखाईयें। नोटिस या वारंट लेकर आईये तभी दुकान बंद होगी। बब्लू कुरैशी ने कहा कि पुलिस वालों ने मां के साथ भी अभद्रता की। भीड़ ...

गोरखपुर से 262 खुशनसीब जायेंगे मुकद्दस हज यात्रा पर

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सैयद फरहान अहमद गोरखपुर।  मुकद्दस हज यात्रा के लिए कुर्रा अंदाजी (लाॅटरी) में गोरखपुर से 262 लोगों का नाम आया हैं। हज यात्रियों की  खुशी का ठिकाना नहीं है और ऐसा हो भी क्यों ना अल्लाह के घर का दीदार करने का मौंका जो मिल रहा है। हर मुसलमान की यह ख्वाहिश होती है कि वह हज यात्रा पर जायें और इस्लाम का अहम रूक्न (रस्म) की अदायगी कर सकें। गौरतलब है कि हज कुरा-2017 (हज यात्रियों के चयन के लिए कम्प्यूटरीकृत ड्रा) 21 मार्च को इन्दिरा गाँधी प्रतिष्ठान लखनऊ  में हुआ। जनपद गोरखपुर से  लगभग 600 लोगों ने 250 कवर द्वारा हज के लिए आवेदन किया था। जिसमें से 109 कवर पर 262 लोगों का चयन हुआ है।  पिछली बार  वर्ष 2016 में भी जनपद से कुल 230 लोग हज यात्रा पर गये थें। गोरखपुर से हज यात्रा पर जाने के लिए कुर्रा अंदाजी में पहला नाम  अजीजुर्हमान अंसारी का निकला है। इस पर वह बेहद खुश है और अल्लाह का शुक्र अदा कर रहे है। बातचीत में  कहते है कि जब से उन्हें मोबाइल एसएमएस द्वारा सूचना मिली है तब से उनके घर में खुशी का माहौल है। दूर-दराज के रिश्तेदार जहां फोन द्वारा मुबारकब...

योगी के मंदिर गोरक्षनाथ में 35 सालों से बिना यासीन अंसारी के नहीं रखी जाती नींव में एक भी ईंट

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सैयद फरहान अहमद गोरखपुर. महंत से सीएम बने योगी आदित्यनाथ का फेस भले ही एंटी मुस्लिम के रूप में विख्यात हो पर सच्चाई इससे इतर है. आपको जानकार ताज्जुब होगा कि पिछले 35 सालों से यदि गोरक्षनाथ मंदिर या इस संस्था का एक भी निर्माण कार्य होता है और उसकी नींव में यदि एक भी ईंट रखी जाती है तो वह मोहम्मद यासीन अंसारी की देखरेख में ही रखी जाती है. यहाँ तक कि निर्माण कार्य का एक रुपये से लेकर लाखों, करोड़ों का भी भुगतान यासीन की ही अनुमति पर होता है. -यासीन कहते हैं कि छोटे महराज यानी महंत आदित्यनाथ कहीं से भी मंदिर में आते हैं तो सबसे पहले उनसे मिलते हैं और निर्माण कार्य और अन्य की जानकारी लेते हैं. -वे किचेन से लेकर बेडरूम तक आते-जाते हैं और साथ बैठकर खाना भी खाते हैं लेकिन उन्हें योगी के अन्दर कभी भी एंटी मुस्लिम छवि नहीं दिखी. -योगी को झूठ बोलने से बेहद नफरत है वे ईमानदार हैं और दूसरों से उसी की अपेक्षा करते हैं. -यासीन कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ गरीब दुखियो की मदद खुलकर करते हैं. अब उस गरीब में मुसलमान हो या हिन्दू दलित. बड़े अब्बा सबसे पहले आये थे मंदिर -मोहम्मद यासीन अंस...

योगी के मंदिर गोरक्षनाथ में 35 सालों से बिना यासीन अंसारी के नहीं रखी जाती नींव में एक भी ईंट

सैयद फरहान अहमद गोरखपुर. महंत से सीएम बने योगी आदित्यनाथ का फेस भले ही एंटी मुस्लिम के रूप में विख्यात हो पर सच्चाई इससे इतर है. आपको जानकार ताज्जुब होगा कि पिछले 35 सालों से यदि गोरक्षनाथ मंदिर या इस संस्था का एक भी निर्माण कार्य होता है और उसकी नींव में यदि एक भी ईंट रखी जाती है तो वह मोहम्मद यासीन अंसारी की देखरेख में ही रखी जाती है. यहाँ तक कि निर्माण कार्य का एक रुपये से लेकर लाखों, करोड़ों का भी भुगतान यासीन की ही अनुमति पर होता है. -यासीन कहते हैं कि छोटे महराज यानी महंत आदित्यनाथ कहीं से भी मंदिर में आते हैं तो सबसे पहले उनसे मिलते हैं और निर्माण कार्य और अन्य की जानकारी लेते हैं. -वे किचेन से लेकर बेडरूम तक आते-जाते हैं और साथ बैठकर खाना भी खाते हैं लेकिन उन्हें योगी के अन्दर कभी भी एंटी मुस्लिम छवि नहीं दिखी. -योगी को झूठ बोलने से बेहद नफरत है वे ईमानदार हैं और दूसरों से उसी की अपेक्षा करते हैं. -यासीन कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ गरीब दुखियो की मदद खुलकर करते हैं. अब उस गरीब में मुसलमान हो या हिन्दू दलित. बड़े अब्बा सबसे पहले आये थे मंदिर -मोहम्मद यासीन अंसा...

भूत-प्रेत व अभिनेता राजपाल यादव भी जिस अर्थी बाबा की जमानत न बचा सके

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syed farhan ahmad गोरखपुर । कुछ लोग चुनाव जीतने के लिए लड़ते हैं तो वहीं कुछ लोग अखबारों की सुर्खियां पाने के लिए। अखबारों व चैनलों में सुर्खियां पाने के लिए ऊल-जलूल हरकतें करने से भी गुरेज नहीं करते हैं।  गोरखपुर में एक ऐसा शख्स हैं जो कई चुनावों में वाहियात हरकतें कर सुर्खियां तो बटौर ही लेता हैं लेकिन जमानत नहीं बचा पाता हैं।  उप्र का विधानसभा चुनाव चौरी-चौरा विधानसभा से लड़े इस शख्स  के लिए न तो बालीवुड अभिनेता राजपाल यादव का चेहरा और न ही भूत-प्रेत कुछ काम आ सके। यहां तक कि जमानत जब्त हो गयी। कुल 383 वोट मिलें। नाम हैं अर्थी बाबा। चुनावी नारा था राम नाम सत्य है। दफ्तर का पता था श्मशान घाट। जिसने एमबीए किया हैं। कार्यकर्ता है भूत-प्रेत (कुछ आदमियों को छोड़कर)। यह दावा है इनका। जी हां, गोरखपुर जिले की चौरी चौरा विधानसभा सीट से सर्व संभाव पार्टी के प्रत्याशी का यही संक्षिप्त परिचय है। वैसे असली नाम राजन यादव है, पर लोग उन्हें अर्थी बाबा के नाम से ही जानते हैं। वजह यह है कि एमबीए कर चुके अर्थी बाबा अर्थी पर सवार हो कर ही हर चुनाव में प्रचार के लिए निकलते हैं। नामां...

पूर्वांचल में बेअसर रही रालोद

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 गोरखपुर-बस्ती मंडल में 29 सीटों पर फ्लाप शो -सभी 29 प्रत्याशी हारे -यूपी चुनाव 2017 सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। चौधरी अजीत सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल विधानसभा चुनाव के तहत गोरखपुर-बस्ती मंडल में बुरी तरह से पराजित हो गयी हैं। रालोद ने गोरखपुर मंडल  में 20 और बस्ती मंडल में 9  प्रत्याशी खड़ें किए थे,  लेकिन सभी नाकामयाब रहे। चौधरी अजीत सिंह की रैलियां जनता पर असर न दिखा सकीं। गोरखपुर में रालोद ने 5 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। रालोद ने सबसे ज्यादा 6 प्रत्याशी कुशीनगर से उतारे थे और सबसे कम 2 प्रत्याशी संतकबीरनगर में उतारे थें। दोनों मंडलों की कुल 41 सीटों में से 29 पर रालोद ने ताल ठोंकी थी। लेकिन सभी पर बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। रालोद  की हार का प्रमुख कारण जमीनी स्तर पर  कमजोरी माना जा रहा हैं। गोरखपुर-बस्ती मंडल में रालोद के प्रत्याशी सिद्धार्थनगर - 3 सीट पर 1. शोहरतगढ़ — चौधरी रवींद्र प्रताप 2. इटवा– आनंद स्वरुप 3. बांसी — किरन  संतकबीरनगर - 2 सीट पर 1. मेंहदावल — मो. अकरम हुसैन 2. खलीलाबाद– गंगा सिंह बस्...

गोरखपुर में भाजपा को मिली 8 तो बसपा के खाते में 1 सीट

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- दल बदलु को जनता ने ठुकराया सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। भाजपा ने गोरखपुर की नौ सीट पर दमदार प्रदर्शन करते हुए 8 सीटें जीत लीं।  भाजपा को 5 सीटों का फायदा हुआ। वहीं बसपा के खाते में चिल्लूपार की सीट ही आयीं। बसपा को सबसे ज्यादा 3 सीटों का नुकसान हुआ।बसपा के दो विधायक चौरी-चौरा से जेपी निषाद व सहजनवां से जीएम सिंह हार गये। सपा का खाता नहीं खुल सका। वहीं गोरखपुर में दलबदलने वालें में कैंपियरगंज से फतेहबहादुर ही कामयाब हुये।।बाकी सब दलबदलु हार गये। गोरखपुर ग्रामीण से भाजपा छोड़कर आने वाले विजय बहादुर यादव सपा के टिकट से लड़े और हार गयें। चिल्लूपार से दो दलबदलु हारे। जिसमें भाजपा के राजेश त्रिपाठी व सपा के रामभुआल निषाद प्रमुख हैं। गोरखपुर में नौ सीट - वर्ष 2017 भाजपा - 8 बसपा - 1 गोरखपुर में नौ सीट - वर्ष 2012 भाजपा - 3 बसपा - 4 सपा - 1 एनसीपी - 1 गोरखपुर में  जीतें प्रत्याशी 1. कैंपियरगंज — फतेहबहादुर सिंह - भाजपा 2. पिपराइच — महेंद्र पाल सिंह - भाजपा 3. गो. शहर — डा. राधा मोहन दास अग्रवाल - भाजपा 4. गो. ग्रामीण — विपिन सिंह - भाजपा 5. सहजनवां — शीतल पांडेय -...

गोरखपुर मंडल की 24 सीटों पर भाजपा की सुनामी, बसपा कांग्रेस-सपा को मिली 1-1 सीट, 1 निर्दल के खाते में

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सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने गोरखपुर में भाजपा की सुनामी कहीं थीं, शनिवार को मतगणना के दौरान सही साबित हुई। भाजपा ने गेरखपुर मंडल की 24 सीटों पर जीत हासिल की हैं। पिछली बार भाजपा ने यहां से 5 सीटें जीती थीं। अबकी बार 19 सीटों का फायदा हुआ हैं। वहीं सबसे बड़ा नुकसान सपा को हुआ उसका सिर्फ 1 प्रत्याशी जीतने में कामयाब हुआ हैं। पिछली दफा 12 सीटें जीतने वाली सपा को 11 सीटों का नुकसान हुआ। वहीं 6 सीटें निकालने वाली बसपा को 5 सीट का नुकसान हुआ। कांग्रेस को 3 सीट का नुकसान हुआ। वहीं एक सीट निर्दल के खाते में गयी हैं।भाजपा के सभी सीटिंग विधायक जीतने में कामयाब हो गये हैं। वर्ष 2017 - गोरखपुर मंडल - कांग्रेस 1, भाजपा 24,  बसपा 1,  सपा  1, निर्दल 1 वर्ष - 2012 - गोरखपुर मंडल - कांग्रेस 4, भाजपा 5,  बसपा 6, एनसीपी 1 व सपा ने 12 गोरखपुर मंडल में  प्रत्याशी 1. कैंपियरगंज — फतेहबहादुर सिंह - भाजपा 2. पिपराइच — महेंद्र पाल सिंह - भाजपा 3. गो. शहर — डा. राधा मोहन दास अग्रवाल - भाजपा 4. गो. ग्रामीण — विपिन सिंह - भाजपा 5. सहजनवां ...

जनता को सपा-कांग्रेस का साथ नहीं आया पसंद

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-गोरखपुर-बस्ती मंडल में सपा को केवल 1 सीट मिली -भाटरपाररानी छोड़ अन्य जगहों से लड़ रहे सपा विधायक हारे -सपा के कई मंत्री व विधानसभा अध्यक्ष हारे -पांच सीटें जीतने वाली कांग्रेस 1 पर सिमटी सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। सपा-कांग्रेस गठबंधन जनता को पसंद नहीं आया दोनों के खाते में कुल 2 सीटें आयी। कांग्रेस को तमकुहीराज में तो सपा को भाटपाररानी में जीत मिलीं। भाजपा की सुनामी में सपा-कांग्रेस का सपूड़ा साफ हो गया। 41 में से केवल सीट मिली। देवरिया की भाटपार रानी में सपा के आशुतोष उपाध्याय ही जीते। बाकी सभी लड़ रहे विधायक व मंत्री हार गये। पिछले विधानसभा में गोरखपुर-बस्ती मंडल की 19 सीट जीतने वाले  सपा को 18 सीटों का नुकसान हुआ। कांग्रेस को 4 सीटों का नुकसान हुआ। सपा सरकार के कैबिनेट मंत्रियों का प्रदर्शन महादेवा सुरक्षित -रामकरन आर्या हारे कुशीनगर -  ब्रह्मशंकर त्रिपाठी हारे -राज्यमंत्रियों का प्रदर्शन हाटा - राधेश्याम सिंह हारे गोरखपुर ग्रामीण - विजय बहादुर यादव हारे -विधानसभा अध्यक्ष इटवा - माता प्रसाद पांडेय  हारे -सपा से जीते भाटपार रानी –आशुतोष उपाध्याय क...

बस्ती मंडल की 13 सीटों पर भाजपा का कब्जा

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-सपा-कांग्रेस-बसपा-पीस पार्टी का नहीं खुला खाता सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। बस्ती मंडल के तीन जिलों की 13 सीटों पर भाजपा+ अपना दल सोनेलान का कब्जा हो गया हैं। सपा-कांग्रेस-बसपा-पीस पार्टी का खाता भी नहीं खुला। वहीं अपना दल सोने लाल ने शोहरतगढ़ की सीट जीत लीं। यहां से सपा के माता प्रसाद पांडेय, राजकिशोर सिंह, रामकरन आर्या, पीस पार्टी के अध्यक्ष डा. अय्यूब उनके पुत्र इरफान सहित कई पुराने महारती धराशायी हो गए। कई सीटों पर हिन्दु युवा वाहिनी के लोगों ने जीत दर्ज की हैं। कांग्रेस से दल बदल कर आयें रुधौली से संजय जायसवाल ने दोबारा जीत हासिल की हैं।वहीं बांसी से विधायक जय प्रताप सिंह भी जीत गये। इन 13 सीटों पर कांग्रेस को 1, सपा 7, बसपा व पीस पार्टी को 2-2 सीट का नुकसान उठाना पड़ा। पीस पार्टी की सियासी जमीन पर ग्रहण लग गया हैं। वर्ष 2017 - भाजपा+अपना दल सोनेलाल 13 वर्ष 2012 - बस्ती मंडल से सपा ने 7 , कांग्रेस 1, बसपा 2, भाजपा 1, पीस पार्टी 2 बस्ती मंडल के जीते  प्रत्याशी सिद्धार्थनगर 1. शोहरतगढ़ – अमर सिंह चौरसिया (भाजपा ने अपना दल सोने लाल को यह सीट दिया था) 2. कपिलवस्तु (सु)– ...

गोरखपुर में 15096 ने दबाया 'इनमें से कोई नहीं' यानी नोटा का बटन

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गोरखपुर। नौ विधानसभा वाले गोरखपुर क्षेत्र की जनता काफी जागरुक हैं। मतदान में तो हिस्सा जरुर लिया लेकिन अगर कोई उम्मीदवार उनकी कसौटी पर खतरा नहीं उतारा तो उसे नोटा का बटन दबाकर 'इनमें से कोई' पर मोहर लगा दी। करीब 15096 मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया। सबसे ज्यादा नोटा का प्रयोग चिल्लूपार विधानसभा में 2512 लोगों ने किया। वहीं सबसे कम गोरखपुर शहर में 839 लोगों ने किया। गोरखपुर ग्रामीण में 1634, चौरी-चौरा में 1150, पिपराइच में 1204, सहजनवां में 1723, कैंपियरगंज में 1806, खजनी सुरक्षित में 2085 व बांसगांव सुरक्षित में 2143 लोगों ने नोटा का बटन दबाया।

दिग्गजों के शहजादे जीते कुछ के हारे

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सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। उप्र विधानसभा चुनाव में गोरखपुर-बस्ती मंडलों से कई दिग्गजों के शहजादे चुनाव लड़े लेकिन कुछ हार गये और कुछ को जीत मिली। जीतने वालों की बात की जायें तो नौतनवां विधानसभा सीट  से बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी के  पुत्र अमन मणि त्रिपाठी ने निर्दल चुनाव लड़ा और बहनों के प्रचार के सहारे जीत हासिल की। पत्नि सारा की हत्या के आरोपी अमन मणि को कुछ दिन पहले ही जमानत मिलीं थीं।निश्चित रुप से इस जीत से मणि परिवार की सियासी विरासत बच गयी।  वहीं चिल्लूपार विधानसभा सीट से बाहुबली हरिशंकर तिवारी के पुत्र  विनय शंकर तिवारी ने बसपा के टिकट से पिता की सियासी विरासत संभाल लीं। कई चुनावों में हार के बाद भाजपा की सुनामी में यह जीत काबिले दाद हैं। गोरखपुर का यह सबसे कड़ा मुकाबला रहा। जहां पल-पल परिणाम बदलते रहे। अाखिरकार जीत विनय शंकर तिवारी के हिस्से में आयीं। बांसगांव सुरक्षित विधानसभा सीट से सुभावती पासवान के पुत्र डा.  विमलेश पासवान भाजपा के टिकट से चुनाव जीत गये। भाई कमलेश पासवान इस क्षेत्र से सांसद हैं। वहीं कैंपियरगंज विधानसभा की बात करें तो उप्र के पूर्...

गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीट पर एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं जीता

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-41 सीट पर थे 40 मुस्लिम उम्मीदवार - 41 में से 13 सीटें मुस्लिम बाहुल्य - गोरखपुर-बस्ती मंडल सैयद फरहान अहमद गोरखपुर ।  गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों पर 40 मुस्लिम उम्मीदवार खड़े थें। जिसमें कोई भी  विधानसभा की दहलीज पर पहुंचने में कामयाब नहीं हुआ। रामपुर कारखाना से सपा की  गजाला लारी जीत की हैट्रिक  से चूक गयी।  पनियरा से कांग्रेस की  तलत अजीज भी हार गयी। डुमरियागंज से बसपा की सैय्यदा खातून ने जमकर मुकाबला किया और करीब डेढ़ सौ वोट के अंतर से हार गयीं।  वहीं पथरदेवा से सपा के शाकिर अली भाजपा के दिग्गज सूर्य प्रताप शाही से हार गये। खलीलाबाद से पीस पार्टी के डा. मोहम्मद अय्यूब और उनके पुत्र इरफान भी चुनाव हार गयें हैं। पिछली बार 4 मुस्लिम उम्मीदवार जीतने में कामयाब हुए थें।।इस बार तो खाता भी नहीं खुला। इटवा में अरशद खुर्शीद ने जमकर चुनाव लड़ा लेकिन वह चुनाव हार गये।  इस बार गोरखपुर- बस्ती मंडल में बसपा ने 7, सपा ने 3, कांग्रेस ने 2, एआईएमआईएम ने 5, पीस पार्टी ने 4 व रालोद व निषाद पार्टी ने 1-1 मुस्लिम उम्मीदवार उतारा था। वहीं अन्य छोट...