गोरखपुर के नायब काजी बोले - -सब्र, नमाज व एहतियाती तदबीर के जरिए कोरोना से निजात की दुआ मांगें
मुफ्ती मो. अजहर शम्सी (नायब काजी) ने कहा कि मौजूदा वक्त में लोग जहां बहुत सारी परेशानियों का शिकार हैं, वहीं कोरोना वायरस जैसी वबा से दो चार हैं। कोरोना वायरस से पूरी दुनिया व हमारे वतने अजीज हिन्दुस्तान में अफरातफरी का माहौल है। ऐसे मुश्किल वक्त में सफाई, सुथराई, पाकीजगी व दीगर एहतियाती तदबीर अमल में लाएं। दीन-ए-इस्लाम ऐसा दीन है जिसने दीन के साथ दुनियावी जिंदगी सही ढ़ग से गुजारने का तरीका बताया है। हमारे पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने एहतियाती तदबीरें फरमायी है और हम मुसलमानों को उस पर अमल करने का हुक्म दिया है। पैगंबर-ए-आज़म के वसूलों पर अमल किया जाए तो आज भी बीमारियों से महफूज रहा जा सकता है। मुसलमान सुन्नते रसूल पर अमल करें। रोजाना सुबह की शुरुअात बिस्मिल्लाह शरीफ से करें, फिर हदीस में आयी दुआ पढ़े। मिस्वाक करना शुरु करें और खास तौर से नमाज के वक्त मिस्वाक जरुर करें। हर वक्त पाक व साफ रहने की कोशिश करें और हो सके तो हमेशा बावुजू रहें। मकान व बिस्तर को साफ सुथरा रखें। नमाज की अदायगी वक्तों पर करें। तौबा व अस्तगफार करें। सब्र और नमाज से मदद तलब करें। हदीस में आया है कि जब किसी बस्ती में अज़ान दी जाए तो अल्लाह उस दिन उसे अपने अजाब से अमन दे देता है। वबा के जमाने में अज़ान देना एक मुसतहब तरीका है। लिहाजा मुसलमानों को चाहिए कि जहां दीगर तदबीरें अख्तियार कर रहे हैं वहां अपने घरों में जरुर अज़ान दें। घर में जब चाहें अज़ान दे सकते हैं। कोई वक्त खास नहीं। अल्लाह की रहमत पर पुख्ता यकीन रखें। इंशाअल्लाह हर किस्म की वबा से हिफाजत होगी और अल्लाह अामान नसीब फरमायेगा। कुरआन-ए-पाक की तिलावत का एहतमाम करें। कसरत से दरुदो सलाम पढ़ें। खाना खाने से पहले व बाद में दोनों हाथों को अच्छी तरह गट्टों तक धोएं। खाना दस्तरख्वान पर खाएं। खाने की इब्तेदा बिस्मिल्लाह शरीफ से करें। खाने की शुरुआत नमक से करें। आखिर में भी नमक चख लें। कलौंजी, शहद, खजूर का प्रयोग करें। आबे जमजम पीएं। हदीस में आयी दुआओं को पढ़ें। सदका व खैरात करें। सुन्नतों पर अमल करें। मरीज की अयादत कर दुआ पढ़ें। बेवजह बाजारों व भीड़ में जाने से परहेज करें। डॉक्टरों के जरिए बताए हुए तिब्बी वसूलों के पाबंद बनें। बिना जरुरत बाहर न निकलें। अल्लाह का जिक्र करें। सब्र और नमाज से मदद तलब करें। अल्लाह से दुआ करें कि वह इस वबा व तमाम परेशानियों से हमें निजात दें। गली व मोहल्लों में जमा न हों। मस्जिदों की दरी, पर्दें, तौलिया, टोपी, खिड़कियां, दरवाजे, वुजू खाना, इस्तिंजा खाना वगैरा साफ रखा जाए। मस्जिदों में रहने वाले इमाम व मोअज्जिन को खाने पीने व साफ-सफाई का सामान उपलब्ध कराया जाए। इसके अलावा गरीबों व बेघरों के खाने-पीने व साफ-सफाई का सामान आस-पास के लोग उपलब्ध कराएं।
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