गोरखपुर : शब-ए-मेराज में हुआ अल्लाह व रसूल का जिक्र



-पेश किया दरूदो सलाम का नजराना

गोरखपुर। रविवार देर रात  मुकद्दस शब-ए-मेराज की तारीख को शिद्दत से याद किया गया। सलातुल तस्बीह व अन्य नफिल नमाजें अदा की गईं। कुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। घरों में रातभर अल्लाह व रसूल-ए-पाक हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का जिक्र होता रहा। कसरत से दरूदो सलाम का नजराना पेश किया गया।  उलेमा ने कहा कि यह वही मुबारक रात है जब रसूल-ए-पाक सात आसमानों के पार अर्श-ए-आज़म से आगे ला मकां में अल्लाह के दीदार व मुलाकात से सरफ़राज हुए और तोहफे में पांच वक्त की नमाज मिली।

बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर में शब-ए-मेराज के मौके पर महफिल हुई। मस्जिद के पेश इमाम मौलाना अली अहमद ने कहा कि शब-ए-मेराज का जिक्र कुरआन व हदीस की बेशुमार किताबों में कसरत के साथ है। शब-ए-मेराज का वाकया रसूल-ए-पाक हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम का अजीम मोजज़ा (चमत्कार) है।

नूरी जामा मस्जिद अहमदनगर चक्शा हुसैन में मौलाना शादाब अहमद रजवी व हाफिज नूर अहमद ने कहा कि अल्लाह ने दुनिया में कमोबेश सवा लाख पैगंबरों को भेजा, लेकिन शब-ए-मेराज में सिर्फ आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की ही अर्श-ए-आज़म से आगे ला मकां में अल्लाह से मुलाकात हुई। रसूल-ए-पाक ने कई बार अल्लाह के दरबार में हाजरी दी, कलाम किया और अल्लाह के दीदार से सरफ़राज हुए। तोहफे में पचास वक्त की नमाज मिली जो बाद में अल्लाह ने पांच वक्त की कर दी। रसूल-ए-पाक पर मेराज शरीफ की मुबारक रात में अहकाम-ए-खास नाजिल हुए। अल्लाह ने रसूल-ए-पाक को अज़ीम इज्जतो वकार से नव़ाजा। सात आसमानों की सैर कराई गई। जन्नत व दोजख दिखाई गई। तमाम अज़ीम पैगंबरों व फरिश्तों से रसूल-ए-पाक की मुलाकात हुई।

सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाजार में हाफिज रहमत अली निज़ामी ने कहा कि मेराज शरीफ में रसूल-ए-पाक ने रात के एक भाग में मस्जिद-ए-हराम से मस्जिद-ए-अक़्सा तक यात्रा की, जिसका वर्णन कुरआन में अल्लाह ने सूर: बनी इस्राइल में किया है। मस्जिद-ए-अक़्सा से रसूल-ए-पाक सात आसमानों की सैर पर गए। आसमानी यात्रा को मेराज कहा जाता है। इसका वर्णन कुरआन में अल्लाह ने सूरः नज्म में किया है और अन्य बातें हदीसों में विस्तृत रूप में बयान हुई हैं। रसूल-ए-पाक मक्का शरीफ से बुराक़ पर सवार होकर मेराज के लिए तशरीफ ले गए। फरिश्तों के सरदार हजरत जिब्राइल भी आपके साथ थे। रसूल-ए-पाक बैतुल मक़दिस में पहुंचे। बुराक से नीचे उतरे और अपनी सवारी को उसी स्थान पर बांधा जहां अन्य पैगंबर बांधा करते थे, फिर मस्जिद के अंदर चले गए और सारे पैगंबरों को जमात से नमाज़ पढ़ाईं, फिर हजरत जिब्राईल के साथ आसमान-ए-दुनिया की सैर को गए। सिदरतुल मुंतहा के बाद का सफर रसूल-ए-पाक ने स्वयं से तय किया। पचास वक्त की नमाज में कमी कराने के लिए कई बार अल्लाह के दरबार में पहुंचे। आपने अज़ीम पैगंबरों से मुलाकात की। अल्लाह से अपनी उम्मत के लिए बख्शिश का वादा लिया।

अंत में दरूदो सलाम पढ़कर आपसी प्रेम, भाईचारगी व अमन शांति की दुआ मांगी गई। कोरोना से निजात की दुआ हुई। सोमवार को अकीदतमंदों ने घरों में नफ्ली रोजा खोला। इस दौरान हाजी ईसा मोहम्मद, अली अख्तर शाह, निसार अहमद, रियाज अहमद, मो. अमान, मो. फैज, मो. जैद, यासीन निजामी, मो. अमन, असरार अहमद, कैफी अशरफी, अली गजनफर शाह सहित तमाम लोग मौजूद रहे।


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