15 घंटा 36 मिनट का लम्बा रोजा व शिद्दत की गर्मी के जरिए रोजेदारों की होगी आजमाइश
सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर । पाक रमजान 26 या 27 से शुरू होगा। सब चांद पर निर्भर हैं। पिछली बार की तरह इस बार भी रोजा लगभग साढ़े पन्द्रह घंटे का होगा। अबकी बार भीषण गर्मी और लम्बा रोजा मुसलमानों के सब्र का इम्तिहान लेगा। पहले रोजे में सुबह 3.28 बजे सेहरी और शाम 6.49 बजे इफ्तार किया जायेगा। आखिरी रोजे में सुबह 3.24 बजे सेहरी और शाम 7.00 बजे इफ्तार होगा। कुल मिलाकर सेहरी में तीस दिन के अंदर 9 बार परिवर्तन होगा। वहीं इफ्तार में 11 बार परिवर्तन होगा। पहला दो रोजा 15 घंटा 21 मिनट का होगा। यह सबसे छोटा रोजा होगा। इसके बाद रोजे के वक्त में एक दो मिनट की बढ़ोत्तरी होती रहेगी। वहीं आखिरी तीन रोजा सबसे बड़ा 15 घंटा 36 मिनट का होगा। 21 जून का दिन सबसे बड़ा दिन तो जरुर होगा लेकिन इसमें रोजा 15 घंटा 35 मिनट का ही होगा। पहला दो रोजा छोटा होगा। इसके बाद सेहरी में एक मिनट घटेगा और इफ्तार में एक-दो मिनट का इजाफा होगा। सेहरी व इफ्तार में घटने बढ़ने का सिलसिला पूरे रमजान तक जारी रहेगा। रमजान में चार जुमा पड़ेगा। अगर 26 को रमजान हुआ तो जुमा की तादाद पांच हो जायेगी। मौसम वैज्ञानिकों के अनुमान के मुताबिक जून माह में मौसम कई बार तब्दील होगा। इस साल धरती कुछ ज्यादा ही तप रही है, ऐसे में रमजान में अल्लाह की इबादत करना आसान नहीं होगा। बावजूद अल्लाह के बंदों में रमजान को लेकर गजब का उत्साह है। जून के आखिर में मौसम में नर्मी आयेगी। लेकिन रमजान में गर्मी शिद्दत की बरकरार रहेगी । ईद की खुशियां 25 या 26 जून को खुदा की नेमत से धरती पर बरसेंगी। ईद की खुशियां भी चांद पर निर्भर हैं।
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सवाल - रोजा किसे कहते है
जवाब -अल सुबह भोर (सुबह सादिक) से सूर्य अस्त (गुरूबे आफताब) तक नीयत के साथ खाने पीने और सम्भोग से रूकने का नाम रोजा है।
सवाल - रमजान शरीफ के रोजे किन लोगों पर फर्ज है।
जवाब - रमजान शरीफ के रोजे हर मुसलमान आकिल, बालिग मर्द और औरत पर फर्ज है। उनकी फरजीयत का इंकार करने वाला काफिर और बिला उज्र छोड़ने वाला सख्त गुनाहगार और फासिक मरदूदुश्शहादत है, यानी उसकी गवाही कुबूल नहीं है। और बच्चें की उम्र जब दस साल हो जाये और उसमें रोजा रखने की ताकत हो तो उस से रोजा रखवाया जाए और न रखे तो मार कर रखवायें।
सवाल - किन सूरतों में रोजा न रखने की इजाजत है।
जवाब - जिन सूरतों में रोजा न रखने की इजाजत है उनमें से बाज यह हैं सफर यानी तीन दिन की राह के इरादा से बाहर निकलना लेकिन अगर सफर में मशक्कत न हो तो रोजा रखना अफजल है। गर्भवती और दूध पिलाने वाली औरत को अपनी जान या बच्चें की जान को हलाक होने का अंदेशा हो तो रोजा न रखने की इजाज है। मर्ज यानी मरीज को मर्ज बढ़ जाने या देर में अच्छा होने या तंदुरूस्त को बीमार हो जाने का गालिब गुमान हो तो उस दिन रोजा न रखना जाइज है। शैखे फानी वह बूढ़ा कि न अब रोजा रख सकता हे और न आइंदा उसमें इतनी ताकत आने की उम्मीद है कि रख सकेगा तो उसे रोजा न रखने की इजाजत है। और हैज व निफास (मासिक) की हालतों में रोजा रखना जाइज नहीं है।
सवाल - क्या ऊपर बयान किए हुए लोगों को बाद में रोजा की कजा करना फर्ज हैं।
जवाब - हां उज्र खत्म हो जाने के बाद सब लोगों को रोजा की कजा करना फर्ज है और शैखे फानी यानी बुढ़ा अगर जाड़े में कजा रख सकता है । तो रखे वरना हर रोजा के बदले दोनों वक्त एक मिसकीन को पेट भर खाना खिलाए या हर रोजा के बदले सदका-ए-फित्र की मिकदार मिसकीन को दे दे।
सवाल - जिन लोगों को रोजा न रखने की इजाजत है क्या वह किसी चीज को खुलेआम खा पी सकते है।
जवाब - नहीं। उन्हें भी खुलेआम किसी चीज को खाने पीने की इजाजत नहीं।
सवाल - रमजान के रोजे की नीयत किस तरह से की जाती है।
जवाब - नीयत दिल के इरादा का नाम है मगर जुबान से कह लेना मुस्तहब है अगर रात में नीयत करें तो यूं कहे "नवैतु अन असू म गदन लिल्लाहि तआला मिन फ रजि रमजान" और दिन में नीयत करें तो यूं कहे "नवैतु अन असू म हाजल यौम लिल्लाहि तआला मिन फरजिरमाजना"।
सवाल - रोजा इफ्तार करने के वक्त कौन सी दुआं पढ़ी जाती है।
जवाब - यह दुआ पढ़ी जाती है। "अल्लाहुम्मा लक सुम्तु व बि क आमन्तु व अलैक तवक्कलतु व अला रिजकि क अफतरतु फगफिरली मा कद्दम्तु व मा अख्खरतु"।
(बातचीत मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी से )
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रमजान टाइमिंग कार्ड व कलैंडर बड़े काम के
रेलवे कर्मचारी अजरा जमाल बताती हैं कि समय से सेहरी व रोजा खोलने के लिए मदरसा, प्राइवेट संस्थाएं व आमजन रमजान टाइमिंग कार्ड व कैलेंडर छपवा कर नि:शुल्क वितरित किया जा रहा है। मदरसा जहां इन कार्डों व कैलेंडरों को अपने दीनी फराइज के मद्देनजर वितरित करते है वहीं प्राइवेट संस्थाएं अपनी संस्था के प्रचार के लिए इन कार्डों इस्तेमाल करती है। आमजन अपने बुजुर्गों के इसाले सवाब के लिए छपवाकर निःशुल्क बांटवाते है। इन कार्डों में सेहरी व रोजा खोलने के वक्त के साथ-साथ सेहरी व रोजे की दुआएं भी दर्ज होती है। जहां अजान या ऐलान नहीं पहुंच पाता या फिर आदमी सफर में रहता हैं यह कार्ड बेहद महत्वपूर्ण साबित होता है। इन्हीं के जरिए आवाम सेहरी खाना बंद व रोजा खोलना शुरू करती है। कार्डों का मकसद केवल इतना है कि लोग समय से सेहरी व रोजा खोला जायें। कार्डों पर सेहरी व इफ्तार की दुआएं लिखी रहती है। दिन तारीख भी दर्ज रहता है।
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इस बार गर्मी ज्यादा पड़ेगी
शिक्षक नवेद आलम ने बताया कि मौसम विभाग के मुताबिक बीते दस बरसों के मुकाबले इस साल गर्मी ज्यादा पड़ेगी, साथ ही उमस भी ज्यादा परेशान करेगी। विकट गर्मी के ऐसे हालात में पूरे दिन भूखे-प्यासे रहकर इस्लाम की राह पर चलना कोई आसान काम नहीं होगा, लेकिन खुदा का रहम ओ करम हासिल करने के लिए सच्चे ईमान वाले बंदों यानी मुसलमानों ने अभी से तैयारियों शुरू कर दी हैं।
रमजान की शुरुआत के साथ ही गर्मी और परेशान करने लगेगी। मौसम विभाग के अनुसार 28 मई से 7 जून तक चमड़ी झुलसाने वाली गर्मी पड़ेगी। सूरज आग उगलेगा और आसमान से शोले गिरेंगे। कुल मिलाकर इस अवधि में अधिकतम तापमान 42-43 डिग्री रहेगा, लेकिन उमस के कारण जिंदगी बेहाल रहेगी। इस दौरान न्यूनतम तापमान भी 28-29 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार पश्चिम से चलने वाली गर्म हवाओं के कारण रात का मौसम भी शुष्क रहेगा। अलबत्ता 8 जून से 11 जून तक रोजेदारों को थोड़ी राहत मिलेगी। इस दौरान बादलों की अठखेलियों के कारण अधिकतम तापमान गिरकर 37 डिग्री के करीब मंडराता रहेगा, और न्यूनतम तापमान भी 25 डिग्री रहेगा। मौसम विभाग के अनुसार इस बरस नौतपा यानी जबरदस्त गर्मी के नौ दिन 12 जून से 20 जून तक होंगे। इस नौ दिन में गर्मी पिछले कई बरस के रिकार्ड तोड़ सकती है। मौसम विभाग ने लोगों से नौपता के दिनों में खाली पेट नहीं रहने के लिए कहा है। रोजेदार ऐसी गर्मी में सब्र के जरिए पांच वक्त की नमाज और रोजमर्रा के तमाम कामों को करते हुए रोजा रखेंगे। सूरज के प्रचंड तेवरों से राहत तो 21 जून के बाद ही मिलने लगेगी। आसमान में बादलों का डेरा दिखेगा। 24 जून यानी ईद के दो दिन पहले रिमझिम की संभावना है। ईद वाले दिन भी बदरी रहेगी, लेकिन पानी नहीं बरसेगा। यानी ईद की खुशियों में कोई खलल नहीं पड़ेगा।
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जून में सबसे ज्यादा रोजे
मदरसा अध्यापक मोहम्मद आजम ने बताया कि मई माह के पांच या छह दिन को छोड़कर 24 या 25 दिन जून में अकीदतमंद रखेंगे रोजा। संभावना जताई जा रही है कि रमजानुल मुबारक का चांद 26 नहीं तो 27 मई को जरुर दिखाई देगा। चांद दिखने की तस्दीक होने के साथ ही मुबारक माह शुरू हो जाएगा। इसलिए मई महीने के छह या पांच दिनों को छोड़कर कठिन रोजा का पूरा महीना जून माह में पड़ेगा। ऐसा अवसर 34 वर्षो बाद आएगा। जब मुस्लिम समुदाय वर्ष के सबसे गर्म महीने और सबसे बड़े दिनों में खुदा की इबादत में मशगूल रहेगा। रमजानुल मुबारक के पाक महीने के दौरान जून माह सबसे ज्यादा रोजा रखने के लिए होगा। यह अवसर 34 वर्षो बाद आएगा। हालांकि 1983 में जून में पूरा एक महीना अकीदतमंदों ने रोजा रखा था। बुजुर्गों के मुताबिक 1949 में पहली बार जून महीने में रोजा रखा गया था उसके बाद यह अवसर 1983 में आया था। जब जून माह में कठिन रोजा रखा गया था।
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रोजा कठिन होगा
मेडिकल की कोचिंग चलाने वाले शिक्षक अब्दुल राजिक ने बताया कि रोजा इतना कठिन होता है कि रोजेदार पानी की एक बूंद के बिना सेहरी से इफ्तार तक का समय अल्लाह की इबादत में गुजारेंगे। इतना ही नहीं जेठ और आषाढ़ के बीच रोजा होने की वजह से कोई भी रोजा 15 घंटे से कम का नहीं होगा।
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मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया द्वारा जारी सेहरी व इफ्तार का वक्त - गोरखपुर का
रोजा - अंग्रेजी तारीख - सेहरी का वक्त/इफ्तार का वक्त
1- 27 मई - सेहरी प्रात: 3:28/ इफ्तार शाम 6:49
2- 28 मई - सेहरी प्रात: 3:28/ इफ्तार शाम 6:49
3- 29 मई - सेहरी प्रात: 3:27/ इफ्तार शाम 6:51
4- 30 मई - सेहरी प्रात: 3:26 / इफ्तार शाम 6:51
5- 31मई - सेहरी प्रात: 3:26 / इफ्तार शाम 6:52
6- 1जून - सेहरी प्रात: 3:25 / इफ्तार शाम 6:52
7- 2जून - सेहरी प्रात: 3:25 /इफ्तार शाम 6:52
8- 3जून - सेहरी प्रात: 3:25/इफ्तार शाम 6:53
9- 4जून पहला - सेहरी प्रात: 3:25 /इफ्तार शाम 6:53
10- 5जून - सेहरी प्रात: 3:24 /इफ्तार शाम 6:53
11- 6जून - सेहरी प्रात: 3:24 / इफ्तार शाम 6:54
12- 7 जून - सेहरी प्रात: 3:24/ इफ्तार शाम 6:54
13- 8जून - सेहरी प्रात: 3:23 /इफ्तार शाम 6:55
14- 9जून - सेहरी प्रात: 3:23 /इफ्तार शाम 6:55
15- 10जून - सेहरी प्रात: 3:23/इफ्तार शाम 6:55
16- 11जून - सेहरी प्रात: 3:22 / इफ्तार शाम 6:56
17- 12जून - सेहरी प्रात: 3:22 /इफ्तार शाम 6:56
18- 13जून - सेहरी प्रात: 3:22 /इफ्तार शाम 6:56
19- 14जून - सेहरी प्रात: 3:22 /इफ्तार शाम 6:57
20- 15जून - सेहरी प्रात: 3:22/इफ्तार शाम 6:57
21- 16जून - सेहरी प्रात: 3:22 /इफ्तार शाम 6:57
22- 17जून - सेहरी प्रात: 3:22 /इफ्तार शाम 6:58
23- 18जून - सेहरी प्रात: 3:23/इफ्तार शाम 6:58
24- 19जून - सेहरी प्रात: 3:23/इफ्तार शाम 6:58
25- 20जून - सेहरी प्रात: 3:24/ इफ्तार शाम 6:59
26- 21जून - सेहरी प्रात: 3:24/ इफ्तार शाम 6:59
27- 22जून - सेहरी प्रात: 3:24 /इफ्तार शाम 6:59
28- 23जून - सेहरी प्रात: 3:24/ इफ्तार शाम 7:00
29- 24जून - सेहरी प्रात: 3:24 / इफ्तार शाम 7:00
30- 25जून - सेहरी प्रात: 3:24 / इफ्तार शाम 7:00
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