दीदार-ए-चांद के साथ माह-ए-रमजान का आगाज




- पहला रोजा आज
- तरावीह की नमाज शुरु

गोरखपुर। शनिवार की शाम दीदार-ए- चांद के साथ माह-ए-रमजान का आगाज हो गया।  शहर की फिजा में रौनक-ए-बहारा छा गई। मुस्लिम समुदाय में हर ओर खुशियां फैल गईं। सभी ने एक-दूसरे को रमजान शरीफ की मुबारकबाद पेश की। सोशल मीडिया पर मुबारकबाद के मैसेज तेजी से फैलने लगे। अकीदतमंदों ने सोशल मीडिया के फेसबुक व वाह्टसएप प्रोफाइल पिक्चर बदल कर रमजान मुबारक का वाल पेपर लगाया। बंदे अल्लाह तआला की इबादत में जुट गए। सभी ने अपने गुनाहों की माफी मांगी और अल्लाह तआला  की रहमत का अहसास किया। रमजान शरीफ का पहला अशरा 'रहमत' का शुरु हो गया। रविवार को पहला रोजा रखा जाएगा और एक महीने बाद खुशियों का त्योहार ईद परम्परागत रुप से मनाया जायेगा। पहला रोजा करीब 15 घंटे 21 मिनट का होगा।

मगरिब की नमाज के बाद लोगों ने एक-दूसरे को रमजान शरीफ की मुबारकबाद दी और इसी के साथ तरावीह के नमाज की तैयारी शुरू हो गई। बड़ों से लेकर छोटे बच्चे नहा धोकर,  कुर्ता पजामा, टोपी पहन,  खुशबू लगाकर मस्जिदों व मदरसों में पहुंचे।  पहले एशा की नमाज बा जमात अदा की  गयी। उसके बाद तरावीह की बीस रकात नमाज व वित्र की तीन रकात नमाज बा जमात अदा की गई। मस्जिदों व मदरसों में अकीदतमंदों की लंबी कतारें दिखीं। भीड़ इस कदर बढ़ी कि कई मस्जिदों में जगह कम पड़ गई। तरावीह के लिए सबसे ज्यादा भीड़ उन स्थानों पर देखी गई, जहां कुरआन शरीफ को सात, दस और पन्द्रह दिनों में मुकम्मल करने का सिलसिला तय किया गया है। दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद नार्मल, मदरसा हुसैनिया दीवान बाजार, मस्जिद हसनैन घासीकटरा, गाजी मकतब गाजी रौजा, रसूलपुर जामा मस्जिद, मस्जिद औलाद अली बक्शीपुर, चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर, गाजी मस्जिद गाजी रौजा, रहमतनगर जामा मस्जिद, मकबरे वाली मस्जिद बनकटीचक, मस्जिद सुभानिया तकिया कवलदह, मस्जिद दरोगा पांडेयहाता, गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर सहित करीब 400 मस्जिदों पर खासी भीड़ देखी गई। घरों और इबादतगाहों में कुरआन शरीफ की तिलावत शुरू हो गई । घरों पर महिलाओं ने इबादत शुरु की। नमाज, तिलावत, तस्बीह व दुआ का सिलसिला चल पड़ा। जो मुसलसल एक माह तक जारी रहेगा। लोगों ने खुदा की हम्द व सना की और खुदा की इबादत में मशगूल हो गए। रात नौ बजे के बाद शुरू हुई तरावीह की नमाज का सिलसिला देर रात तक जारी रहा।

तरावीह की नमाज खत्म होने के साथ ही लोग रविवार से शुरू होने वाले रोजे की सहरी और इफ्तार की तैयारियों में जुट गए।  सहरी की तैयारी ने बाजारों की चांदनी बढ़ा दी। खोखरटोला, जाफरा बाजार, नखास चौक, घंटाघर, इलाहीबाग और गोरखनाथ जैसे इलाकों मेें सहरी और इफ्तारी के सामानों के लिए पहले सी सजी दुकानों पर खासी भीड़ देखने को मिली। मोहल्ले के नुक्कड़ भी लोगों के उत्साह से लबरेज दिखे। कहीं सेवइयां खरीदी जा रही थीं तो कहीं खजूर। सेवइयाें व खजूर की क्वालिटी को लेकर लोग संजीदा दिखे। यह रौनक पूरे एक माह तक बरकरार रहेगी।

गाजी मस्जिद गाजी रौजा के पेश इमाम हाफिज रेयाज अहमद ने बताया कि माह रमज़ान शरीफ को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहला हिस्सा रहमत, दूसरा मगफिरत (बख्शीश) और आखिरी हिस्सा जहन्नम से आजादी का हैं। आलिमों ने अंतिम हिस्से की बड़ी महत्ता बतायी है। इसके आखिरी हिस्से में शब-ए-कद्र जैसी अजीम नेमत है। आखिरी दस दिनें में ही एतिकाफ भी किया जाता हैं। उन्होंने सभी से नमाज पाबंदी से बा जमात पढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि अगर रमजान शरीफ में किसी शख्स ने एक रोजादार को इफ्तार कराया तो उस शख्स को भी उस रोजादार के बराबर सवाब मिलेगा। भले ही उसने एक घूंट पानी से ही रोजादार का रोजा खोलवाया हो। रोजादार के लिए दरिया की मछलियां दुआं करती हैं। रोजादार के मुहं की बदबू अल्लाह को मुश्क से ज्यादा पसंद हैं। रोजादार जन्नत में एक खास दरवाजे से दाखिल होगा।


अखिल भारतीय मदरसा आधुनिकीकरण  शिक्षक संघ के मंडल अध्यक्ष नवेद आलम  ने बताया कि मजहबे इस्लाम के पांच अरकानों मे से रोज़ा भी एक अहम अरकान है। रमजान शरीफ में अल्लाह ने बंदों की रहनुमाई के लिए अपनी पाक किताब कुरआन शरीफ उतारी। इस पाक माह में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते है। दोजख के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। शैतान को जंजीरों से जकड़ दिया जाता हैं। इस महीने मे नफील नमाज अदा करने पर अल्लाह फर्ज नमाज अदा करने के बराबर सवाब और फर्ज नमाज अदा करने पर सत्तर फर्ज नमाजों के बराबर सवाब अता करता है। इस माह कसरत से जकात, सदका व फित्रा निकालना चाहिए ताकि गरीब, यतीम बेसहारा सभी खुशियों में शामिल हों सकें। रोजा  हर बालिग मुसलमान मर्द व औरत जो अक्ल वाला व तन्दुरूस्त हो उस पर रमजान शरीफ का रोजा रखना फर्ज है। जो मुसलमान रोजा नहीं रखता है वह अल्लाह की रहमत से महरूम रहता है रोजा न रखने पर वह शख्स अल्लाह की नाफरमानी करता हैं। रोज़ा न रखना बहुत बड़ा गुनाह हैं। रोजा का इंकार करने वाला इस्लाम से खारिज हैं।
मस्जिद सुभानिया तकिया कवलदह के पेश इमाम मौलाना जहांगीर निजामी  ने बताया कि रमजान शरीफ का रोजा मुसलमानो में परहेजगारी पैदा करने का बेहतरीन जरिया है। मुसलमान सिर्फ अल्लाह की रज़ा के लिए साल मे एक महीना अपने खाने-पीने, सोने-जागने के वक्त में तब्दीली करते है। वह भूखा होता है लेकिन खाने-पीने की चीजों की तरफ नजर उठा कर नहीं देखता है। रमजान का महीना मुसलमानो के सब्र के इम्तिहान का खास महीना है। रोजा रखने से दूसरों की भूख का अहसास होता हैं। अन्न की कद्रो कीमत भी समझ में आती हैं। मुंह के रोजे के साथ-साथ हाथ, कान, नाक, जबान व आंखो का भी रोजा होता है। रोजे की हालात मे किसी की बुराई करने व सुनने, बुरा देखने, बुरा करने से बचना चाहिए।

मौलाना रियाजुद्दीन कादरी ने बताया कि रोजा रखने के दौरान रोजादार पांचो वक्त की नमाज पढ़ते हैं। नफील नमाज कसरत से पढ़ते हैं। अल्लाह से दुआएं करते है। यह पवित्र महीना रहमतों व बरकतों से भरा हुआ है। अल्लाह इस महीने में नेक काम करने वाले मुसलमानों के सारे गुनाह माफ कर देता हैं।  एक नेकी का सवाब कई गुना बढ़ा कर मिलता हैं। रोज़ादार के लिए इस माह का लम्हा-लम्हा नेकियोें का है।

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आज से दी जायेगी कुरआन व शरई  की तालीम

गोरखपुर। तंजीम कारवाने अहले सुन्नत  नौजवानों व बुजुर्गों के लिए रमजान का खास तोहफा लेकर आयी हैं। तंजीम  मात्र 10 दिनों में कुरआन शरीफ पढ़ना सिखायेगी। वह भी निशुल्क। यहीं नहीं शरई मसायल नमाज, रोजा, हज, जकात आदि के बारे में तफसील से बताया जायेगा।
तंजीम की यह तालीम मदरसा रजा-ए-मुस्तफा चिंगी शहीद तुर्कमानपुर में 28 मई से अपराह्न 3 से 4 बजे तक रमजान के तीसों दिन चलेगी।

तंजीम के सदर मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने बताया कि इस्लाम में दीन सिखना बेहद जरुरी हैं। जब हम दीन की बुनियादी बातें जानेंगे, कुरआन सही ढ़ंग से पढ़ना व समझना जानेंगे तब ही हमारी इबादत में रुहानियत व नूरानियत पैदा होगी। समाज में बहुत से ऐसे लोग हैं जो किसी वजह से कुरआन पढ़ना व दीन की बातें नहीं सींख पायें हैं उनके लिए यह सुनहरा मौका हैं। यह सभी के लिए आम हैं नौजवान व बुजुर्ग दोनों इससे फायदा उठा सकते हैं। वैसे भी रमजान में हर अच्छा काम इबादत में शुमार होता हैं लेकिन दीन के बारे में जानना सबसे अफजल काम हैं। मात्र दस दिनों के अंदर कुरआन शरीफ पढ़ना सिखा दिया जायेगा।
उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में अरबी के अक्षरों की पहचान, मात्राएं, शब्द जोड़ना, वाक्य बनाना आदि सिखाया जायेगा। फिर कुरआन की छोटी आयतें उसके बाद बड़ी आयतें उच्चारण के साथ पढ़ने का तरीका बताया जायेगा। कुरआन सीखानें के बाद प्रतिदिन 20 मिनट अहकामे शरीयत (नमाज, रोजा, हज, जकात आदि)  के बारे में बताया जायेगा। यह कार्यक्रम पहले रोजे से शुरु होगा और तीसवें रोजे पर समाप्त होगा। जो भी इच्छुक लोग हो वह मोबाइल नम्बर 8604887862 पर,  मदरसा में या तुर्कमानपुर स्थित शम्सी लाइब्रेरी में सम्पर्क कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में  कुरआन व हदीस से मजहब की बारीकियां बतायी जायेंगी। पहले दिन पाठशाला में इल्म की अहमियत बतायी जायेगी। दूसरे दिन वुजू और गुस्ल का तरीका बताया जायेगा साथ ही पाकी व नापाकी का बयान होगा। तीसरे दिन नजासतें गलीजा व नजासतें खफीफा का बयान होगा। चौथे दिन नमाज की शर्त व फरायज का बयान होगा। पांचवें दिन नमाज का तरीका बताया जायेगा। नमाज के वाजिबात व सुन्नतों को बताया जायेगा। छठें दिन रमजान की फजीलत व रमजान के मसायल बयान किए जायेंगे। इस तरह यह सिलसिला पूरे रमजान तक चलता रहेगा। लोगों के सवाल का जवाब भी दिया जायेगा। उक्त मोबाइल नम्बर भी रमजान से सबंधित व अन्य दीनी मसायल पूछें जा सकते हैं। कुरआन हदीस की रौशनी में जवाब दिया जायेगा।
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सुन्नी

पहला रोजा

सहरी- 3.28

इफ्तार- 6.49

-दूसरा रोजा

सहरी- 3.27

इफ्तार- 6.51

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