अब 16 मई को हाईकोर्ट में गोरखपुर मीट कारोबारियों की होगी सुनवाई
शासन का दोहरा मापदंड : बड़े जानवर के मीट पर पाबंदी, बकरा-मुर्गा के मीट पर खुली छूट
-आखिर कब इनायत होगी योगी सरकार मीट कारोबारियों पर
गोरखपुर। बड़ा जानवर ( भैंस) काटने व उसका मीट बेचने पर पूरी तरह पाबंदी लगी हुई हैं। गुरुवार 11 मई को हाईकोर्ट में गोरखपुर मीट कारोबारियों की सुनवाई नहीं हे पायीं। अब यह सुनवाई 16 मई को होगी। खैर। वहीं बात करें बकरा- मुर्गा की तो वह धड़ल्ले से कट भी रहा हैं और उसका मीट दुकानों पर बिक व होटलों में सप्लाई भी हो रहा हैं। सरकार के इस दोहरे मापदंड से बड़े जानवर के मीट कारोबारी हतप्रभ हैं। बकरा-मुर्गा वालों के पास न तो खाद्य सुरक्षा विभाग से जारी लाइसेंस है और न ही रजिस्ट्रेशन। मीट की दुकानों के लिए लाइसेंस की शर्तों का पालन भी नहीं हो रहा हैं। लाइसेंस धारक दुकान पर पशु व पक्षी का वध नहीं कर सकता, लेकिन हो इसके उलट रहा हैं। बूचड़खाने से लिया गया वैध मीट ही बेच सकने की शर्त हैं लेकिन यहां तो बूचड़खाना बंद हैं। ऐसे में शहर की दुकानों पर ही बकरा-मुर्गा काट कर बेचा जा रहा हैं। बड़े जानवरों की तरह बकरा मीट की दुकानों का भी लाइसेंस एक्सपॉयर हो चुका हैं। वहीं अगर लाइसेंस हो तो भी सिर्फ मीट बेचने की परमिशन ही होती हैं लेकिन दुकानों पर बकरा काट कर बेचा जा रहा हैं। वहीं मुर्गा मीट की दुकानों के पास भी लाइसेंस नहीं हैं। इसके बावजूद मुर्गा का मीट काटा व बेचा जा रहा हैं। बड़े-बड़े होटलों में सप्लाई भी धड़ल्ले से हो रही हैं। शासन दोहरा मापदंड अपनाये हुए हैं। सारी कार्यवाहियां बड़ा जानवर (भैंस) काटने वालों पर हुई हैं। सरकार के फरमान के बाद बड़े जानवर के मीट कारोबारियों के हालत खराब हो चुके हैं। मीट कारोबारियों की मानें तो उन्हें हर दिन लाखों का नुकसान हो रहा है। मीट कारोबारियों का कहना हैं कि पुश्तैनी धंधे पर रोक लगा कर प्रदेश सरकार हम लोगों के साथ नाइंसाफी कर रही हैं। स्लाटर हाउस न बनाकर नगर निगम अपने दायित्व के प्रति संवेदन हीनता दिखा रहा है।
मीट कारोबारियों का कहना हैं कि सन् 2001 में जब स्लाटर हाउस बंद किया गया, तब हम लोगों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, उस समय हाई कोर्ट ने 3 सप्ताह के अंदर स्लाटर हाउस बनवाने के लिए नगर निगम को आदेश दिया था। नगर निगम ने वैकल्पिक व्यवस्था शहर से 27 किलोमीटर दूर भटहट बाजार में अस्थाई स्लाटर हाउस के रूप में दिया।
जिसके बाद उस समय के डीएम ने नगर आयुक्त के साथ बातचीत की लेकिन उसका कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका। निगम ने अपना अड़ियल रवैया अपनाते हुए फिर जाने को कहा और कहा कि जब तक भटहट नहीं जाओगे तब तक तुम लोगों के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा।
वहीं उस समय के एसएसपी ने कहा कि आप लोग अपने दुकान में काटकर और साफ सफाई के साथ अपना धंधा कर सकते हैं। जब तक इस समस्या का हल न हो जाए। उसके बाद सन् 2002 से आज तक लोगों के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं किया गया, अब प्रदेश में नई सरकार ने बूचड़खानों पर रोक लगा दिया हैं। अगर सरकार को कार्यवाही करनी थीं तो वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए। स्लाटर हाउस खोल कर वैध लाइसेंस उपलब्ध करवाना चाहिए।
शहर में बड़े जानवर की करीब डेढ़ सौ तो वहीं बकरे की करीब साढ़े छह सौ से अधिक दुकानें हैं वहीं चिकन की तीन हजार से अधिक दुकानें संचालित होती हैं। बड़े का मीट बेचने वाले होटलों का ही कारोबार मंदा पड़ा है। परेशानियों के मद्देनजर बड़े के मीट कारोबारियों ने हाईकोर्ट में रिट दाखिल कर स्लाटर हाउस खोलने की मांग की हैं।
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