शासन का नया फरमान : मदरसा आधुनिकीकरण योजना अाच्छादित मदरसों की होगी जांच


सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर। प्रदेश के करीब 500 से अधिक अनुदानित मदरसों की जांच के फरमान के बाद अब मदरसा आधुनिकीकरण योजना से आच्छादित मदरसों का निरीक्षण (जांच) कर डाटाबेस तैयार करने का निर्देश शासन ने जारी किया हैं। डाटाबेस तैयार करने के लिए 15 दिन का समय जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को सौंपा गया हैं। इस निर्देश के दो मकसद हैं  पहला, प्रदेश के समस्त मदरसा आधुनिकीकरण योजनान्तर्गत आच्छादित मदरसों का निरीक्षण कर डाटाबेस (सम्पूर्ण विवरण) तैयार करना और दूसरा इसी डाटाबेस के आधार पर भारत सरकार से वर्ष 2017-18 हेतु बजट की मांग करना। इस फरमान के तहत गोरखपुर के करीब 130 मदरसे आयेंगे। वहीं प्रदेश के करीब 6725 मदरसे हैं जिनका निरीक्षण कर डाटाबेस तैयार होगा। शासन ने निर्धारित प्रारुप पर सारी जानकारी मांगी हैं। संभावना यह भी हैं कि इस निरीक्षण के पूर्ण होने के बाद शासन की ओर से मदरसों का अकस्मिक निरीक्षण भी हो। मदरसा आधुनिकीकरण योजनान्तागर्त आच्छादित मदरसों के लिए निरीक्षण प्रपत्र पर मदरसे का नाम, मान्यता की तिथि, मान्यता का स्तर, आधुनिकीकरण योजना में लिए जाने का वर्ष, लाट संख्या, सोसाइटी का नाम, पंजीकरण संख्या, पंजीकरण की तिथि, यूडीआईएसई कोड, भवन का विवरण, कक्षों की माप, छात्र संख्या तहतानिया (कक्षा1 से 5 तक), फौकानिया (कक्षा 6 से 8 तक), मुंशी/मौलवी, आलिम, कामिल, फाजिल स्तर, शिक्षकों का विवरण, पढ़ायें जाने वाला विषय, नियुक्ति तिथि, शौक्षणिक योग्यता, अभ्युक्ति आदि सूचनाएं मांगी गयी हैं। अंत में सारी सूचनाओं का सत्यापन मदरसे के प्रधानाचार्य को करना हैं और अंत में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी की निरीक्षण आख्या/ टिप्पणी, दिनांक, समय व हस्ताक्षर  के साथ हस्ताक्षर होगी। निरीक्षण प्रपत्र जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को भेजना हैं।

-शिक्षकों को होगा फायदा : नवेद आलम
अखिल भारतीय मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ के मंडल अध्यक्ष नवेद आलम ने कहा कि डाटाबेस तैयार होने से मदरसा आधुनिकीकरण योजनान्तर्गत कार्यरत शिक्षको को फायदा हो सकता हैं। अलग-अलग लाट की वजह से मानदेय भेजने में सरकार को और मानदेय पाने में शिक्षकों को काफी दुश्वारी होती थीं। इसी वजह से शिक्षकों का चार वर्ष तो कहीं ढ़ाई वर्ष का मानदेय फंसा हुआ हैं। अगर सारे लाटों का एक में समायोजन होगा तो सरकार और शिक्षक दोनों को सहूलियत मिलेगी। इस सिलसिले में पिछले साल नई दिल्ली में संबधित विभाग के साथ मीटिंग हुई थीं और लाट वाली समस्या से अवगत कराया गया था। अगर सभी लाटों का समायोजन हो जाता हैं तो हो सकता हैं कि शिक्षकों को मानदेय माहवार मिलें।

-आधुनिकीकरण शिक्षक हमेशा उपेक्षित रहा : मोहम्मद आजम

अखिल भारतीय मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ के मीडिया प्रभारी मोहम्मद आजम ने बताया कि मदरसा आधुनिकीकरण योजनान्तर्गत प्रदेश में करीब 6725 मदरसे आच्छादित हैं। जिसमें करीब बीस हजार शिक्षक तैनात हैं। गोरखपुर में करीब 130 मदरसे इस योजना से आच्छादित हैं। जिसमें करीब 390 की तादाद में शिक्षक तैनात हैं। जो मदरसों में हिन्दी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित व सामाजिक विज्ञान की तालीम देते है। मदरसों की रीढ़ बने यह शिक्षक हमेशा उपेक्षित रहते हैं। इस तरह का निरीक्षण  सपा शासन काल में भी हुआ। लेकिन कुछ फायदा नही हुआ था। कई-कई साल का मानदेय बकाया हैं। जब तीन या छह महीने का मानदेय आता हैं तो कुछ मदरसों के प्रबंधक शिक्षक के मानदेय पर नजर गड़ा देते हैं और मेहनत से पढ़ाने वाला शिक्षक ठगा सा महसूस करता हैं।


-शायद सरकार मदरसों में सुधार करना चाहती हैं : बदरे आलम

अखिल भारतीय मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक बदरे आलम अंसारी ने कहा कि सरकार फीडबैक ले रही हैं ताकि इस योजना को और मजबूत बनाया जा सकें। इसके जरिए जो कमियां हैं शायद सरकार दूर करना चाहती हैं। संघ के पदाधिकारियों ने अभी हाल में सीएम से मुलाकात की थीं।सीएम ने आश्वासन दिया था कि इस योजना के लिए जो बेहतर हैं वह किया जायेगा ।


-शासन से अायी चिट्ठी का निर्देश

निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण उप्र द्वारा 12 मई को समस्त जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को भेजे गये पत्र में कहा गया हैं कि लाट संख्या 1891, 1446, 2108, 849, 456, 273, 672, 1506 (मान्यता की अलग-अलग फाइलों का समूह)  में आच्छादित मदरसों का विवरण आपके कार्यालय में अनुरक्षित होगा। भारत सरकार को वर्ष 2017-18 हेतु मांग पत्र शीघ्र प्रेषित किया जाना हैं। मांग पत्र प्रेषित करने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि एक मदरसे में तीन शिक्षक से अधिक का मांगपत्र प्रेषित नहीं किया जायेगा तथा मांग पत्र पर भारत सरकार की गाइड लाइन के अनुसार निर्धारित शैक्षिक योग्यता के आधार पर प्रेषित किया जायेगा। यदि किसी मदरसे में अतिरिक्त या उच्चीकृत शिक्षक का प्रस्ताव निदेशालय को प्रेषित किया गया हैं तो उसे इस सबंध में संलग्न प्रारुप पर निदेशालय को जिलाधिकारी के माध्यम से मांग पत्र निदेशालय को 15 दिन के अंदर उपलब्ध कराना सुनिश्चत करें। इस चिट्ठी में 17 मार्च 2017 का निर्देश व 31 जनवरी 2016 के शासनादेश का हवाला जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को दिया गया हैं। किसी तरह की खामी पाये जाने पर कार्यवाही जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी की होगी।

-मदरसों में हुई रमजान की छुट्टी, कैसे होगा निरीक्षण
मंगलवार से मदरसों में रमजान की छुट्टी हो गई हैं। अब 40 दिन तक मदरसा बंद रहेगा। 1 जुलाई को मदरसा खुलेगा। इससे निरीक्षण में कुछ दुश्वारी हो सकती हैं।
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मोदी सरकार ने मदरसा शिक्षकों का मानदेय तो योगी सरकार ने अनुदानित मदरसा शिक्षकों का वेतन रोका

गोरखपुर। मदरसा में आधुनिक शिक्षा की वकालत करने वाली मोदी  व योगी सरकार के कथनी और करनी में काफी अंतर हैं। जहां दोनों सरकारें मदरसों में आधुनिकीकरण शिक्षा को बढ़ावा देने के बात करती हैं वहीं शिक्षक का मानदेय व वेतन रोक कर रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा कर रही हैं। केंद्र सरकार  द्वारा संचालित मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत कार्यरत  शिक्षकों का करीब चार तो कहीं-कहीं ढ़ाई साल से मानदेय रुका हुआ हैं। सरकार ने आज तक माहवार मानदेय देने की व्यवस्था नहीं की। कभी तीन माह तो कभी छह माह का मानदेय ही भेजा। जिस वजह से शिक्षकों का चार साल तो कहीं ढ़ाई साल का मानदेय फंस गया। वहीं राज्य सरकार ने प्रदेश में अनुदानित मदरसों में काम करने वाले शिक्षक व कर्मचारियों का तीन माह का वेतन रोका हुआ हैं। इस समय अनुदानित मदरसों की जांच उरुज पर हैं। जांच रिपोर्ट 17 मई को शासन को सौंपनी हैं। 20 मई को सीएम के समक्ष विभागीय प्रस्तुतिकरण होना हैं। मानदेय व वेतन रुकने से मदरसा शिक्षकों में आक्रोश हैं। घर चलाने में दुश्वारी पैदा हो गई हैं।

अखिल भारतीय मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ के मंडल अध्यक्ष नवेद आलम ने बताया कि गोरखपुर में करीब 130 मदरसे केंद्र सरकार द्वारा संचालित मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत आच्छादित हैं। जिसमें करीब 390 शिक्षक कार्यरत हैं। अव्वल तो इन्हें सरकार माहवार वेतन नहीं दे पा रही हैं और इसी वजह से शिक्षकों का करीब चार और ढ़ाई साल का मानदेय रुका हुआ हैं। इन्हीं शिक्षकों पर मदरसों में हिन्दी, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, अंग्रेजी पढ़ाने का दारोमदार हैं। यह शिक्षक योगी दरबार में भी गुहार लगा चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। रोजी-रोटी, चिकित्सा समेत तमाम दुश्वारियों से दो चार होना पड़ रहा हैं। यहीं हाल रहा तो शिक्षक भुखमरी के कागार पर पहुंच जायेंगे।
वहीं राज्य सरकार ने अनुदानित मदरसों का तीन माह का वेतन रोका हुआ हैं। गोरखपुर में दस अनुदानित मदरसे हैं। जिसमें करीब 150 शिक्षक व कर्मचारी कार्यरत हैं। मदरसा शिक्षकों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया हैं। वहीं राज्य सरकार वेतन रोक अनुदानित मदरसों की जांच करा रही हैं। मदरसा शिक्षक जांच से परेशान नहीं हैं बल्कि वेतन रोके जाने से आक्रोशित हैं।

टिप्पणियाँ

  1. यह सुधार नही होने देना चाहते हैं प्रबन्धक अपनी मनमानी करना चाहते हैं बिल बनाने के नाम पर सौदा करते है।शोषण से कब मिलेगी मुक्ति

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