गोरखपुर में थ्रीडी के जरिए हज प्रशिक्षण, गूंजी अल्लाहुम्मा लब्बैक की सदाएं
गोरखपुर । शहर में शनिवार को ‘लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक’ की सदाएं गूंजी। मौका था हज के लिए प्रशिक्षण कैंप का। शहर और देहात से आए सैकड़ों लोगों ने हज के अरकान की बारीकियां सीखीं। एहराम बांधने से लेकर कुरबानी तक की बारीकियां समझाईं गई।
ऊंचवा स्थित आईडीयल मैरेज हाउस में शनिवार को तहरीक दावत-ए-इस्लामी हिन्द की जानिब से हज प्रशिक्षण कैंप का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण थ्रीडी व एलईडी के जरिए हुआ। इस मौके पर बताया गया जब हज के लिए निकलें तभी नीयत कर लें। हज के दौरान किस तरह रहना है। मदीना में कितने दिन ठहरना और मक्का में कब जाना है। किस तरह हज की खास पोशाक एहराम बांधनी है। किस तरह तवाफ करना है। साथ ही कुरबानी से लेकर सिर मुंडाने तक के मसायल की बारीकियां बताई गईं।
उन्नाव से आये ओवैस अत्तारी ने बताया कि हज बेहद अहम इबादत है। इस्लाम का अहम फरीजा है। इसमें सबसे अहम खुलूस है। दिखावे का नाम हज नहीं है। हज मकबूल अल्लाह की रजा के लिए है। नबी-ए-पाक ने फरमाया कि हज-ए -मकबूल करने वाला ऐसा होता है मानो आज ही मां के पेट से पैदा हुआ हो। उसके सभी गुनाह माफ हो जाते हैं।
उन्होंने प्रैक्टिकल के जरिए हज अदा करने के एक-एक अरकान को बारीकी से बताया । एहराम, तवाफ, दौड़, शैतान को कंकड़ मारना, मुकद्दस मकामात पर पढ़ी जाने वाली दुआओं पर रौशनी डाली ।
अबु तलहा अत्तारी ने कहा कि हज इस्लाम का अहम फरीजा है। इसे खुलूसों दिल से अदा करना चाहिए। उन्होंने हज यात्रियों को घर से रवाना होने से लेकर लौटकर आने तक के सारे मसलों और आने वाली समस्याओं और उनके हल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी ।
प्रशिक्षण में थ्रीडी तकनीक का प्रयोग करके इलेक्ट्रानिक डिवाइस के द्वारा प्रैक्टिकल तरीका और हज के पवित्र स्थानों को दिखाकर हज यात्रियों को प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण में एलईडी 12 बाई 8 की एवं कम्पयूटर का प्रयोग किया गया ।
यात्रियों को मौलाना इलियास अत्तारी द्वारा लिखित पुस्तक रफीकुलहरमैन मुफ्त बांटी गयी।
इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत तिलावत कलाम पाक से मोहम्मद फरहान अत्तारी ने की। नात शरीफ आदिल अत्तारी ने पढ़ी। संचालन अबुतलहा अत्तारी ने व अध्यक्षता वसीउल्लाह अत्तारी ने की।
अंत मेे सलातो सलाम पढ़ कौमों मिल्लत के अमन व सलामती की दुआ की गयी।
इस मौके पर मोहम्मद आजम अत्तारी, सेराज अहमद, अली अहमद राईन, सुहेल अहमद, मोहम्मद रमजान अत्तारी, हाफिज मोईनुद्दीन, हमीदुल्लाह, रिजवान, मौलाना अबुल कलाम, सदरुल हक आदि मौजूद रहे।
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