मोहर्रम की दसवीं तारीख को कयामत भी आयेगी
मोहर्रम अरबी साल का पहला महीना है और आखिरी व बारहवां महीना जिलहिज्ज है। यूं तो जिस भी महीने का चांद नमूदार होता है वह कोई अहम चीज की याद जरूर अपने दामन मंे छुपाये होता है ।तो जैसे ही चांद निकलत है उसकी याद ताजा हो जाती है या तो खुशी से झूम उठता है या फिर गमगीन हो जाता है। जैसे अभी जिलहिज्जा का महीना गुजरा उसने हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व इस्माईल अलैहिस्सलाम की याद ताजा किया और लोगों ने सुन्नते इब्राहीमी अदा किया। लेकिन मोहर्रम का महीना सिर्फ किसी एक चीज को याद नहीं दिलाता है और न ही इसके दामन में कोई एक वाक्या छुपा हुआ है बल्कि जितने भी अहम वाक्ये और यादें है अक्सर का तअल्लुक इसी महीने से है। शहरे हराम वैसे तो वह महीने जिनको शहरे हराम कहा जाता है वह चार है रजब, जिकादा, जिलहिज्ज, मोहर्रम लेकिन जब मुत्लक शहरे हराम बोला जाता है तो मोहर्रम का ही महीना समझा जाता है।
यू ंतो पूरा मोहर्रम बा बरकत हुरमत का हामिल और फजिलत वाला है। लेकिन उसमे खासतौर से दसवीं तारीख जिसे आशूरा कहा जाता हैं । वह बहुत ही फजीलत का हामिल है। साहिबे नुजहतुल मजालिस तहरीर फरमाते है कि आसमान व जमीन, कलम को अल्लाह तआला ने इसी दिन पैदा फरमाया हम अपने को आदमी कहते हे जिसका सिलसिला आदम व हव्वा से शुरूहुआ उनकी भी अल्लाह तआला ने मोहर्रम ही की दसवीं तारीख को अपने करम से वजुद बख्शा।
और आदम अलैहिस्सलाम की तीन सौ साल के बाद दसवीं मोहर्रम को ही कुबूल फरमाया इसी तारीख को हजरत नूह की किश्ती भी जुदी पहाड से लगी। हजरते इब्राहीम मरतबे खिल्लत से नवाजे गये हजरते याकूब सेहजरत युसूफ बिछड़ गये थे चालिस साल के बाद इसी तारीख में मुलाकात हुई। हजरत इद्रीस आसमान पर उठाये गये। हजरत अयूब सेहतयाब हुये हजरत सुलैमान जो पूरी दुनिया पर हुकूमत करते थ्ेा। इसी माह की दसवीं तारीख को अल्लाह तआला ने अता फरमाया। हमारा अकीदा है कि हजरत ईसा जिन्दा है और उन्हें कयामत के करीब अल्लाह तआला दुनिया में भेजेगा। उनको इसी महीना मोहर्रम की दसवीं तारीख को आसमान पर उठाया गया। हजरत उमर को मजूसी गुलाम ने खंजर से जख्मी कर दिया औरआप की शहादत इस महीने में हुई। यह महीना औरयह तारीख बहुत अहमियत व फजीलत का हामिल है। इस लिए अल्लाह तआला ने सैयदना इमाम हुसैन को शहादत से सरफराज फरमाया और इसी तारीख को कयामत भी कायम होगी।
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