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पैगंबर-ए-इस्लाम की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं - मुफ्ती अख्तर

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- इस्लाम में शराब व प्रत्येक नशे वाली चीज हराम - मुफ्ती अजहर -'महफिल-ए-सीरतुन्नबी' दर्स का 10वां दिन गोरखपुर। पैगंबर-ए-इस्लाम की शिक्षाओं पर मनन किया जाए तो दो बातें उनमें सबसे अहम हैं। पहली, पैगंबर-ए-इस्लाम की शिक्षाएं किसी एक देश या धर्म के लिए नहीं हैं। वह सबके लिए हैं। दूसरी, उनकी शिक्षाएं आज से डेढ़ हजार साल पहले जितनी प्रासंगिक थीं, वह आज भी प्रासंगिक हैं। उक्त बातें गुरूवार को मुफ्ती अख्तर हुसैन (मुफ्ती-ए-गोरखपुर) ने नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां पर 12 दिवसीय 'महफिल-ए-सीरतुन्नबी' दर्स के 10वें दिन कहीं। उन्होंने कहा सारी मखलूक़ अल्लाह की रज़ा चाहती है और अल्लाह पैगंबर-ए-इस्लाम की रज़ा चाहता है और आप पर दुरुदों सलाम भेजता है। अल्लाह ने अपने नाम के साथ आपका नाम रखा, कलमा, अज़ान, नमाज़, क़ुरआन में, बल्कि हर जगह अल्लाह के नाम के साथ पैगंबर-ए-इस्लाम का नाम है। आपकी मोहब्बत के बग़ैर कोई मुसलमान नहीं हो सकता, क्योंकि आपकी मोहब्बत ईमान की शर्त है। पैगंबर-ए-इस्लाम ने जहां सबके साथ सही इंसाफ करना, यतीमों, गरीबों, मजलूमों, बेसहारों की...

गोरखपुर में है महान सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलज़ी की निशानी

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सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' को लेकर देशभर में हो रहे हो हल्ले के बीच सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी फिर से सुर्खियों में है। जमाने भर में उनके नाम पर बवाले मचा हुआ है। सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली के पहले ऐसे महान शासक थे जिन्होंने कालाबाजारी रोकने के लिए वस्तुओं के दाम तय किए और कीमतें घटाईं। बाजार नियंत्रण में उनका कोई सानी नहीं था। अलाउद्दीन खिलजी खुले दरबार में न्याय करते थे। वह योग्य सेनानायक, अर्थ विशेषज्ञ, अनुभवी राजनीतिज्ञ व मध्यकालीन शासकों के समान सर्वशक्तिमान, ईमानदार व परेहजगार शासक थे। सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी का ताल्लुक गोरखपुर से भी जुड़ गया है। शहर में अलीनगर के रहने वाले कृष्ण चंद रस्तोगी के पास अलाउद्दीन खिलजी के खजाने के कुछ नायाब सिक्के मौजूद हैं। जो सुल्तान अलाउद्दीन व खिलजी वंश की याद दिलाते हैं। यहीं नहीं इनके संग्रह में लोदी, तुगलक, मुगल वंश के खजाने के नायाब सिक्के भी गुजरे जमाने की दास्तान बयां करते हैं। वहीं मैसूर के शेर टीपू सुल्तान, हैदर अली व शेर शाह सूरी का सिक्का भी इनके संग्रह की शोभा बढ़ा रहा  हैं। 175 ...

रसूल-ए-पाक ने खत्म किया जात-पात, रंग-नस्ल, अमीर-गरीब का भेद - मौलाना मकसूद

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-'महफिल-ए-सीरतुन्नबी' दर्स का 7वां दिन गोरखपुर। नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां पर 12 दिवसीय 'महफिल-ए-सीरतुन्नबी' दर्स के 7वें दिन सोमवार को दरगाह मस्जिद के इमाम मौलाना मकसूद आलम ने कहा कि रसूल-ए-पाक का अन्तिम हज संबोधन (हज्जतुल विदा का खुत्बा) इस्लाम के व्यक्तिगत और सामूहिक नैतिकता और इस्लामी शरीयत के नियम का एक व्यापक संविधान है। रसूल-ए-पाक के 23 वर्षीय संघर्ष का सारांश और इस्लामी शिक्षाओं का सार है। आखिरी संबोधन में रसूल-ए-पाक ने फ़रमाया तुम्हारा रब एक है। अल्लाह की किताब और मेरी  सुन्नत को मज़बूती से पकड़े रहना। लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़्याल रखना। ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा। कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब भी न फटकना। किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर। न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर। प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा (धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आ...

रसूलल्लाह के सदके मे बनीं सारी दुनिया - मौलाना मकसूद

-'महफिल-ए-सीरतुन्नबी' दर्स का तीसरा दिन गोरखपुर। नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां पर 12 दिवसीय 'महफिल-ए-सीरतुन्नबी' दर्स के तीसरे दिन गुरुवार को मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने कहा कि सारी दुनिया गैब दां आखिरी रसूल हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के सदके व तुफैल बनायी गयी। आप सारी दुनिया के लिए रहमत है। जब हजरत आदम अलैहिस्सलाम की तखलीक (बनाये गए) हुई तो हर जुमा ईद हो गयी। तो जो हजरत आदम के भी रसूल हैं, उनके पैदा होने पर तो पूरे साल खुशियां मनानी चाहिए। ईद मिलादुन्नबी (रसूलल्लाह की पैदाइश का दिन) न होती तो ईद-उल-फित्र व ईद-उल-अज़हा की खुशियां भी न मिलती। ईद मिलादुन्नबी ईदों की ईद है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग व संगठन मुसलमान होने का दावा कर दहशतगर्दी फैला रहे है। वह इस्लाम के नाम को बदनाम कर रहें है। इस्लाम का दहशतगर्दी से दूर तक कोई वास्ता नहीं है। इस्लाम अमन व मुहब्बत का मजहब है। रसूलल्लाह ने ईसाई, यहूदी सहित तमाम मजहब वालों के साथ बेहतरीन सुलूक किया। उसी का नतीजा है कि आज दुनिया में इस्लाम का बोल बाला है। इस्लाम तलवार के जोर पर नहीं बल्कि अ...

गोरखपुर नगर निगम चुनाव -- जनाब ने रोके कदम, वार्ड की तरक्की पर बेपरवाह

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-हाल-ए-मुस्लिम बहुल वार्ड में मतदान सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। नगर निगम चुनाव में मतदान के प्रति जनता ने कोई रूचि नहीं दिखाई है। वोटर लिस्ट में खामियां जो भी रही हो लेकिन जिनके नाम वोटर लिस्ट में थे वह तो वोट डालने नहीं आए। नगर निगम के 70 वार्डो में मतदान प्रतिशत में काफी गिरावट दर्ज की गयी है। ज्यादातर वार्डों में मतदान प्रतिशत 40 फीसद के अंदर सिमट गया। मुस्लिम बहुल वार्ड भी इससे अछूते नहीं रहे। जनाब के कदम बूथ तक कम ही गये। जिससे जाहिर हुआ कि न तो जनाब को नगर की तरक्की में रुचि हैं और न ही वार्ड की। किसी भी वार्ड में पचास फीसद तक मतदान नहीं हुआ। ऐसे में जनाब किसी भी पार्षद से विकास के लिए कहेंगे  कैसे, जब आप मतदान करेंगे नहीं। मतदान न करने का खामियाजा जनता के पांच साल तक भुगतना पड़ेगा। जाफरा बाजार वार्ड में सबसे ज्यादा प्रत्याशी थे। यहां मतदान करने आये सिर्फ 4604 के करीब। इसी तरह  इस्माईलपुर में 4362, तुर्कमानपुर में 4983, नरसिंहपुर में 4598, दीवान बाजार में 3787, सूरजकुंड धाम में 4400, इलाहीबाग में 4553, रसूलपुर में 5604, तिवारीपुर में 4489, मुफ्तीपुर में 3399 व पुराना ...

आला हजरत 14वीं सदी हिजरी के युग प्रवर्तक-समाज सुधारक - मुफ्ती मुजीब

-99वां उर्स-ए-आला हजरत पर तुर्कमानपुर नूरी मस्जिद पर जलसा -मुफ्ती अजहर शम्सी की किताब "रसूलल्लाह की बशारत, सहाबा किराम की शहादत" का हुआ विमोचन गोरखपुर। नागपुर महाराष्ट्रा के  प्रमुख धार्मिक गुरु मुफ्ती मोहम्मद मुजीब अशरफ ने कहा कि आला हजरत इमाम अहमद रजा खां अलैहिर्रहमां बहुत बड़े मुजद्दिद, मुहद्दिस, मुफ्ती, आलिम, हाफिज़, लेखक, शायर, धर्मगुरु, भाषाविद्,  युग प्रवर्तक तथा समाज सुधारक थे। सिर्फ 13 वर्ष की कम आयु में मुफ्ती की श्रेणी ग्रहण की। उन्होंने इस्लाम, साइंस, अर्थव्यवस्था और कई उलूम पर एक हजार से ज्यादा किताबें लिखीं। उनको 55 से ज्यादा विषयों पर महारत हासिल थी। उनका एक प्रमुख ग्रंथ 'फतावा रजविया' इस सदीं के इस्लामी कानून का अच्छा उदाहरण है जो 30 हिस्सों में  है। उर्दू जुबान में कुरआन का तर्जुमा 'कन्जुल ईमान' विश्वविख्यात हैं। उलेमा-ए-अरब व अजम सबने आप की इल्मी लियाकत को तस्लीम किया। आला हज़रत 14वीं सदी हिजरी के नवजीवनदाता (मुजद्दिद) है। जिन्हें उस समय के प्रसिद्ध अरब व अजम के विद्वानों ने यह उपाधि दी। यह बातें उन्होंने बतौर मुख्य वक्ता मोहल्ल...

आला हजरत ने रसूलल्लाह की सुन्नतों को जिंदा किया - मौलाना मसूद

-कुल शरीफ के साथ 99वां उर्स-ए-आला हजरत संपन्न गोरखपुर। 14वीं सदी हिजरी के मुजद्दीद आला हजरत इमाम रजा खां अलैहिर्रहमां का 99वां उर्स-ए-पाक शहर में विभिन्न जगहों पर कुल शरीफ की रस्म के साथ संपन्न हुआ। मदरसा दारूल उलूम अहले सुन्नत मजहरूल उलूम घोसीपुरवां में उर्स-ए-आला हजरत के मौके पर आयोजित जलसे में अलजामियतुल अशरफिया मुबारकपुर के मौलाना मसूद अहमद बरकाती ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि आला हजरत ने हिंद उपमहाद्वीप के मुसलमानों के दिलों में अल्लाह और पैगम्बर मुहम्मद सल्लल्लाहौ तआला अलैहि वसल्लम के प्रति प्रेम भर कर और पैगम्बर मुहम्मद  सल्लल्लाहौ तआला अलैहि वसल्लम की सुन्नतों को जिंदा किया। आपने एक हजार से ज्यादा किताबें लिखीं। आपके द्वारा कुरआन शरीफ का किया गया शानदार उर्दू तर्जुमा "कंजुल ईमान"  पूरी दुनिया में मकबूल है। आपका "फतावा रजविया" इस्लामी कानून का इंसाइक्लोपीडिया हैं। यह देश की खुशनसीबी है कि आला हजरत भारत के मशहूर शहर बरेली में पैदा हुए। इनकी शुरूआती तालीम अपने पिता हजरत नकी अली खां अलैहिर्रहमां के द्वारा हुई। हजरत शाह आले रसूल मारहरवी और शाह अबुल हुसैन नूरी...

योगी सरकार में अल्पसंख्यकों के हाथ खाली, छात्रवृत्ति के अलावा कुछ नहीं

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गोरखपुर। फिलहाल 'सबका साथ सबका विकास' जुमले में  अल्पसंख्यक फिट नहीं बैठ रहे हैं। वजह अल्पसंख्यकों के विकास के लिए सरकार के पास कोई ठोस योजनाएं ही नहीं है। सालों पुरानी छात्रवृत्ति व मदरसों के आधुनिकीकरण के अलावा सरकार कोई योजना नहीं है। जिसमें प्री-मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक, मेरिट-कम-मीन्स योजना व मदरसा आधुनिकीकरण योजना योजना सालों पुरानी व केंद्र सरकार की हैं। जब से इन   छात्रवृत्ति योजनाओं में तहसील से बना आय, निवास, जाति प्रमाण पत्र व आधार प्रमाण पत्र आदि अनिवार्य किया गया हैं, तबसे फार्म भरने वालों की रुचि बहुत घटी  हैं। मदरसों में तो इस योजना की हालत दयनीय हैं। रुचि घटने की एक वजह और भी हैं छात्रवृत्ति लिस्ट में नाम आने के बाद खाते में पैसा न आना। वहीं केंद्र सरकार की मदरसा आधुनिकीरण योजना का भी बुरा हाल हैं। कई सालों से मानदेय लटका पड़ा हैं। गनीमत यह हैं कि सपा सरकार द्वारा इस योजना के तहत रखे गए शिक्षकों को माहवार 2000 व 3000 रुपया अंशदान देने की योजना योगी सरकार ने अभी तक बंद नहीं की हैं। कुल मिलाकर प्रदेश सरकार अल्पसंख्यकों के लिए छात्रवृत्ति योजना ही चला रही हैं...

मुस्लिम बाहुल्य वार्डों में पार्टियों की खींचातान, दिलचस्प लड़ाई में उलझी सीटें

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-गोरखपुर नगर निगम चुनाव - मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देने में सपा -बसपा आगे सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। नगर निगम चुनाव मतदान की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है। सभी पार्टियों व उम्मीदवारों की धड़कने तेज हो गई है। प्रचार-प्रसार बेहद उरूज पर है। पर्चा दाखिला की कार्यवाई मुकम्मल हो चुकी है। सपा, पीस पार्टी, आप, कांग्रेस, एआईएमआईएम, भाजपा व बसपा मुस्लिम बाहुल्य मतदाता वार्डो में जी-जान से जुट गयी है। पीस पार्टी, एमआईएम, आप ने तो सिर्फ मुस्लिम बाहुल्य मतदाता वाले क्षेत्रों में मुस्लिम उम्मीदवारों को ही उतारा है अन्य बड़ी पार्टियों ने भी ऐसा ही किया है। वहीं भाजपा ने मुस्लिम बाहुल्य मतदाता वाले वार्ड चक्शा हुसैन में ही मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है। सभी पार्टियों की दिलचस्पी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों व मुस्लिम वोटरों में है। जिसका नतीजा यह हुआ कि दर्जन भर मुस्लिम बाहुल्य वार्डों में पार्टियों ने उम्मीदवार भी  मुस्लिम ही उतारा है। जिस वजह से मुस्लिम वोट जमकर सभी पार्टियों में बंटेेंगे। जिसका फायदा कहीं न कहीं भाजपा को होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। मुस्लिम वोटों में बिखरा...

गोरखपुर के सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने छत पर उगानी शुरू कर दी सब्जियां

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- छत पर उगी सब्जियां खाने की प्लेट में सीधे पहुंचती -खुद से तैयार करते जैविक खाद -यूट्यूब बना मददगार, ऑनलाइन खरीदा हाईब्रिड बीज सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। इक पत्थर की भी तक़दीर संवर सकती है शर्त ये है कि सलीक़े से तराशा जाए इस शेर पर अमल पैरा होते हुए सूफी कंपाउंड में रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर इश्तियाक अहमद ने टूटे-फूटे मग, डिब्बे, बाल्टी, सीमेंट की बोरी, बर्तन, घर के कूड़े सहित अन्य बेकार चीजों को न केवल सलीके से संवारा बल्कि ऐसा सद्पयोग किया कि घर वालों की प्लेट में स्वस्थ व कीटनाशक-रसायन रहित सब्जियां पहुंचा दी। घर की तमाम बेकार चीजों से इन्होंने अपने छत पर सब्जी की खेती शुरू की और दर्जनों सब्जियां उगा डाली। हालांकि यह काम शुरू किए हुए इन्हें छह से सात माह  गुजरे है लेकिन परिणाम बहुत  बेहतर है। मूली, बैंगन, धनिया पालक, मिर्चा, सोया, शिमला मिर्च आदि तैयार भी हो चुके है और खाने की मेज पर पहुंचने भी लगे है। इश्तियाक अहमद ने बताया कि जब उन्हें अखबार व टीवी के माध्यम से पता चलता था कि सब्जियों में तरह-तरह कीटनाशक व रासयनिक पदार्थों का प्रयोग होता है...

एक सफर - अयोध्या यानी खुर्द मक्का जहां आज भी जियारत आम है पैगंबर हजरत शीस की मजार

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-गोरखपुर टू देवा शरीफ वॉया अयोध्या  -आंखों देखी सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। अयोध्या हमेशा सुर्खियों में रहा आज भी है और कल भी रहेगा।  22 अक्टूबर को मुझे भी अयोध्या जाने का इत्तेफाक हुआ। मैं पैगंबर हजरत शीस अलैहिस्सलाम की मजार देखने की उत्सुकता में अयोध्या गया। रास्ते में शहीद बाबरी मस्जिद की मजबूत बुनियाद भी देखी । राहगीरों ने बताया कि बाबरी मस्जिद की तरफ उंगली से इशारा भी न करना। मैंने जानने की कोशिश भी नहीं कि क्यों? खैर। मैंने एक दिन में देवा शरीफ (बाराबंकी) में हजरत वारिस पाक रहमतुल्लाह अलैह व अयोध्या में पैगंबर हजरत शीस अलैहिस्सलाम के मजार की जियारत (दर्शन) की और अयोध्या में ही दोपहर की सुकून के साथ नमाज अदा की और खुर्द मक्का देखा। अयोध्या को खुर्द मक्का भी कहते है। खैर। दो दिवसीय मेरी यात्रा इत्तेफाकन शुरू हुई। शनिवार 21 अक्टूबर को तुर्कमानपुर से मेरे पास मनौव्वर अहमद का फोन आया देवा शरीफ (बाराबंकी) हजरत वारिस पाक के उर्स में चलने का। मैं कभी देवा शरीफ गया नहीं था। इसलिए न नकुर करते हुए तैयार हो गया। लालडिग्गी बंधे पर पेट्रोल पम्प के पास आल्टो कार में सभी ...