गोरखपुर के सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने छत पर उगानी शुरू कर दी सब्जियां







- छत पर उगी सब्जियां खाने की प्लेट में सीधे पहुंचती

-खुद से तैयार करते जैविक खाद

-यूट्यूब बना मददगार, ऑनलाइन खरीदा हाईब्रिड बीज

सैयद फरहान अहमद

गोरखपुर।
इक पत्थर की भी तक़दीर संवर सकती है
शर्त ये है कि सलीक़े से तराशा जाए

इस शेर पर अमल पैरा होते हुए सूफी कंपाउंड में रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर इश्तियाक अहमद ने टूटे-फूटे मग, डिब्बे, बाल्टी, सीमेंट की बोरी, बर्तन, घर के कूड़े सहित अन्य बेकार चीजों को न केवल सलीके से संवारा बल्कि ऐसा सद्पयोग किया कि घर वालों की प्लेट में स्वस्थ व कीटनाशक-रसायन रहित सब्जियां पहुंचा दी। घर की तमाम बेकार चीजों से इन्होंने अपने छत पर सब्जी की खेती शुरू की और दर्जनों सब्जियां उगा डाली। हालांकि यह काम शुरू किए हुए इन्हें छह से सात माह  गुजरे है लेकिन परिणाम बहुत  बेहतर है। मूली, बैंगन, धनिया पालक, मिर्चा, सोया, शिमला मिर्च आदि तैयार भी हो चुके है और खाने की मेज पर पहुंचने भी लगे है।

इश्तियाक अहमद ने बताया कि जब उन्हें अखबार व टीवी के माध्यम से पता चलता था कि सब्जियों में तरह-तरह कीटनाशक व रासयनिक पदार्थों का प्रयोग होता है, जो स्वास्थय पर बुरा असर डालते है तो मन विचलित होता जाता था। इन्हीं सब कशमकश के बीच घर की छत पर सब्जी उगाने का फैसला लिया। यूट्यूब की मदद से जैविक खाद बनाने का तरीका सीखा। घर से निकलने वाले तमाम अपशिष्ट पदार्थों को इकट्ठा किया। पास-पड़ोस से भी अपशिष्ट पदार्थ इकट्ठा किया। घर की छत पर ड्रम आदि खराब सामानों में जैविक खाद बनाना शुरू किया। 50 दिन में खाद तैयार बन कर तैयार हो गई फिर ऑनलाइन हाईब्रिड वाले टमाटर, मूली, शिमला मिर्च, बैंगन के बीज खरीदे। कुछ सब्जियों के बीज गोलघर से भी खरीदें। फिर 100 पार्ट वाली कई सीड ट्रे में मिट्टी व जैविक खाद में बीज रोपित किए। जब नन्हे पौधे तैयार हो गए तो घर के टूटे मग, बाल्टी, डिब्बा, सीमेंट की बोरी इक्ट्ठा की और नन्हें पौधौं को उक्त तमाम बर्तनों में लगाया। यह सारी विधि यूट्यूब के माध्यम से सीखीं और प्रयोग की। धीरे-धीरे सब्जियां तैयार होने लगी जिसे देखकर मन में खुशी की लहर दौड़ गई और इस कार्य को आगे बढ़ाने की प्रेरणा मिलीं। फिर क्या था घर के तमाम टूटे-फूटे सामानों को इक्ट्ठा करके पांच सौ स्कवायर फीट छत पर खेती शुरु कर दी। आज तकरीबन छत पर टमाटर, मूली, शिमला मिर्च, सोया, हरा मिर्च, मेथी, पालक, गाजर सहित दर्जन भर सब्जियां उगी हुई है। कुछ तैयार भी हो गई है और कुछ तैयार होने के कागार पर हैं। यह तमाम सब्जियां कीटनाशक रहित है जो छत से खाने की मेज पर डायरेक्ट पहुंचती है।
इश्तियाक ने बताया कि उन्हें इस छत की छोटी से खेत  की देखभाल के लिए  सुबह 2-3 घंटा देना पड़ता है। धूप-छांव, पानी, हवा, मिट्टी का खास ख्याल रखना होता है। कीड़े वगैरह से पौधों की देखभाल करनी पड़ती है। इस कार्य की वजह से उन्हें सेहत में काफी सुधार महसूस होता है वहीं उनका बढ़ा वजन भी घटा है। हालांकि अभी जो सब्जियां हो रही है उसका उपयोग इनका परिवार ही करता है, लेकिन पास-पड़ोस इनके इस कार्य से काफी मुतास्सिर नजर आते है और यह पूरी उम्मीद की जा रही है कि इनके पास-पड़ोस में भी छत पर सब्जियाें की खेती नजर आये। वैसे इश्तियाक के छत पर फूलों की भी छोटी सी बगियां है। वह सब्जी की खेती  को और आगे बढ़ाना चाहते है। वह कहते है कि बाजार में तरह-तरह की रासायनिक खाद व कीटनाशकों से भरपूर खूब सुंदर आकर्षक सब्जियां मिलती हैं। ऐसे में घर में जैविक खाद में उगाई और हानिकारक कीटनाशकों से रहित सब्जियां स्वास्थ्यवर्धक होती हैं।

इश्तियाक की इस प्रकार खेती करने का गुर सीखने के लिए भी पास-पड़ोस के लोग उनसे टिप्स लेते हैं। उनके हौसले और खेती के इस नए तरीके को सभी लोग सराहते हैं। उन्होंने बताया कि सब्जियां उगाने का एक ढंग तो है कि पुराने व्यर्थ पड़े सिंक, टब, बाल्टियों, लकड़ी की पेटियों के साथ-साथ छत पर ही नीचे प्लास्टिक की मोटी चादर बिछा कर उस पर शाक वाली सब्जियां लगाई जा सकती हैं। बस ध्यान रखना होगा कि पानी के निकास की व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए। छत पर सब्जियां उगाने में खर्चा कम है मेहनत ज्यादा। इस मेहनत से स्वास्थय पर अच्छा असर भी  पड़ता है एक तरह से वर्जिश भी हो जाती है।

-आप भी घर की छत पर उगा सकते हैं सब्जियां
इश्तियाक अहमद के पड़ोस में रहने वाले रशाद लारी बताते है कि घर पर उगी सब्जियां खाने का मजा ही कुछ और है। अगर आपके पास जगह कम है तो घर की छत पर ही सब्जियां उगा सकते हैं। यदि आपके पास छोटा घर है या फ्लैट में रहते हैं और जमीन के नाम पर मात्र छोटी-सी छत है तो भी निराश होने की जरुरत नहीं है।  छत पर भी पुराने टब, बाल्टियों, बोरियों, डिब्बों, पेटियों का सदुपयोग हो सकता है और थोड़ा सा प्रयत्न करने पर मेथी, पालक, हरा धनिया, पुदीना, सलाद ही नहीं, टमाटर, बैंगन व गोभी आदि सभी सफलतापूर्वक उगा कर भोजन की प्लेट को स्वास्थ्यवर्धक बनाया जा सकता है।गोरखपुर के साफ्टवेयर इंजीनियर ने छत पर उगानी शुरू कर दी सब्जियां


स्थ्यवर्धक बनाया जा सकता है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

*गोरखपुर में डोमिनगढ़ सल्तनत थी जिसे राजा चंद्र सेन ने नेस्तोनाबूद किया*

*गोरखपुर में शहीदों और वलियों के मजार बेशुमार*

जकात व फित्रा अलर्ट जरुर जानें : साढे़ सात तोला सोना पर ₹ 6418, साढ़े बावन तोला चांदी पर ₹ 616 जकात, सदका-ए-फित्र ₹ 40