रसूल-ए-पाक ने खत्म किया जात-पात, रंग-नस्ल, अमीर-गरीब का भेद - मौलाना मकसूद



-'महफिल-ए-सीरतुन्नबी' दर्स का 7वां दिन


गोरखपुर। नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां पर 12 दिवसीय 'महफिल-ए-सीरतुन्नबी' दर्स के 7वें दिन सोमवार को दरगाह मस्जिद के इमाम मौलाना मकसूद आलम ने कहा कि रसूल-ए-पाक का अन्तिम हज संबोधन (हज्जतुल विदा का खुत्बा) इस्लाम के व्यक्तिगत और सामूहिक नैतिकता और इस्लामी शरीयत के नियम का एक व्यापक संविधान है। रसूल-ए-पाक के 23 वर्षीय संघर्ष का सारांश और इस्लामी शिक्षाओं का सार है। आखिरी संबोधन में रसूल-ए-पाक ने फ़रमाया तुम्हारा रब एक है। अल्लाह की किताब और मेरी  सुन्नत को मज़बूती से पकड़े रहना। लोगों की जान-माल और इज़्ज़त का ख़्याल रखना। ना तुम लोगो पर ज़ुल्म करो, ना क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जायगा। कोई अमानत रखे तो उसमें ख़यानत न करना। ब्याज के क़रीब भी न फटकना। किसी अरबी को किसी अजमी (ग़ैर अरबी) पर कोई बड़ाई नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर। न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर। प्रमुखता अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा (धर्मपरायणता) व परहेज़गारी से है अर्थात् रंग, जाति, नस्ल, देश, क्षेत्र किसी की श्रेष्ठता का आधार नहीं है। बड़ाई का आधार अगर कोई है तो ईमान और चरित्र है। तुम्हारे ग़ुलाम, जो कुछ ख़ुद खाओ, वही उनको खिलाओ और जो ख़ुद पहनो, वही उनको पहनाओ। अज्ञानकाल के सभी ब्याज ख़त्म किए जाते हैं। स्त्रियों के मामले में अल्लाह से डरो। तुम्हारा स्त्रियों पर और स्त्रियों का तुम पर अधिकार है। स्त्रियों के मामले में मैं तुम्हें वसीयत करता हूं कि उनके साथ भलाई का रवैया अपनाओ। रसूल-ए-पाक ने आगे फरमाया कि ऐ लोगों! याद रखो, मेरे बाद कोई रसूल (ईश्वर का सन्देश वाहक) नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत (समुदाय) नहीं। अत: अपने रब की इबादत करना। प्रतिदिन पांचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना। हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञा पालन करना। ऐसा करोगे तो अपने रब की जन्नत में दाख़िल होगे। इस मौके पर मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी, इकरार अहमद, अब्दुल अजीज, सैफ अली, इं. अहमद फराज, मो. अजीम, कैश रजा, मो. इब्राहीम, कारी महबूब आलम, शाह आलम, शहादत हुसैन, रमजान, कुतबुद्दीन सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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