योगी सरकार में अल्पसंख्यकों के हाथ खाली, छात्रवृत्ति के अलावा कुछ नहीं


गोरखपुर। फिलहाल 'सबका साथ सबका विकास' जुमले में  अल्पसंख्यक फिट नहीं बैठ रहे हैं। वजह अल्पसंख्यकों के विकास के लिए सरकार के पास कोई ठोस योजनाएं ही नहीं है। सालों पुरानी छात्रवृत्ति व मदरसों के आधुनिकीकरण के अलावा सरकार कोई योजना नहीं है। जिसमें प्री-मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक, मेरिट-कम-मीन्स योजना व मदरसा आधुनिकीकरण योजना योजना सालों पुरानी व केंद्र सरकार की हैं। जब से इन   छात्रवृत्ति योजनाओं में तहसील से बना आय, निवास, जाति प्रमाण पत्र व आधार प्रमाण पत्र आदि अनिवार्य किया गया हैं, तबसे फार्म भरने वालों की रुचि बहुत घटी  हैं। मदरसों में तो इस योजना की हालत दयनीय हैं। रुचि घटने की एक वजह और भी हैं छात्रवृत्ति लिस्ट में नाम आने के बाद खाते में पैसा न आना। वहीं केंद्र सरकार की मदरसा आधुनिकीरण योजना का भी बुरा हाल हैं। कई सालों से मानदेय लटका पड़ा हैं। गनीमत यह हैं कि सपा सरकार द्वारा इस योजना के तहत रखे गए शिक्षकों को माहवार 2000 व 3000 रुपया अंशदान देने की योजना योगी सरकार ने अभी तक बंद नहीं की हैं। कुल मिलाकर प्रदेश सरकार अल्पसंख्यकों के लिए छात्रवृत्ति योजना ही चला रही हैं। इससे यह स्पष्ट तौर पर जाहिर हैं कि अल्पसंख्यकों के लिए  प्रदेश सरकार के पास फिलहाल कोई ठोस योजनाएं नहीं हैं।
इस समय उप्र सरकार मे सिर्फ छात्रवृत्ति व मदरसों के आधुनिकीकरण की सालों पुरानी योजनाएं ही चल रही हैं। कभी अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से अल्पसंख्यकों को कारोबार के लिए ऋण, व्यवसायिक वाहन के लिए ऋण, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए निशुल्क कोचिंग,  अल्पसंख्यकों छात्र-छात्राओं को तकनीकी पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए ऋण, मेडिकल व इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा के लिए निशुल्क कोचिंग की व्यवस्था, तकनीकी दक्ष बनाने के अलग-अलग प्रोग्राम चला करते थे। इस वक्त सब बंद हैं। सपा सरकार में चल रही तमाम योजनाएं योगी सरकार ने बंद कर दी हैं। सपा सरकार की शादी अनुदान व क्रबिस्तानों की चहारदीवारी योजनाएं भी खत्म हो चुकी हैं। छह माह में अगर कुछ हुआ हैं तो वह मदरसों की कई बार जांच और नया मदरसा पोर्टल । अल्पसंख्यक कल्याण विभाग सिर्फ मदरसे वाले की भीड़ तक सीमित रह गया हैं। शहर में अरबों रुपए की वक्फ संपत्तियों की जांच कराने की योजना का कहीं कुछ अता-पता नहीं हैं।

सच्चर कमेटी की रिपोर्ट चीख- चीख कर कहती हैं कि मुसलमानों पर खास तवज्जो दिए जाने की जरुरत है ताकि वह समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें। लेकिन सरकार के पास मदरसों की जांच से फुर्सत ही नहीं है कि कोई नई योजना बनाएं  या पुरानी योजनाएं बहाल करें।  उप्र में योगी सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए अभी तक कुछ नहीं किया हैं । हां अलबत्ता मदरसों की विधिवत जांच जरुर करवाई हैं जिस वजह से मदरसे वाले परेशानियों में मुब्तला हैं। कब्रिस्तानों की चहारदीवारी योजना की भी जांच चल रही हैं। सरकार ने अवैध स्लाटर हाउस बंद करके मीट, पशु व्यवसाईयों व मुस्लिम होटलों की कमर जरुर तोड़ दी हैं। नए सिरे से मार्डन स्लाटर हाउस बनाने का प्रयास सरकार द्वारा अभी तक नहीं किया गया है। सरकार का रुख भांपकर गोरखपुर के मीट व्यवसाईयों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट दाखिल की हुई हैं। सरकार ने अपनी तरफ से पहल करने के बजाए सब कोर्ट पर छोड़ दिया है। मीट व्यवसाई व मुस्लिम होटल भुखमरी के कागार पर पहुंच चुके हैं। केंद्र सरकार ने लोकलुभावन कुछ घोषणाएं जरुर कि लेकिन वास्तविकता के धरातल पर उनका कहीं कुछ अता-पता नहीं हैं।

अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग द्वारा संचालित योजनाएं एक नजर-

अल्पसंख्यक वर्ग (मुस्लिम, सिख, इसाई, पारसी, जैन) के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति प्रदान करना। केंद्र सरकार की मेरिट- कम- मीन्स योजना में उच्च तकनीकी, व्यवसायिक शिक्षा हेतु छात्रवृत्ति प्रदान किया जाना। पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनान्तर्गत कक्षा 11 से पीएचडी स्तर तक  अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति प्रदान करना। प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनान्तर्गत कक्षा 1 से 10 तक अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति प्रदान करना।

भारत सरकार के नवीन गाइड लाइन केन्द्र पुरोनिधानित मदरसा आधुनिकीकरण योजना का क्रियान्वयन किया जाना।

-सपा सरकार की यह योजनाएं बंद

गरीब अल्पसंख्यक समुदाय के गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले अभिभावकों को शादी अनुदान दिया जाना।
उप्र सरकार के 30 विभागों में संचालित कल्याणकारी योजनाओं के अन्तर्रगत 20 फीसदी अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को लाभ पहुंचाना।
विभाग द्वारा वक्फ सम्पत्तियों की सुरक्षा, संरक्षा एवं कब्रिस्तानों, अन्तेष्टि स्थलों  की चहारदीवारी निर्माण। वैसे देखा जाए तो सपा सरकार में भी अल्पसंख्यकों के लिए ठोस योजनाएं नहीं थीं।

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