रसूलल्लाह के सदके मे बनीं सारी दुनिया - मौलाना मकसूद



-'महफिल-ए-सीरतुन्नबी' दर्स का तीसरा दिन


गोरखपुर। नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां पर 12 दिवसीय 'महफिल-ए-सीरतुन्नबी' दर्स के तीसरे दिन गुरुवार को मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने कहा कि सारी दुनिया गैब दां आखिरी रसूल हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के सदके व तुफैल बनायी गयी। आप सारी दुनिया के लिए रहमत है। जब हजरत आदम अलैहिस्सलाम की तखलीक (बनाये गए) हुई तो हर जुमा ईद हो गयी। तो जो हजरत आदम के भी रसूल हैं, उनके पैदा होने पर तो पूरे साल खुशियां मनानी चाहिए। ईद मिलादुन्नबी (रसूलल्लाह की पैदाइश का दिन) न होती तो ईद-उल-फित्र व ईद-उल-अज़हा की खुशियां भी न मिलती। ईद मिलादुन्नबी ईदों की ईद है।

उन्होंने कहा कि कुछ लोग व संगठन मुसलमान होने का दावा कर दहशतगर्दी फैला रहे है। वह इस्लाम के नाम को बदनाम कर रहें है। इस्लाम का दहशतगर्दी से दूर तक कोई वास्ता नहीं है। इस्लाम अमन व मुहब्बत का मजहब है। रसूलल्लाह ने ईसाई, यहूदी सहित तमाम मजहब वालों के साथ बेहतरीन सुलूक किया। उसी का नतीजा है कि आज दुनिया में इस्लाम का बोल बाला है। इस्लाम तलवार के जोर पर नहीं बल्कि अच्छे आमाल, इल्म, परेहजगारी, उम्दा किरदार, अमन व मुहब्बत के पैगाम की वजह से पूरी दुनिया में फैला। रसूलल्लाह ने इंसानों को जीने का तरीका बताया। लोगों को सही रास्ते पर चलने की तालीम दी।


मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि ईद मिलादुन्नबी  हमारे लिए खास है। इस दिन इंसानों के रहनुमाई के लिए रसूलल्लाह तशरीफ लाए। इसीलिए अल्लाह ने हमें बेहतरीन उम्मत के खिताब से नवाजा। हमें चाहिए की हम रसूलल्लाह की बतायी तालीम पर अमल करें। इस दिन हमें हर वह नेक काम करना चाहिए जिससे  हमारे रसूल खुश हो और हर उस काम से रुकें जिससे रसूल नाखुश हों।

उन्होंने कहा कि हमें रसूलल्लाह की जिदंगी से यही तालीम मिलती है कि लोगों के साथ भलाई व अच्छा व्यवहार करें। सभी एक अल्लाह के बंदे है। सभी के साथ समानता का व्यवहार करें। इस्लाम के नाम पर दहशतगर्दी फैलाने वालों ने रसूलल्लाह की जिदंगी का अध्ययन नहीं किया है। अगर सही से अध्ययन करते तो वह  पूरी दुनिया में अमन का पैगाम बांटते नजर आते। रसूलल्लाह के जमाने में जितनी भी जंगे लड़ी गयी। वह सब मुसलमानों ने अपने हिफाजत के लिए लड़ी। इस्लामी तारीख में फतह मक्का के दौरान खून का एक कतरा जमीन पर नहीं बहा। रसूलल्लाह ने सबको माफ कर दिया और अमन व मुहब्बत का पैगाम दिया। साहाबा, ताबईन, तबे-ताबईन, औलिया, उलेमा ने रसूलल्लाह के नक्शेकदम पर चलकर पुरी दुनिया के इंसानों को हक राह दिखाई।


इस मौके पर इंजीनियर फराज अहमद, दरगाह सदर इकरार अहमद, सचिव मंजूर आलम, अब्दुल अजीज, सैफ अली, मो. अजीम, कैश रजा, मो. इब्राहीम, मो. अशरफ, तारिक रजा, ओबैदुल्लाह, मो. अशरफ वारसी, रिजवान,  कारी महबूब आलम, शाह आलम, शहादत हुसैन, रमजान, कुतबुद्दीन आदि लोग मौजूद रहे।


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2 दिसंबर को निकलेगा जुलूस-ए-मुहम्मदी

गोरखपुर। पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की यौम-ए-पैदाइश 'ईद मिलादुन्नबी' पर्व के रूप में 2 दिसबंर को मनायी जायेगी। इस मौके पर शहर में विभिन्न जगहों पर जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी का आयोजन किया जायेगा। सुबह फज्र की नमाज के बाद शहर की विभिन्न मस्जिदों पर परचम कुशाई (ध्वजारोहण) की जायेगी। पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की जिंदगी व तीलीमात पर उलेमा तकरीर करेंगे। इसके बाद सलातो-सलाम पेश किया जायेगा। उसके बाद शहर के विभिन्न मोहल्लों से जुलूस-ए-मुहम्मदी निकालना शुरु होगा। जिसका सिलसिला पूरी रात जारी रहेगा। यह जानकारी तंजीम उलेमा-ए-अहले सुन्नत के मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने दी है। उन्होंने अपील किया कि  मुसलमान इस मौके पर हर नेक काम करें। महफिल-ए-मिलाद, कुरआन ख्वानी, नात ख्वानी करें। गरीबों, यतीमों को खाना खिलाएं। जुलूस-ए-मुहम्मदी में शामिल हों। जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी का एहतमाम करें। अच्छे कपड़े पहने, खुशबू लगाये, महफिल-ए-मिलाद में शिरकत करें।

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