आला हजरत 14वीं सदी हिजरी के युग प्रवर्तक-समाज सुधारक - मुफ्ती मुजीब





-99वां उर्स-ए-आला हजरत पर तुर्कमानपुर नूरी मस्जिद पर जलसा


-मुफ्ती अजहर शम्सी की किताब "रसूलल्लाह की बशारत, सहाबा किराम की शहादत" का हुआ विमोचन


गोरखपुर। नागपुर महाराष्ट्रा के  प्रमुख धार्मिक गुरु मुफ्ती मोहम्मद मुजीब अशरफ ने कहा कि आला हजरत इमाम अहमद रजा खां अलैहिर्रहमां बहुत बड़े मुजद्दिद, मुहद्दिस, मुफ्ती, आलिम, हाफिज़, लेखक, शायर, धर्मगुरु, भाषाविद्,  युग प्रवर्तक तथा समाज सुधारक थे। सिर्फ 13 वर्ष की कम आयु में मुफ्ती की श्रेणी ग्रहण की। उन्होंने इस्लाम, साइंस, अर्थव्यवस्था और कई उलूम पर एक हजार से ज्यादा किताबें लिखीं। उनको 55 से ज्यादा विषयों पर महारत हासिल थी। उनका एक प्रमुख ग्रंथ 'फतावा रजविया' इस सदीं के इस्लामी कानून का अच्छा उदाहरण है जो 30 हिस्सों में  है। उर्दू जुबान में कुरआन का तर्जुमा 'कन्जुल ईमान' विश्वविख्यात हैं। उलेमा-ए-अरब व अजम सबने आप की इल्मी लियाकत को तस्लीम किया। आला हज़रत 14वीं सदी हिजरी के नवजीवनदाता (मुजद्दिद) है। जिन्हें उस समय के प्रसिद्ध अरब व अजम के विद्वानों ने यह उपाधि दी।


यह बातें उन्होंने बतौर मुख्य वक्ता मोहल्ला तुर्कमानपुर निकट नूरी मस्जिद पर मंगलवार को 99वां उर्स-ए-आला हजरत के मौके पर आयोजित जलसे में कहीं। इस दौरान मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी द्वारा लिखित किताब "रसूलल्लाह की बशारत, सहाबा किराम की शहादत" का विमोचन मुख्य अतिथियों ने किया।


'आला हजरत की शख्सियत' विषय पर रोशनी डालते हुए उन्होंने कहा कि आला हजरत ने तेरह साल की उम्र से ही फतवा लिखना और लोगों को इस्लाम का सही पैगाम पहुंचाना शुरू कर दिया। पूरी उम्र दीन की खिदमत में गुजारी। रसूल-ए-पाक अलैहिस्सलाम से सच्ची मुहब्बत आपका सबसे अजीम सरमाया था। उनकी एक प्रमुख पुस्तक जिस का नाम 'अद्दौलतुल मक्किया' है। जिसको उन्होंने केवल 8 घंटों में बिना किसी संदर्भ ग्रंथों के मदद से हरम-ए-मक्का में लिखा।


अन्तर्राष्ट्रीय इस्लामिक वक्ता मेंहदावल के मुफ्ती अलाउद्दीन मिस्बाही ने कहा कि आला हजरत ने इस्लाम और सुन्नत की सही तफसीर पेश की। बानी-ए- इस्लाम पैगम्बर मुहम्मद सल्लल्लाहौ अलैहि वसल्लम की पूरी शरीयत की अच्छी तफसीर फरमायी। जिससे पूरी दुनिया में आला हजरत को इस्लाम के सच्चे आलिम-ए-दीन के तौर पर जाना गया। मसलक-ए-आला हजरत जन्नत तक ले जाने वाले रास्ते की निशानी है। आला हजरत ने बदअकीदगी व गुमराही के तूफान को रोका। करोड़ों मुसलामानों का ईमान बचाया। आला हजरत को रसूल-ए-पाक अलैहिस्सलाम से गहरा इश्क था। आला हजरत ने पूरी जिंदगी इस्लाम के लिए वक्फ कर दी। इसीलिए आज पूरी दुनिया के मुसलमान उर्स-ए-आला हजरत मना रहे हैं।


विशिष्ट अतिथि घोसी के इस्लामिक विद्वान मौलाना इफ़्तेखार नदीम ने कहा कि आला हजरत की जिंदगी का हर गोसा कुरआन और सुन्नत पर अमल करने व सुन्नियत को जिंदा करने में गुजरा। मुजद्दीदे दीन-ओ-मिल्लत  आला हजरत ने फि़त्ना और फसाद के जमाने में मुसलमानों को अपना ईमान बचाने में मदद की। आला हजरत सुन्नियत के सबसे बड़े अलमबरदार है। जिनकी तालीम ने 14सौ साल से चले आ रहे इस्लाम को तवानाई बख्शी। जिस जमाने में दुश्मनाने रसूल सर उठा रहे थे, आपने उनका सर कूचला अपने तहरीरों, तकरीरों, तशनीफों से। मुसलमानों की सच्ची रहनुमाई फरमाई। आला हजरत चौदहवीं सदी हिजरी के मुजद्दिद है। आला हजरत ने कुरआन पाक का उर्दू में लाजवाब तर्जुमा किया। जिसे पढ़ने से ईमान ताजा हो जाता है। आप सच्चे आशिक-ए-रसूल थे।


नात शरीफ गुजरात के गुलाम मुस्तफा, घोसी के गुलाम रसूल व किछौछा शरीफ के सोहराब कादरी ने पेश की। सरपरस्ती मौलाना हबीबुर्रहमान, अध्यक्षता मौलाना मकबूल अहमद व संचालन मौलाना इश्तियाक अहमद ने किया। अंत में सलातो सलाम पेश कर कौमों मुल्क के लिए दुआएं मांगी गयीं।


जलसे में शाबान अहमद, अलाउद्दीन निजामी, मौलाना असलम रज़वी, मुफ्ती अख्तर हुसैन अजहरी, मुफ्ती मो. अजहर शम्सी,  मो. मोहसिन, जहांगीर अजीजी, अफजल बरकाती, मनौव्वर अहमद, सेराज अहमद, कारी अंसारुल हक, हाफिज रहमत अली, सैफ, कैफ, मोहम्मद अहमद, अतहर, वसीउल्सलाह, वलीउल्लाह आदि बड़ी संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे।

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कुल शरीफ के साथ आज होगा उर्स-ए-आला हजरत का समापन

गोरखपुर। आला हजरत इमाम अहमद रजा खां अलैहिर्रहमां का 99वां उर्स-ए-पाक का समापन 15 नवंबर को कुल शरीफ की रस्म के साथ सम्पन्न होगा। उर्स-ए-पाक के संयोजक अलाउद्दीन निजामी ने बताया कि नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर में सुबह फज्र की नमाज के बाद कुरआन ख्वानी होगी व अपराह्न 2:38 बजे नूरी मस्जिद में कुल शरीफ की रस्म अदा की जायेगी। इसके बाद लंगर तकसीम किया जायेगा। वहीं मदरसा दारूल उलूम अहले सुन्नत मजहरूल उलूम घोसीपुरवा में  प्रात: 9:00  बजे 'आला हजरत जलसा' का आयोजन किया जायेगा। जिसमें अलजामियतुल अशरफियां अरबी यूनिवर्सिटी मुबारकपुर के मौलाना मसूद अहमद बरकाती व मौलाना अब्दुल्लाह बरकाती संबोधित करेंगे। यह जानकारी कारी मो. तनवीर अहमद कादरी ने दी है। दीवान बाजार स्थित मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया में प्रात: 10:00 बजे व नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां में प्रात: 6 :00 बजे आला हजरत का उर्स-ए-पाक मनाया जायेगा। जिसमें कुरआन ख्वानी, नात ख्वानी व तकरीरी प्रोग्राम होगा। अंत में कुल शरीफ की रस्म अदा कर मुल्क व मिल्लत की भलाई के लिए दुआएं की जायेगी।

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