गोरखपुर लोकसभा संसदीय उपचुनाव - सपा महागठबंधन से ही दे सकती है भाजपा को टक्कर


-विधानसभा, नगर निगम व नगर पंचायतवार लेखा-जोखा
-गोरखपुर संसदीय उपचुनाव
सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर। गोरखपुर संसदीय उपचुनाव में भाजपा को टक्कर देना का माद्दा  समाजवादी पार्टी में ही नजर आ रहा है, अगर बसपा, कांग्रेष, निषाद पार्टी व पीस पार्टी मिल गई तो भाजपा मुश्किल में फंस सकती है। वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सपा 'निषाद' समाज से ही प्रत्याशी उतारेगी। ऐसा संकेत मिल रहा है कि एक क्षेत्रीय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पुत्र के नाम पर सपा ने मोहर लगा दी है। जिनकी निषाद समाज में मजबूत पकड़ है। बस घोषणा होना बाकी है। अगर ऐसा हुआ तो निषाद वोटों में बिखराव नहीं होगा। वहीं उक्त क्षेत्रीय पार्टी व उसको समर्थन देने वाली पीपा का भी समर्थन सपा को मिलेगा। सपा 'दलित-निषाद-मुस्लिम-यादव' वोटों के जरिए चौकाने वाला नतीजा दे सकेगी। बसपा ने चुनाव नहीं लड़ने का संकेत दिया है। बसपा अगर सपा को समर्थन देने का ऐलान कर दे तो दलित वोट सपा को मिल जायेगा। इस क्षेत्र में दलित मतदाताओं की अच्छी दखल है। वहीं  कांग्रेस अगर अकेले चुनाव लड़ती है तो उसे कुछ भी फायदा नहीं होगा। सपा को समर्थन देने में ही कांग्रेस की भलाई नजर आ रही है। कुल मिलाकर यह चुनाव भाजपा बनाम सपा ही होगा। जिसमें सपा भाजपा से कही भी कमजोर नहीं नजर आ रही है।

यह बात हम यूं ही नहीं कह रहे है बल्कि सपा की मजबूती के आंकड़े गवाह हैं। गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में पांच विधानसभा (कैंपियरगंज, सहजनवां, पिपराइच, गोरखपुर ग्रामीण, गोरखपुर शहर), एक नगर निगम व कुछ नगर पंचायत (जिले में नगर पंचायतों की संख्या 8) क्षेत्र आते है।


वर्ष 2017 में उप्र विधानसभा चुनाव में गोरखपुर ग्रामीण से
सपा ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। भाजपा प्रत्याशी महज 4410 वोटों से ही विजयी हो सके थे। यह क्षेत्र निषाद व मुस्लिम बाहुल्य है। इस क्षेत्र से भाजपा को हमेशा मजबूत लड़ाई  मिली है। पिछले विस चुनाव में अगर निषाद पार्टी निषाद वोटों में सेंध न लगाती तो सपा जीत जाती। अबकि उपचुनाव में यहां भाजपा को जोरदार मुकाबला झेलना पड़ेगा। सपा को निषाद-पीस पार्टी का समर्थन मिलने की पूरी उम्मीद है। लिहाजा यहां से सपा जमकर वोट बटोर सकती है।
(कुल मतदाता - 398306/पुरूष -219045/ स्त्री -179238/अन्य-23/मतदेय  स्थल-430/मतदान केंद्र-145)

वहीं सहजनवां विधानसभा में भी सपा ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। भाजपा प्रत्याशी ने 15377 वोटों से ही जीत हासिल की थी। इस क्षेत्र में भी सपा मजबूत है। यहां से सपा ठीक-ठाक वोट हासिल कर सकती है।
(कुल मतदाता -357574 /पुरूष -197960/ स्त्री -159596/अन्य-18/मतदेय स्थल -405/मतदान केंद्र-291)

बात करते है पिपराइच विधानसभा की तो यहां भी निषाद-मुस्लिम वोटरों की बाहुल्यता है। यह सपा की परंपरागत सीट हुआ करती थी। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां मुस्लिम वोटरों की बदौलत बसपा ने भाजपा को टक्कर दी थी। भाजपा प्रत्याशी ने 12809 वोटों से जीत हासिल की थी। यहां अगर सपा व बसपा एक होकर लड़ती तो यह सीट भाजपा नहीं जीत पाती। चूंकि अबकी बसपा चुनाव नहीं लड़ रही है इस लिहाज से यहां सपा जबरदस्त वोट बटोर कर भाजपा को कड़ी टक्कर देगी।
(कुल मतदाता - 391613/पुरूष -216544/ स्त्री -175034/अन्य-35/मतदेय स्थल-413/मतदान केंद्र-225)

कैंपियरगंज क्षेत्र से सपा ने कांग्रेस को समर्थन दिया था। यहां भाजपा प्रत्याशी ने 32854 वोटों से जीत हासिल की थी। यहां से भी सपा वोट बटोरने की क्षमता रखती है।
 (कुल मतदाता -367518 /पुरूष -201552/ स्त्री -165945/अन्य-21/मतदेय स्थल-413/मतदान केंद्र-223)

अब बात करते है गोरखपुर शहर विधानसभा की तो यहां भाजपा बहुत मजबूत है। भाजपा प्रत्याशी ने यहां 60730 वोटों से जीत हासिल की थी। सपा ने कांग्रेस को समर्थन दिया था। यहां से भी सपा वोट बटोर सकती है। इस क्षेत्र में नगर निगम भी आता है जहां भाजपा का काफी वक्त से कब्जा है। 70 वार्डों वाले इस नगर निगम में वर्ष 2017 के चुनाव में सपा ने वार्डवार ठीक-ठाक प्रदर्शन किया था और 18 वार्डों में जीत हासिल की थी। भाजपा को 27, कांग्रेस को 2, बसपा को 5 व निर्दलीय प्रत्याशियों को 18 वार्डों में जीत हासिल हुई थी। वार्डवार भी सपा अन्य पार्टियों के साथ भाजपा का मुकाबला करने में सक्षम है।
(कुल मतदाता - 434167/पुरूष -236902/ स्त्री -197205/अन्य-60/मतदेय स्थल-480/मतदान केंद्र -83)

बताते चलें कि गोरखपुर में 8 नगर पंचायत है। जिसमें नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपा मात्र 3 (पिपराइच, गोला बाजार, कस्बा संग्राम उर्फ उनवल) पर काबिज है। वहीं बसपा 1 (सहजनवां), पीस पार्टी 1(बड़हलगंज) व निर्दल 3 (पीपीगंज, मण्डेरा बाजार, बांसगांव) पर काबिज है। वहीं 8 नगर पंचायतों में करीब 101 नगर पंचायत सदस्यों में से भाजपा के 26 वहीं सपा के 5, बसपा के 10, पीस पार्टी के 4, कांग्रेस के 1 सदस्य है, बाकी करीब 55  सदस्य निर्दलीय हैं।

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