गोरखपुर - सांसद मनोज तिवारी की यहीं हुई थी जमानत जब्त, यहां जमानत बचाना भी है मुश्किल


-गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव
सैयद फरहान अहमद

गोरखपुर। गोरखपुर लोकसभा सीट का चुनाव हमेशा से टफ रहा है। इस बार का उपचुनाव भी टफ है। सबसे बड़ी बात यहां जमानत बचाने के लिए उम्मीदवारों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है उसके बावजूद दो तीन को छोड़कर किसी की भी जमानत नहीं बच पाती। यह कोई एक दो लोकसभा चुनाव से नहीं बल्कि पिछले कई लोकसभा चुनावों से होता चला आ रहा है। यहां बीजेपी को टक्कर केवल सपा का निषाद उम्मीदवार ही दे पाता है इसीलिए सपा ने बहुत सोच समझकर यहां निषाद उम्मीदवार को टिकट दिया है और निषाद पार्टी व पीस पार्टी से गठबंधन किया है। बसपा भी दो बार दूसरे व तीसरे नम्बर पर रह चुकी है।

बीजेपी व सपा को छोड़कर यहां अन्य पार्टियों के लिए चुनाव लड़ना टेढ़ी खीर ही साबित हुआ है। वर्तमान में बीजेपी सांसद व सिने स्टार मनोज तिवारी मृदुल की भी इस क्षेत्र से जमानत जब्त हो चुकी है। वर्ष 2009 में गोरखपुर लोकसभा सीट पर 26 उम्मीदवारों में से दूसरे स्थान पर रहे बसपा उम्मीदवार विनय शंकर तिवारी को छोड़ बाकी के सभी 24 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। जिसमें सांसद मनोज तिवारी मृदुल भी शामिल थे। मनोज तिवारी समाजवादी पार्टी के टिकट पर मैदान में थे। यहां की जनता ने उन्हें सिरे से नकार दिया था। उन्हें यहां महज 11.09 प्रतिशत यानी 83059 वोट मिले थे। वहीं वर्ष 2004 में यहां केवल 7 उम्मीदवार मैदान में थे। जिनमें बीजेपी (विनर) व सपा को छोड़कर सबकी जमानत जब्त हो गई थी। वर्ष 1999 के चुनाव में 10 उम्मीदवार मैदान में थे। जिसमें बीजेपी (विनर) व सपा को छोड़ किसी की जमानत नहीं बच पायी थी। वर्ष 1998 के चुनाव में भी 10 उम्मीदवार मैदान में थे, लेकिन जमानत बची तो बीजेपी (विनर) व सपा की। वर्ष 1996 के चुनाव में 37 उम्मीदवार मैदान में थे। जिसमें 35 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। बीजेपी (विनर) व सपा ही की जमानत बची थी। वर्ष 2014 में गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से सपा उम्मीदवार राजमती निषाद और बसपा के रामभुआल निषाद को छोड़ बाकी के सभी 12 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। ये प्रत्याशी कुल पड़े वैध मत 10.40 लाख का छठवां भाग यानी 1.73 लाख वोट भी नहीं जुटा सके थे। बताते चलें कि नामांकन के दौरान जमानत राशि के तौर पर कुछ रकम जमा करनी होती है। अगर उम्मीदवार पर्याप्त वोट नहीं पाता तो उसके द्वारा जमा की गई जमानत राशि जब्त कर ली जाती है।

इस बार के लोकसभा उपचुनाव में कुल 10 उम्मीदवार मैदान में है जिसमें सपा प्रत्याशी प्रवीण कुमार निषाद, निर्दल मालती देवी व निर्दल श्रवण कुमार निषाद एक ही कुनबे से है। वहीं बीजेपी ने उपेंद्र दत्त शुक्ला व कांग्रेस ने डा. सुरहिता करीम पर भरोसा जताया है। दो छोटे दल सर्वोदय भारत पार्टी से गिरीश नारायण पांडेय,  बहुजन मुक्ति मोर्चा से अवधेश कुमार और निर्दलीय राधेश्याम सेहरा, नरेंद्र कुमार महंता, विजय कुमार राय भी चुनाव लड़ रहे है। कांग्रेस का पिछला छह लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन बहुत निराशाजनक रहा है क्या कांग्रेस इस बार खराब प्रदर्शन से उबर पायेगी यह देखना दिलचस्प रहेगा वहीं अबकी कितनों की जमानत जब्त होगी यह भी जानना दिलचस्प होगा। राजनीतिक विश्लेषक इस चुनाव को भी बीजेपी बनाम सपा ही मान रहे है। हां कांग्रेस के आने से सपा का कुछ वोट कटना तय माना जा रहा है। बसपा ने इस चुनाव से किनारा कर लिया है। सभी पार्टियों की बसपा कैडर के वोटों पर खास निगाह है। बसपा ने किसी पार्टी को समर्थन भी नहीं दिया है। हां यह जरूर है सपा इस चुनाव में नई ताकत बनकर उभर रही है। 'निषाद-मुस्लिम-यादव-दलित' वोटों के बदौलत वह चौंकाने वाले नतीजे दे सकती है। मतदान 11 मार्च को है जबकि मतगणना व परिणाम 14 मार्च को आयेगा।

वर्ष - कुल उम्मीदवार - जमानत जब्त - जीता उम्मीदवार -- जमानत बची


1. 1996 - 37 - 35 -  अवैद्यनाथ (बीजेपी) - सपा

2. 1998 - 10 - 8 - योगी आदित्यनाथ (बीजेपी) - सपा

3. 1999 - 10 - 8 - योगी आदित्यनाथ (बीजेपी) - सपा

4. 2004 - 7 -  5 - योगी आदित्यनाथ (बीजेपी) - सपा

5. 2009 - 26 - 24 - योगी आदित्यनाथ (बीजेपी) - बसपा

6. 2014 - 15- 12- योगी आदित्यनाथ (बीजेपी) - सपा व बसपा

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