वोटरों ने पूछा - आखिर हाईकमान कब करेगा प्रत्याशी घोषित
-चुनावी गुफ्तगू
-गोरखपुर लोकसभा चुनाव
गोरखपुर। लोकसभा उपचुनाव की सरगर्मियां शुरू हो चुकी है। नामांकन की प्रक्रिया भी जारी है। कांग्रेस के अलावा अभी तक किसी राजनीतिक दल ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। जिसकी वजह से मतदाताओं में फिलहाल कोई उत्साह नजर नहीं आ रहा है। सीएम योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे के बाद खाली हुई इस सीट पर देश दुनिया की भी नजर है। हालांकि इस तरह की चर्चा थी कि गैर भाजपाई दल महागठबंधन बनाकर प्रत्याशी उतारेंगे लेकिन कांग्रेस ने 'दोस्ती' का हक अदा न करते हुए शुक्रवार को देर शाम अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। कभी यह क्षेत्र कांग्रेस के लिए जरखेज (उपजाऊ) हुआ करता था लेकिन पिछले छह लोकसभा चुनावों से जमानत जब्त हो रही है। प्रत्याशियों और मौजूदा सियासत को लेकर देश का भविष्य युवा क्या सोच रहा है। इस बाबत कुछ युवाओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी है- वहीं सभी दलों से सवाल भी किया है कि कब होगा प्रत्याशी घोषित?
--सोशल मीडिया पर घोषित व बदला जा रहा प्रत्याशी
मतदान में 22 दिन शेष है। शनिवार की सुबह कांग्रेस प्रत्याशी के बारे में पता चला। सपा व भाजपा के प्रत्याशी तो रोज सोशल मीडिया पर बदल रहे है। कभी कोई कभी कोई। तीन दिन नामांकन में बचे है। आखिर वह कौन सी वजहें है जो अन्य दलों को प्रत्याशी घोषित करने से रोक रही है यह वोटर जानना चाह रहा है। मुझे लगता है कि किसी दल के पास चुनाव जीतने की ठोस रणनीति नहीं है और सब एक दूसरे से खौफजदा है। भाजपा हारी तो सीएम की रूसवाई होगी। सपा हारी तो गठबंधन की रुसवाई।
मोहम्मद शिराज सिद्दीकी
गाजी रौजा
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-उपचुनाव केवल चर्चा तक हुआ समिति
इस वक्त गोरखपुर लोकसभा का उपचुनाव सिर्फ व सिर्फ चर्चा तक समिति है। जितनी मुहं उतनी बातें। भाजपा व सपा के लिए तो प्रत्याशी घोषित करना भी मुश्किल हो रहा है। भाजपा में सीएम की प्रतिष्ठा दांव पर तो सपा में गठबंधन की प्रतिष्ठा दांव पर है। कांग्रेस का वार गठबंधन पर पानी फेरता नजर आ रहा है। इन सब के बीच वोटर ठगा हुआ महसूस कर रहा है।
मेहताब आलम
सूर्यविहार
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--अफसोस क्या दलों के पास योग्य प्रत्याशी नहीं!
अफसोस इस उपचुनाव में दलों को योग्य प्रत्याशी नहीं मिल पा रहा है। रोज अखबारों में ऊंची जाति नीची जाति का होगा प्रत्याशी पढ़कर निराशा होती है कि 21वी सदीं में भी हमारी सियासत जात-पात, ऊंच-नीच से बाहर नहीं निकल पायी है। चुनाव तो विकास बनाम विकास होना चाहिए। आज 17 तारीख हो गई अभी तक हमारे सामने कांग्रेस को छोड़कर किसी ने प्रत्याशी घोषित नहीं किया। महाठबंधन का नाम सुना था उसका भी दूर-दूर तक कुछ पता नहीं है। अभी तक यह चुनाव वोटरों को निराश करने वाला ही साबित हुआ है। शहर में समस्याएं कम नहीं है। हर बार चुनाव आता है कोई प्रत्याशी हारता है तो कोई जीतता है। जीतने वाला शहर के विकास को दरकिनार कर अपना विकास करता है। इस चुनाव में हमें सियासत के हर पहलू को जांचना परखना होगा।
गुलफिशां अब्बासी
निजामपुर
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--या खुदा! चुनाव अनकरीब और प्रत्याशी का पता नहीं
अखबार व सोशल मीडिया पर इस चुनाव की चर्चा तो खूब है लेकिन प्रत्याशी का कहीं अता पता नहीं है। हां प्रत्याशियों के नाम पर केवल चर्चा का बाजार ही गर्म है। पहले आप पहले आप में कांग्रेस ने महागठबंधन के तोते उड़ा दिए। हालांकि कांग्रेस का पिछला कई प्रदर्शन निराशजनक रहा है। ऐसे में महागठबंधन ही से उम्मीद थी कि भाजपा बनाम महागठबंधन का जबरदस्त मुकाबला होगा लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा। पूर्वांचल की सियासत में जातिवाद हावी है। जो क्षेत्र के विकास में रुकावट है। संविधान की ताकत को हर वोटर को समझना होगा
शहाब मोहम्मद हुसैन
छोटे काजीपुर
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-दलों के रूख ने किया निराश, कब उठेगा सियासत का नकाब
मैंने पिछले साल 18 की उम्र पूरी की है। इस बार मुझे भी वोट देने का मौका मिलेगा। बहुत उत्साहित हूं लेकिन दलों के रवैये से निराश हूं। नामांकन प्रक्रिया चल रही अभी तक हमारे सामने प्रत्याशी नहीं है। जब हमें भरपूर मौका नहीं मिलेगा तो हम भला कैसे चुन पायेंगे योग्य प्रत्याशी। सुना था महागठबंधन बनाकर सपा भाजपा में फाइट होगी लेकिन कांग्रेस ने प्रत्याशी उतार कर कहीं न कहीं भाजपा का मजबूत किया है। खैर सीएम का गृहनगर होने के नाते वोट डालने की खुशी तो है ही। सही समय पर सभी दल प्रत्याशी उतार देते तो अच्छा होता। आखिर कब उठेगा सियासत का नकाब।
मोहम्मद फैजान
अस्करगंज
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-न वोटर में न दलों में न कार्यकर्ताओं में उत्साह
यह चुनाव बहुत ही उदास है। न वोटरों को प्रत्याशी का, न कार्यकर्ताओं को प्रत्याशी का पता है। प्रत्याशी का पता तो सही मायने में हाईकमान को भी नहीं पता या यूं कहें कि कशमकश में पार्टी का हाईकमान मुब्तला है। फिलहाल इस चुनाव को लेकर जैसा उत्साह होना चाहिए वैसा दिख नहीं रहा है।
सुलेमान अली
मिर्जापुर बाजार
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