गोरखपुर दंगा 2007 : डेमोक्रेसी के तहफ्फुज की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़ेगे - परवेज़ परवाज़
गोरखपुर। 'अभी हम हाईकोर्ट का आर्डर पढ़ रहे है। हाईकोर्ट ने क्या कहा है उसकी मंशा क्या है। अभी पूरी तरह समझ नहीं पाये है लेकिन हम इतना जरूर समझ गए है कि हमारी याचिका खारिज हो गई है यानी हमारे सामने सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता खुल गया है। जिस इश्यू पर हम लड़ रहे है वह सच है। यह डेमोक्रेसी के तहफ्फुज (रक्षा) की लड़ाई है। रूल ऑफ लॉ कायम करने की लड़ाई है। मजलूमों को इंसाफ दिलाने की लड़ाई है। जो घटना हुई थी उसका गवाह पूरा मंडल है। हम सुप्रीम कोर्ट में भी लड़ेगे और जरूरत पड़ी तो लोकतांत्रिक तरीके से सड़कों भी पर लड़ेंगे।
यह कहना है गोरखपुर दंगे पर याचिका दाखिल करने वाले तुर्कमानपुर निवासी परवेज़ परवाज़ का। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद यह खास प्रतिक्रिया दी है।
--गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगा
27 जनवरी 2007 को गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगा हुआ था। आरोप है कि इस दंगे में दो लोगों की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे।
इस मामले में दर्ज एफ़आईआर में आरोप है कि तत्कालीन भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ, गोरखपुर के विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल और गोरखपुर की तत्कालीन मेयर अंजू चौधरी ने रेलवे स्टेशन के पास भड़काऊ भाषण दिया था और उसी के बाद दंगा भड़का था। इस मामले में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद योगी आदित्यनाथ समेत भाजपा के कई नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज हुई थी। इन लोगों पर एफ़आईआर दर्ज कराने के लिए गोरखपुर के तुर्कमानपुर निवासी परवेज़ परवाज़ और सामाजिक कार्यकर्ता असद हयात ने याचिका दाख़िल की थी।
बताते चलें कि गोरखपुर में साल 2007 में हुए साम्प्रदायिक दंगे के मामले में उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ कोई मुक़दमा नहीं चलेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपने फ़ैसले में उस याचिका को ही खारिज कर दिया जिसमें दंगों में योगी की भूमिका की फिर से जांच कराए जाने की मांग की गई थी।
हाईकोर्ट ने इस मामले में पिछले साल 18 दिसंबर को अपना फ़ैसला सुरक्षित कर लिया था। क़रीब 11 साल पहले गोरखपुर में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। इस मामले में राज्य सरकार ने पहले आदित्यनाथ योगी को अभियुक्त बनाने से ये कहकर मना कर दिया था कि उनके ख़िलाफ़ कोई साक्ष्य नहीं हैं। बाद में मामले की सीआईडी क्राइम ब्रांच से जांच हुई और फिर सरकार की ओर से हाईकोर्ट में क्लोज़र रिपोर्ट लगा दी गई। लेकिन याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि बिना किसी जांच और कार्रवाई के ही सरकार ने क्लोज़र रिपोर्ट फ़ाइल कर दी थी। हाईकोर्ट ने अपील स्वीकार की और उस पर सुनवाई की।
" गोरखपुर दंगा 2007 केस
परवेज़ परवाज़ व असद हयात
बनाम
स्टेट आफ यूपी एवं अन्य
रिट पिटीशन क्रिमिनल नंम्बर 21733 सन् 2008"
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