संदेश

2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मुकद्दस हज यात्रा के लिए हो जायें तैयार, 2 जनवरी से करें आवेदन

चित्र
-हज कमेटी ऑफ इंडिया ने जारी किए निर्देश - 24 जनवरी तक भरे जाएंगे फॉर्म गोरखपुर। इस्लाम में पांच फर्जों में से हज एक अहम फरीजा है। जिसको जिदंगी में एक बार अदा करना जरूरी है। जनपद में प्रति वर्ष ढ़ाई सौ से ज्यादा लोग हज के सफर पर जाते हैं । मुकद्दस हज यात्रा के लिए हो  तैयार रहिए , 2 जनवरी से  आवेदन शुरु हो रहा हैं। हज के दौरान सभी मुसलमानों का एक लक्ष्य खुदा की रजा हासिल करना। क्या अमीर क्या गरीब सभी एक सफ में। देश की सीमायें यहां आकर खत्म हो जाती है। सभी मुसलमान अपने गुनाहों का माफी मांगते नजर आते है। इस माह इस्लाम के दो अहम काम किये जाते है एक हज और दूसरा कुर्बानी। आइये हमको बतातें है कि हज में होता क्या है। इस्लाम में इसकी अहमियत क्यूं है ? हज इस्लाम का आखिरी फरीजा है जिसे अल्लाह ने सन् 9 हिजरी में फर्ज फरमाया। जो मालदारों पर फर्ज है और वह भी जिंदगी में सिर्फ एक बार । अल्लाह तआला का इरशाद है कि अल्लाह तआला की रजा के लिये लोगों पर हज फर्ज है जो उसकी इसतिताअत रखे। (कुरआन)  2 जनवरी से हज पर जाने के लिए फॉर्म भरने का काम शुरू हो जाएगा। मक्का- मदीना जाने की चाह ...

सपा ने गोरखपुर-बस्ती मंडल में उतारी 18 विधायकों की फौज, 35 सीटों में 5 महिलाओं व 4 मुस्लिम उम्मीदवारों पर भी जताया भरोसा

चित्र
-विधानसभा चुनाव 2017 -सपा ने 16 सीटिंग विधायकों को दोबारा टिकट दिया. दो बाहर से आये विधायकों को भी टिकट सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। समाजवादी पार्टी ने यूपी चुनाव के लिए 325 उम्मीदवारों की लिस्ट बुधवार को पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव ने जारी की। इसी के साथ गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 में से 35 सीटों पर उम्मीदवार फाइनल हो गये हैं। उप्र विधानसभा चुनाव में दोनों मंडलों पर पुराने जिताऊ उम्मीदवार पर भरोसा जताया गया हैं। सपा ने गोरखपुर-बस्ती मंडल में 18 विधायकों की फौज उतारी हैं। 16 सीटिंग अपने थे ही डुमरियागंज के विधायक मलिक कमाल युसू्फ व गोरखपुर ग्रामीण से विजय बहादुर यादव को लेकर 18 हो गए। सपा ने अपनी तीन सीटिंग सीट मेंहदावल, सलेमपुर, कपिलवस्तु  पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की हैं। घोषणा होने पर विधायकों की फौज में इजाफा हो सकता हैं। घोषित उम्मीदवारों में तीन मंत्री राधे श्याम सिंह, ब्रहम शंकर त्रिपाठी, राम करन आर्या शामिल हैं। पूर्वांचाल में चुनावी हलचल तेज हो चुकी है। कांग्रेस व भाजपा को छोड़ सबके पत्ते खुलने शुरु हो गए हैं।  सपा ने गोरखपुर-बस्ती मंडल की 35 सीटों पर स्थित...

जिसने रोशन किया सुन्नियत का दीया वो है मेरा रजा शाह अहमद रजा : मुफ्ती अख्तर हुसैन

जिसने रोशन किया सुन्नियत का दीया वो है मेरा रजा शाह अहमद रजा : मुफ्ती अख्तर हुसैन -आला हजरत चौदहवीं सदीं के मुजद्दीद हैं : मौलाना असलम -आला हजरत का 98वां उर्स-ए-पाक मनाया गया गोरखपुर। मुजद्दीदे दीनों मिल्लत इमामे इश्कों मुहब्बत अशशाह आला हजरत इमाम अहमद रजा खां  फाजिले बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह का 98वां उर्स-ए-पाक शहर में विभिन्न जगहों पर अकीदत के साथ मनाया गया। मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार में उर्स-ए-आला हजरत के मौके पर जलसा हुआ। जिसमें मुफ्ती अख्तर हुसैन अजहरी ने आला हजरत की शख्सियत पर तकरीर करते हुए कहा कि आला हजरत इमाम अहमद रजा खां दीन-ए-इस्लाम के बहुत बड़े मोहद्दीसऔर आलिम गुजरे हैं। तेरह  साल की उम्र से ही फतवा लिखना और लोगों को इस्लाम का सही पैगाम पहुंचाना शुरू कर दिया। पूरी उम्र दीन की खिदमत में गुजारी। रसूले पाक अलैहिस्सलाम से आपको सच्ची मुहब्बत और गहरा इश्क आपका सबसे अजीम सरमाया था। उलेमा अरब व अजम सबने आप की इल्मी लियाकत को तस्लीम किया। आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान क़ादरी 14 वीँ शताब्दी के नवजीवनदाता (मुजद्दिद) थे। जिन्हेँ उस समय के प्रसिद्ध अरब विद्व...

'शरीयत' 14 सौ साल पुराना आज का सबसे ज्यादा मार्डन नियम : डा. अजीज अहमद

चित्र
'शरीयत' 14 सौ साल पुराना आज का सबसे ज्यादा मार्डन नियम : डा. अजीज अहमद "समान नागरिक संहिता क्यों" पर विचार गोष्ठी गोरखपुर। इस वक्त का अहम तरीन मसला समान नागरिक संहिता की शक्ल में हमारे सामने हैं।क्या हिन्दुस्तान के विविधता लिए हुए  सामाजिक ढ़ाचें में ऐसा मुमकिन हैं। अगर नहीं तो इस बहस को छेड़ने का मकसद क्या हैं? इन्हीं विषयों पर तबादला खैर(विचार विमर्श) करने के लिए स्टूडेंट इस्लामिक आर्गनाइजेशन (एसआईओ) की जानिब से शहर में  एक सेमिनार "समान नागरिक संहिता क्यों"  बेनीगंज स्थित दुल्हन मैरेज हाउस में रविवार को आयोजित हुआ। जिसमें ईसाई धर्म के विद्वान अरुण प्रकाश ने कहा कि इस्लामी कानून(शरीयत) की बहुत अच्छाई हैं।इसी कानून के जरिए अभी सऊदी राजकुमार को हत्या के लिए फांसी दी गयी। शरीयत बहुत सी ऐसी चीजें हैं जिन्हें आगे बढ़ाया जा सकता हैं। हमारा देश विभिन्न धर्म व संप्रदाय से मिलकर बना हैं। भारत जैसे देश में किसी एक धर्म के नियम को समाप्त कर पाना मुश्किल हैं। ईसाई समाज में शादी, तलाक, आराधना के नियम हैं अगर कोई सरकार इसमें हस्तक्षेप करती हैं तो हमें अच्छा नह...

आईये करबला चले...तीन दिन के भूखे प्यासे...हुसैन शाह हैं बादशाह हैं हुसैन दीन हैं

चित्र
आईये करबला चले...तीन दिन के भूखे प्यासे...हुसैन शाह हैं बादशाह हैं हुसैन दीन हैं जिक्रे शोहदाए करबला करबला की दोपहर के बाद रिक्कत अंगेज दास्तां सुनन से पहले एक लरजां खेज और दर्दनाक मंजर निगाहों के सामने लाइए। सुबह से दोपहर तक खानदाने नुबुवत के तमाम चश्मों चिराग व जुमला आवान व असांर एक करके शहीद हो गये। नजर के सामने लाशों के अंबार है,उनमें जिगर के टुकड़े भी है और आंख के तारे भी भाई और बहन के लाडले भी हैं, और बाप की निशानियां भी, इन बेगोरों कफन जनाजां पर कौन आसूं बहाये। तन्हा एक हुसैन रजियल्लाहु अन्हु और दोनों जगह की उम्मीदों का हुजूम। उन्होंने आगे कहा कि नाना जाना की शरीअत के मुहाफिज हजरत इमाम हुसैन सर से कफन बांध कर जंग में जाने के लिए निकल पड़ते है। अपने नाना जाना नबी-ए-पाक का अमामए मुबारक सर पर बांधा। सैयदुश्शुहदा हजरत अमीर हमजा रजियल्लाहु अन्हु की ढाल पुश्त पर रखी। शेरे खुदा हजरत सैयदुना अली रजियल्लाहु अन्हु की तलवार जुलफिकार गले में हमाइल की और हजरत जाफर तय्यार रजियल्लाहु अन्हु का नेजा हाथ में लिया। ओर अपने बिरादरे अकबर इमाम हसन रजियल्लाहु अन्हु का पटका कमर में बांधा। इस तरह...

दसवीं मुहर्रम कोई मामूली दिन नहीं, मुहर्रम की दस तारीख को जमीन पर पहली बारिश हुई, कयामत भी इसी दिन, और क्या-क्या हुआ जानने के लिए जरुर पढ़े

चित्र
दसवीं मुहर्रम कोई मामूली दिन नहीं, मुहर्रम की दस तारीख को जमीन पर पहली बारिश हुई, कयामत भी इसी दिन, और क्या-क्या हुआ जानने के लिए जरुर पढ़े फजाइले आशूरह यानी दसवीं मुहर्रम के अहम वाकयात सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। खुदावन्दे कुद्दूस अपने मुकद्दस कलाम पाक में इरशाद फरमाता है बेशक महीनों की गिनती अल्लाह के नजदीक बारह महीने है। अल्लाह की किताब में जबसे उसने आसमान व जमीन बनाए उनमें से चार हुरमत (ज्यादा इज्जत एवं इबादत करने) वाले है। उन ही हुरमत वाले महीनों में माहे मुहर्रम भी शामिल है । इस महीने की दसवीं तारीख जिसे आशूरह के नाम से याद किया जाता है दुनिया की तारीख में इतनी अजमत व बरकत वाला दिन है कि जिसमें खुदा की कुदरतों और नेमतों की बड़ी-बड़ी निशानियां जाहिर हुई । उसी दिन हजरत आदम की तौबा कुबूल हुई। हजरत इदरीस व हजरत ईसा आसमान पर उठाए गये। हजरत नूह की कश्ती तुफाने नुह में सलामती के साथ जुदी पहाड़ पर पहुंची उसी दिन हजरत इब्राहीम की विलादत हुई। हजरत यूनुस मछली के पेट से जिन्दा सलामत बाहर आए। अर्श व कुर्सी, लौह व कलम, आसमान व जमीन, चॉंद व सूरज, सितारे व जन्नत बनाए गए। हजरत युसूफ गहरे कुंए स...

दसवीं मुहर्रम को नहा लिया तो यह सारी बीमारी दूर

चित्र
दसवीं मुहर्रम को नहा लिया तो यह सारी बीमारी दूर मुहर्रम की दस तारीख को गुस्ल जरूर करें। क्योंकि उस रोज जमजम का पानी तमाम पानियों में पहंचता है। मुसन्निफे तफसीर नईमी अलैहिर्रहमः फरमाते है आशूरह के दिन गुस्ल करने वाला साल भर बीमारियों से महफूज रहेगा।मुहर्रम की दस तारीख को जो शख्स सुरमा लगाए तो इंशाअल्लाह साल भर उसकी आंख नहीं दुखेगी। *Mufasir Shaheer Hakeem-ul-Ummat Mufti Ahmed Yar Khan Naeemi رحمت اللہ تعالی علیہ fermaty hain k 9th aur 10th moharam ka rooza rukhney ka bohat sawab hai. Baal bachon k liay khoob achy achy khaney pakaey tou انشاء الله عزوجل sara saal gher main berkat rahy gi.* *Eshi tareekh(10th moharam) ko ghussal kary tou tamam saal انشاء الله عزوجل beemariyon sey aman main rahy ga, kyun k es din aab-e-Zam zam tamaam paniyon main pohanchta hai".* *(Roohul Bayan, V:4, Page:142)* واللہ تعالی اعلم ورسولہ اعلم عزوجل و صلی اللہ علیہ وسلم جزاك الله خيرا

जानिए नौवीं व दसवीं मुहर्रम का रोजा रखने की फजीलत

नौवीं व दसवीं मुहर्रम का रोजा जरुर रखें गोरखपुर। मुफ्ती अजहर शम्सी ने बताया कि नौवीं और दसवीं मुहर्रम दोनों दिन रोजा रखना चाहिए। इसकी बहुत फजीलत है। हजरत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास से रिवायत है कि रसूल ए पाक जब मदीना तशरीफ लाए तो यहूदियों को आशूरह के दिन रोजा रखे हुए देखा। आप ने उनसे फरमाया यह कैसा दिन है कि जिसमें तुम लोग रोजा रखते हो? उन्होंने कहा यह वह अजमत वाला दिन है जिसमें अल्लाह ने हजरत मूसा और उनकी कौम को फिरऔन के जुल्म से निजात दी और उसको उसकी कौम के साथ डुबो दिया। हजरत मूसा ने उसी के शुक्रिया में रोजा रखा। इसलिए हम भी रोजा रखते हैं। रसूल ने फरमाया हजरत मूसा की मुवाफिकत करने में तो तुम्हारी बनिस्बत हम ज्यादा हकदार है। चुनांचे हुजूर ने खुद भी आशूरह का रोजा रखा और सारी उम्मत को उसी दिन रोजा रखने का हुक्म दिया। मुसनद इमाम अहमद अैार बज्जाज में हजरत इब्ने अब्बास से मरवीं हैं कि रसूल ने फरमाया यौमे आशूरह का रोजा रखो और उसमें यहूद की मुखालफत करो। यानि नौवीं और दसवीं मुहर्रम दोनों दिन रोजा रखों। *"Mufti Ahmed Yar Khan Naeemi رحمت اللہ تعالی علیہ fermaty hain:* 1)-Moharam ki 9t...

जानिए क्यों पकाते हैं खिचड़ा

चित्र
खिचड़े के मुताल्लिक तो एक रिवायत मे आता है कि खास मुहर्रम के दिन खिचड़ा पकाना हजरत नूह अलैहिस्सलाम की सुन्नत है। चुनांचे मंकूल है कि हजरत नूह की कश्ती तूफान से नजात पाकर जूदी पहाड़ पर ठहरी हो वह दिन आशूरह मुहर्रम था। हजरत नूह ने कश्ती के तमाम अनाजों को बाहर निकाला तो फोल (बड़ी मटर), गेहूं, जौ, मसूर,चना, चावल, प्याज यह सात किस्म के गल्ले मौजूद थे। आप ने उन सातों को एक हांडी में लाकर पकाया। चुनांचे अल्लामा शहाबुद्दीन कल्यूबी ने फरमाया कि मिस्र में जो खाना आशूरह के दिन तबीखुल हुबूब (खिचड़ा) के नाम से मशहर है उसकी असल व दलील यही हजरत नूह अलैहिस्सलाम का अमल है। सबीले वगैरह बांटने में सवाबे खैर है।

ब्रेकिंग : ओवैसी की पार्टी ने गोरखपुर ग्रामीण से विधायक प्रत्याशी का टिकट काटा, छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया गोरखपुर जिला अध्यक्ष समीर सिद्दीकी समेत यूपी के आठ जिला जिलाध्यक्षों की भी छुट्टी

चित्र
ब्रेकिंग : ओवैसी की पार्टी ने गोरखपुर ग्रामीण से विधायक प्रत्याशी का टिकट काटा,  छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया गोरखपुर जिला अध्यक्ष समीर सिद्दीकी समेत यूपी के आठ जिला जिलाध्यक्षों की भी छुट्टी प्रदेश के 110 मुस्लिम बहुल सीटों पर है पार्टी की निगाह सैयद फरहान अहमद गोरखपुर।आल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रदेश अध्यक्ष हाजी शौकत अली ने  बड़ा फैसला लेते हुए उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए गोरखपुर ग्रामीण क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी मिर्जा दिलशाद  बेग का टिकट काट दिया और छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया हैं। इसी के साथ  गोरखपुर के जिलाध्यक्ष  समीर सिद्दीकी समेत यूपी के मुजफ्फरनगर, हापुड़, बुलंदशहर, नोएडा, बरेली, गाजीपुर, अमरोहा के  जिलाध्यक्षों को भी पद से हटा दिया गया हैं। प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने यह अहम  फैसला लेते हुए मिर्जा दिलशाद बेग को पार्टी के खिलाफ काम करने व नेताओं के साथ अपशब्दों का प्रयोग करने के आरोप में निष्कासित किया  हैं। अभी दो दिन पूर्व लखनऊ में यूपी के जिला अध्यक्षों की...

ऐतिहासिक: मियां साहब इमामबाड़ा ने देखा नवाबी-अंग्रेजी दौर, आजाद हिंदुस्तान का चश्मदीद भी

चित्र
ऐतिहासिक: मियां साहब इमामबाड़ा ने देखा नवाबी-अंग्रेजी दौर, आजाद हिंदुस्तान का चश्मदीद भी स्थापत्य कला की अमिट निशानी अवध के नवाब आसफ-उद्दौला ने स्थापित किय। अवध की नक्काशी बेजोड़ बहुत खूब है सोने चांदी के ताजिए सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। मोहर्रम का चांद होते ही इस्लामी नये साल का आगाज हो गया। इसी माह में हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों ने मैदाने करबला में तीन दिन के भूखे प्यासे रह कर अजीम कुर्बानियां दी। इस्लाम को बचा लिया। इसलिए तो कहा गया है इस्लाम जिंदा होता है हर करबला के बाद। मुहर्रम के मौके पर खास पेशकश। इसकी पहली कड़ी में जानिए मियां साहब इमामबाड़े का इतिहास। यह इमामबाड़ा सामाजिक एकता, अकीदत व एकता का केन्द्र है। यह गोरखपुर का मरकजी इमामबाड़ा है। भारत में सुन्नी सम्प्रदाय के सबसे बड़े इमामबाड़े के रूप में इसकी ख्याति है। 18वीं सदी के सूफीसंत सैयद रौशन अली शाह का फैज बटता है। यहां हर मजहबें के मानने वालों की दिली मुरादें पूरी होती है। इमामबाड़ा की शान पुरानी चकम दमक के साथ बरकरार है। इमामबाड़ा मुगल स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। इसकी दरों दीवार की नक्काशी बेजोड...

हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां का तीन दिवसीय उर्स-ए-पाक 1 अगस्त से शुरू

चित्र
गोरखपुर। नार्मल स्थित हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां का सालाना उर्स-ए-पाक 1, 2, 3 अगस्त को अदबो एहतराम व अकीदत के साथ मनाया जायेगा। उर्स-ए-पाक में पूर्वांचल व दूर दराज के जिलों से बड़ी संख्या में मजार शरीफ का दर्शन करने आते है। यह जानकारी अराकीन कमेटी आस्तान-ए-आलिया हजरत बाबा मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां , वक्फ नम्बर 151 के अध्यक्ष इकरार अहमद ने पत्रकारों के रूबरू दरगाह पर दी। उन्होंने बताया कि 31 जुलाई को मेला शुरू हो जायेगा। रात्रि 10.00 बजे तहरीक दावते इस्लामी हिन्द द्वारा जलसा आयोजित होगा। उर्स-ए-पाक की शुरूआत 1 अगस्त को रात्रि 10.00 बजे बाद जलसा-ए-ईदमिलादुन्नबी के प्रोग्राम के साथ होगी। जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर कलकत्ता से सखावत हुसैन तशरीफ ला रहे है। इसके अलावा बलरामपुर के मौलाना मोहम्मद अली निजामी व मेंहदावल के मौलाना अलाउद्दीन तकरीर पेश करेंगे। नात-ए-पाक मुहम्मद इस्लाम गाजीपुरी, कमाल अख्तर अदरी मऊ व गोरखपुर के एजाज अहमद पेश करेंगे। संचालन मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही करेंगे। अध्यक्षता सैयद मोहम्मद अली मोहतिसम कबीर करेंगे। इसके अलावा अन्य जिलों के उलेमा-ए-किराम तशरीफ ला रहे ...

हजरत मुबाकर खां शहीद: ऐतिहासिक आस्ताना हिन्दू मुस्लिम एकता का केंद्र

चित्र
syed farhan ahmad गोरखपुर। निगाहें वली में वो तासीर देखी। बदलती हजारों की तकदीर देखी।। कुछ ऐसी ही तासीर है गोरखपुर के वालियों की निगाहों की। जिनकी एक निगाह बंदें पर पड़ जायें खुदा की रहमत जोश में आ जायें। जो यह कह दें वह खुदा के फजल से फौरन हो जाये। सर जमीं-ए-गोरखपुर सूफी संतों का गहवारा रही है। जिन्होंने समाज में फैली बुराईयों को खत्म कर एकता व भाईचारगी का पैगाम दिया। इंसानियत को जिंदा रखने में इनकी अहम भूमिका है। आज भी इन सूफी संतों का फैज बदस्तूर है। इनकी दरगाह व समाधियों पर हर मजहब के लोगों का तांता लगा रहता है। लोग इनके जरिये दिली मुरादें पाते है। इन्हीं बुर्जुग हस्तियों में शहर के बेतियाहाता स्थित नार्मल के निकट हजरत मुबारक खां शहीद अलैहिर्रहमां का आस्ताना है। जहां बाबा आराम फरमा है। जिनका फैज हर खासो आम पर बराबर जारी है। गोरखपुर को बाबा के करम पर फख्र है। हजरत मुबारक खां शहीद पूर्वांचल के बड़ें औलिया-ए-किराम में शुमार होते है। आज भी इस दरगाह को आला मकाम हासिल है। आस्ताना आलिया की जामा मस्जिद के इमाम व खतीब हजरत मौलाना मकसूद अलाम मिस्बाही ने किताब सवानेह सालार मसूद गाजी के हवाले ...

इल्म का रोशन चिराग मदरसा तरक्की के साथ करता कदमताल

चित्र
सैयद फरहान अहमदए गोरखपुर। वक्त के साथ तरक्की ने रμतार पकड़ी। सोच बदली। तो बदल गया मदरसों का निजाम। दीनी व दुनियावी तालीम के साथ तरक्की से मदरसों ने कदमताल शुरू किया। नतीजा यह निकला की मदरसे से निकलने वाले तालिब.ए.इल्म ;शिक्षा का हासिल करने वालेद्ध को रोजगार के ढे“र सारे विकल्प मिल गये। इन मदरसों के तालीम की खुशबू से समाज का हर खित्ता मुनव्वर हो गया। आजादी के बाद मदरसों को समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का मौका मिला। सरकार ने भी दिलचस्पी दिखायी तो मदरसों में शुरू हुई इस्लामी तालीम के साथ आधुनिक शिक्षा। दिलचस्पी और बढ़ी तो सरकार ने तकनीकी शिक्षा की शुरूवात कर सोने पर सुहागा कर दिया। मदरसों से हाफिजए आलिमए कामिलए मुμतीए मौलाना तो निकल ही रहे है वह भी के हुनर के साथ। इन मदरसों से तालीम हासिल कर रहे शिक्षार्थी देश के साथ विदेशों में दीन व दुनियावी खिदमत को अंजाम दे रहे है। मदरसों ने लड़कियों की शिक्षा के लिए भी खास काम किया। मदरसों में पढ़ने वालों में पचास फीसदी लड़कियां की तादाद है। रिपोर्ट में जानिए शहर के तरक्की याμता मदरसों के बारे में। जो तरक्की के साथ कदमताल कर रहे है। जिससे मिलती समाज को नय...

वाह ! कराची सूट का जलवाए रेशमी चूड़ियों की खनक

चित्र
ईद की तैयारी शवाब पर सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। ईद की आमद जल्द होने वाली है। तैयारियां जोरों पर है। बाजार गुलजार है। हर दुकान पर ऽाीड़ आम है। शाहमारुफए घंटाघरए रेतीए मदीना मस्जिदए गीता प्रेसए जाफरा बाजारए गोरखनाथए गोलघर में रौनक शवाब पर है। इसी बहाने ईद के चांद में होने वाली शादियों की ऽाी तैयारी की जा रही है। इस बार जहां कुर्तों में दंबग हिट है वही महिलाओं में कराची सूट व लांग फ्राक का जलवा सिर चढ़ कर बोल रहा है। कहीं कहीं इसे पेशावरी सूट के नाम से ऽाी पुकारा जा रहा है। जनसंदेश संवाददाता ने उर्दू बाजारए शाहमारूफए रेती मार्केट का जायजा लिया। हर दूकान पर महिलाओं का हुजूम था। वहीं चूड़ियों की दुकानों पर ऽाी महिलाओं का हुजूम नजर आ रहा है। रेशमी चूड़ियां काफी डिमांडेड है। वह मेटेलए लाखए ढील की चूड़ियाए शिप की चूड़ियां पसंद की जा रही है। लड़कियों पर वेस्टर्न चूड़ियों का जादू छाया हुआ है। चूडी व्यवसायी अब्दुल्लाह ने बताया कि मेटेल की चूड़ियां 15.240 रुपये दर्जन मेंए लाख की चूड़ियां 70.250 रुपयाए ढील की चूड़िया 350.400 रुपयाए शिप की चूड़ियां 20.50 रुपया दर्जन के हिसाब से मिल रही है। वेस्टर्न चूड़ियों में...

112 साल से दीन का परचम बुलंद करता अजुंमन इस्लामियां गोरखपुर

चित्र
112 साल से दीन का परचम बुलंद करता अजुंमन इस्लामियां अंग्रेजों के जमाने का मदरसा अंजुमन देती दीन के साथ दुनियावी खिदमत सैयद फरहान अहमद । शहर.ए.गोरखुपर इल्म व अदब का गहवारा है। मदरसा अंजुमन इस्लामियां से तालीम याफ्ता लोग दुनिया के हर खित्ते में इल्म व अदब की रोशनी को फैलाये हुये है। पाकिस्तान तलक अंजुमन इस्लामियां की खुशबू बदस्तूर है। चौकिये मत शहर.ए.काजी मुफ्ती वलीउल्लाह ने बताया कि लोग कहते है कि अंजुमन से पाकिस्तान के पूर्व चीफ जस्टिस मौलाना मंतख्बुल हक ने शिक्षा हासिल की थी। लेकिन इसकी कोई सनद नहीं है। खैर। दुनिया के जाने माने मऊ के मौलाना हबीबुर्ररहमान सहित सैकड़ों मदाारिस के वाली अंजुमन से तालीम याफ्ता हुये जिन्होंने गोरखपुर के आसपास और बिहार तक में मदरसों की बुनियाद रखी। समय के साथ तरक्की में बदलाव होना लाजिमी। सोच बदली। बदल गया मदरसों का निजाम। दीनी व दुनियावी तालीम के साथ तरक्की से मदरसों का बढ़ा मयार। जिसके नतीजे में मदरसे से निकलने वाले तालिब.ए.इल्म को रोजगार के ढे“र सारे अवसर मिल गये। दीन ऽाी बनी दुनिया ऽाी। इन मदरसों की रोशनी से तालीम का चिराग हुआ और रोशन। मदरसों को समाज ...

रमजान के खाने पीने का हिसाब नहीं

चित्र
है। रमजाने मुबारक अल्लाह जहन्नमियों को छोड़ता है। लिहाजा चाहिए कि रमजान में नेक काम किए जाएं और गुनाहों से बचा जाए। कुरआन करीम में सिर्फ रमजान शरीफ ही का नाम लिया गया और इसी के फजाइल बयान हुए। किसी दूसरे महीने का न सराहतन नाम है न ऐसे फजाइल।महीनों में सिर्फ माहे रमजान का नाम कुरआन शरीफ में लिया गया। औरतों में बीबी मरियम का नाम कुरआन में आया। सहाबा में सिर्फ हजरत जैद बिन हारिसा का नाम कुरआन में लिया गया जिस से इन तीनों की अजमत मालूम हुई। रमजान शरीफ में अफतार और सहरी के वक्त दुआ कबूल होती है। यानी अफतार करते वक्त खजूर वगैर खाकर या पानी पीने के बाद और सहरी खाकर। ये मरतबा किसी और महीने को हासिल नहीं है। रमजान में पांच हर्फ है। रा, मीम, जाद, अलिफ, नून । रा से मुराद है रहमते इलाही। मीम से मुराद है मुहब्बते इलाही। जाद से मुराद है जमाने इलाही। अलिफ से मुराद है अमाने इलाही। नून से मुराद है नूरे इलाही। और रमजान में पांच इबादत खुसूसी होती है। रेाजा, तरावीह, तिलावते कुरआन, एतकाफ और शबे कद्र में इबादत। तो जो कोई सिदके दिल से ये पांच इबादत करे वो उन पांच इनामों ामुसतहिक है।

औवेसी टोपी के साथ इण्डोनेशिया व तुर्की टोपी की धूम

चित्र
सैयद फरहान अहमद गोरखपुर। रमजान माह बरकतों का खजाना लिये हुये है। जिसका फैज हर किसी को मिलता है। इस माह बंदा खुदा की इबादत में तल्लीन रहते है। जहाॅं इबादत का जिक्र होता है वहाॅ टोपी का जिक्र भला कैसे छुट सकता है। रमजान माह हर एक बंदे के सर पर ताज के रूप में टोपी जरूर पायेंगे। रमजान मंे टोपियों की बिक्री बढ़ जाती है। अब तक बाजार में लाखों टोपियों की बिक्री हो चुकी है। फैशन के इस दौर में टोपियां भी पीछे नहीं है। बाजार में एक से एक बेहतर स्टाइलिस टोपियों मौजूद है। जो बरबस ही हमें अपने ओर आकर्षित करती हैं। बाजार में इस समय इण्डोनेशियाइ, कोरिया, व चाइना टोपियां छायी हुई है। इसके अलावा तमाम तरह की रंग बिरंगी, सादी टोपियां बाजार में मौजूद है। वहीं एआईएमआईएम के अध्यक्ष व सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा पहने जाने वाली टोपी का क्रेज नौजवानांे के सर चढ़ कर बोल रहा है। इसकी कीमत 45 रूपया है। सबसे सस्ती टोपी बर्फी 5रू. मंे तो वही सबसे महंगी टोपी बरकाती गोल 1200रू. में बाजार में उपलब्ध है। टोपी के विक्रेता अख्तर ने बताया कि हर माह की तुलना में इस माह टोपियों की बिक्री बढ़ जाती है। अब तक 4 से 5 लाख टोपियो...

स्टाइलिस कुर्तों की बूम , फिर दबंग कुर्ता हिट

चित्र
बालीवुड के दबंग सलमान खान जिनकी हर अदा फैशन। उनके फैन को उनसे मोहब्बत बेइंतेहा । उनका हर स्टाइल, फैशन का जादू सिर चढ़ कर बोले। यकीन न हो तो बाजार का रूख कीजिये जनाब। इस ईद पर उनका जादू छाया हुआ है। इस बार ईद के मौके पर सुल्तान जो रिलीज हो रही है। लेकिन पिछली फिल्मों की खुमारी दर्शकों छायी हुई है। तभी तो हर खासो आम का पसंदीदा बना हुआ है दबंग कुर्ता। यह वहीं कुर्ता जिसे फिल्म दबंग में सलमान खान ने पहना था। इस बार तमाम स्टालिस कुर्तों में दबंग कुर्ता हर खासोआम का पसंदीदा बना हुआ है। बाजार में ऐसी कोई दुकान नहीं होगी जहां दबंग कुर्ता न हो। शाहमारुफ में तो अस्थायी कुर्तों का मेला लगा हुआ। लखनवी चिकन को चार चांद लगा रहा दबंग स्टाईल कुर्ता। ईद को खास बनाने की खुमारी छायी हुई है। रमजान का महीना आधा रुखसत हो चुका है। ईद की तैयारी शवाब पर है। ईद में किसी तरह की कमी न रह जायें इसका खासा ख्याल रखा जा रहा है। ईद के लिए खरीददारी जोरों पर है। इसके लिए शहर में कुर्तों का बाजार सज चुका है। इस बार बाजार में दबंग कुर्ता लोगों को काफी पसंद आ रहा है। इसकी खासियत है इसका पठानी कुर्ते की तरह लेकिन उससे शा...

ईद का तोहफा

चित्र
गोरखपुर हदीस में आया है कि नबी ईदुलफित्र के दिन कुछ खाकर नमाज के लिए तशरीफ ले जाते थे। ईद के दिन हजामत बनवाना, नाखुन तरशवाना, गुस्ल करना, मिस्वाक करना, अच्छे कपड़े पहनना, नए हों तो नए वरना धुले हुए। खुश्बु लगाना, अंगूठी पहनना(चांदी की सिर्फ साढ़े चार माशा) की। नमाजे फज्र मस्जिदे मुहल्ला में पढ़ना। ईदुल फित्रकी नमाज को जाने से पहले चन्द खजूरें खा लेनां। खजूर न हो तो मीठी चीज खा लेना। नमाजे ईद ईदगाह में अदा करना। ईदगाह पैदल जाना अफजल है और वापसी में सुवारी पर आने से हरज नहीं। नमाजे ईद के लिए एक रास्ते से जाना और दूसरे रास्ते से वापस आनां ईद की नमाज से पहले सदकए फित्र अदा करना। कसरत से सदका देना। ईदगाह का इत्मिनान वकार और नीची निगाह किए जाना। आपस में मुबारक बाद देना। बाद नमाजे ईद मुसाफह यानि हाथ मिलाना और मुआनका यानि गले मिलना। ईदुल फित्र की नमाज के लिए जाते हुए रास्ते में अहिस्ता से तकबीर अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, लाइलाहा इल्लल्लाह। वल्लाहु अकबर,अल्लाहुु अकबर, व लिल्लाहिल हम्द।।

सदका-ए-फित्र ............................................मसाइल व अहकाम

चित्र
सदकाए फित्र अदा करना वाजिब हैं। जो शख्स इतना मालदार है कि उस पर जकात वाजिब है । या जकात वाजिब हो मगर जरूरी असबाब से ज्यादा इतनी कीमत का माल व असबाब है जितनी कीमत पर जकात वाजिब होती है तो उस शख्स पर अपनी नाबालिग औलाद की तरफ से सदकाए फित्र देना वाजिब है। फित्रा वाजिब होने की तीन शर्तें है। आजाद होना मुसलमान होना, किसी ऐसे माल के निसाब का मालिक होना जो असली जरूरत से ज्यादा हो। उस माल पर साल गुजरना शर्त नहीं और न माल का तिजारती होना शर्त है और न ही साहिबे माल का बालिगा व अकीला होना शर्त हैं। यहां तक कि नाबालिग बच्चों और वो बच्चे जो ईद के दिन तुलू फज्र यानि सूरज निकलने से पहले पैदा हुये हो और मजनूनों पर भी फित्रा वाजिब हैं। उनके सरपरस्त हजरात को उनकी तरफ से फित्रा वाजिब है। फित्रा की मिकदार याानि मात्रा में 2 किलो 45 गा्रम गेहंू या उसके आटे की कीमत करीब 45 रूपया से चाहे, गेहूं या आटा दे या उसकी कीमत बेहतर है कि कीमत अदा करे। जब तक फित्रा अदा नहीं किय जाता है तब तक सारी इबादत जमीन व आसमान के बीच लटकी रहती है। जब फित्रा अदा कर दिया जाता है ।तो वह बारगाहे इलाही मंे पहुंच जाता है। रोजे मंे इबा...

ईद का चाॅंद देखने का बयान

चित्र
गोरखपुर। हदीस मंे है नबी ए पाक ने फरमाया कि रोजा न रखों जब तक चाॅंद न देख लो और इफ्तार न करो जब तक चाॅद न देख लो और अगर बादल हो तो मिक़दार पूरी कर लो। पाॅंच महीनों का चांद देखना वाजिबे किफाया है शाबान, रमजान, शव्वाल, ज़ीक़ादा, ज़िलहिज्जा। शाबान का इसलिए कि अगर रमजान का चांद देखते वक्त अबर या गुबार हो तो तीस पूरे कर के रमजान शुरू करें और रमजान का रोजा रखने के लिए और शव्वाल का रोजा खत्म करने के लिए और जीकादा का जिलहिज्जा के लिए और जिलहिज्जा का बकराईद के लिए। शाबान की उन्तीस को शाम के वक्त चांद देखें दिखाई दे तो कल रोजा रखें वरना शाबान के तीस दिन पूरे करके रमजान का महीना शुरू करें। नबी ए पाक ने फरमाया कि महीना 29 का भी होता है और 30 का भी। रोजा चांद देख कर शुरू करो और चांद देख कर रोजा बंद कर दो। अगर आसमान साफ नहीं है तो 30 की गिनती पूरी करो। जमाते कसीरा(बड़ी जमात यानि बहुत से लोग ) यह शर्त उस वक्त है जब रोजा रखने या ईद करने के लिए शहादत गुजरे और अगर किसी और मामले के लिए दो मर्द या एक मर्द दो औरतों सिका(आदिल) की शहादत गुजरी और काजी ने शहादत के बिना पर हुक्म दे दिया तो अब यह शहादत काफी हैै। रो...

ईदुल फित्र की नमाज के लिए जाते हुए रास्ते में अहिस्ता से तकबीरे तशरीक

चित्र
तक़्बीरे तशरीक़ गोरखपुर। अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, लाइलाहा इल्लल्लाह। वल्लाहु अकबर,अल्लाहुु अकबर, व लिल्लाहिल हम्द।। पढ़ी जायेगी। नमाज ईदगाह में जाकर पढ़ना और रास्ता बदल कर आना, पैदल जाना और रास्ते में तकबीरे तशरीक पढ़ना सुन्नत हैं।

ईदैन की नमाज का तरीका

चित्र
गोरखपुर। ईद की नमाज आबादी से बाहर खुले मैदान मंे जमाअत के साथ अदा करनी चाहिए। बूढे़ कमजोर अगर शहर की बड़ी मस्जिद में पढ़ लें, तो भी दुरूस्त है। जब सफें दुरूस्त हो जाएं तो ईदुल फित्र की नमाज के लिये सबसे पहले नीयत करलें कि ‘‘ मैं नियत करता हॅंू दो रकआत नमाज वाजिब ईदुल फ़ित्र की जायदमय छः तकबीर के , वास्ते अल्लाह के, पीछे इस इमाम के, रूख मेरा काबा शरीफ की तरफ। इमाम तक्बीरे तहरीमा कहे तो आप भी दोनों हाथ कानों तक हाथ उठाए और अल्लाहु अकबर कहकर हाथ नाफ से नीचे बांध लें फिर सना पढे़। इसके बाद तीन बार ‘‘अल्लाहु अकबर’’ कहिए और हर बार दोनों हाथ तक्बीरे तहरीमा की तरह कानों तक उठाइए हर तक्बीर के बाद हाथ छोड़ दीजिए, मगर तीसरी तक्बीर के बाद हाथ फिर बाॅंध लीजिए और इमाम ‘अअ़ूजु’ और ‘बिस्मिल्लाह’ पढ़ कर किरात शुरू करे और मुक्तदी खामोशी से इमाम की किरात सुनें और इमाम की पैरवी में रूकूअ व सज्दे करें- रूकूअ व सुजूद के बाद खड़े होकर दूसरी रकआत की किरात खामोशी के साथ सुनिए। किरात पूरी करने के बाद जब इमाम तक्बीर कहे तो आप भी इमाम के साथ धीमी आवाज में तक्बीरें कहते जाइए और तक़्बीरों के दरमियान दोनों हाथ खुले छो...

ईदैन की रातों में कयाम करे उसका दिल न मरेगा

चित्र
गोरखपुर। कुरआन शरीफ में अल्लाह तआला फरमाता है, रोजों की गिनती पूरी करो और अल्लाह की बड़ाई बोलो कि उसने तुम्हें हिदायत फरमाएं। हदीस में आया है कि नबी ए पाक ने फरमाया कि जो जिस दिन लोगों के दिल मरेंगे। जो पाॅंच रातों में शब बेदारी करे उसके लिए जन्नत वाजिब है जिलहिज्जा की आठवीं, नवीं, दसवीं रातें और ईदुल फ़ित्र की रात और शाबान की पन्द्रहवीं यानी शबे बारात। हदीस में है जब नबी ए पाक मदीने में तशरीफ लाए उस जमाने में अहले मदीना साल में दो दिन खुशी करते थे महरगान व नैरोज। फरमाया यह क्या दिन हैं लोगों ने अर्ज किया जाहिलियत में हम इन दिनों में खुशी करते थे। फरमाया अल्लाह तआला ने उनके बदले में इनसे बेहतर दो दिन तुम्हें दिये ईदे अजहा व ईदुल फित्र के दिन। नबी ए पाक ने फरमाया ईदुल फित्र के दिन कुछ खाकर नमाज के लिये तशरीफ ले जाते। ईद केा एक रास्ते से तशरीफ ले जाते और दूसरे से वापस होते। हदीस में है कि एक मर्तबा ईद के दिन बारिश हुई तो मस्जिद में हुजूर ने ईद की नमाज पढ़ी। ईदैन की नमाज वाजिब है और इसकी अदा की वही शर्तें है जो जुमे के लिए है सिर्फ इतना फर्क हैं कि जुमे में खुत्बा शर्त है और ईदैन में स...