112 साल से दीन का परचम बुलंद करता अजुंमन इस्लामियां गोरखपुर
112 साल से दीन का परचम बुलंद करता अजुंमन इस्लामियां
अंग्रेजों के जमाने का मदरसा
अंजुमन देती दीन के साथ दुनियावी खिदमत
सैयद फरहान अहमद
। शहर.ए.गोरखुपर इल्म व अदब का गहवारा है। मदरसा अंजुमन इस्लामियां से तालीम याफ्ता लोग दुनिया के हर खित्ते में इल्म व अदब की रोशनी को फैलाये हुये है। पाकिस्तान तलक अंजुमन इस्लामियां की खुशबू बदस्तूर है। चौकिये मत शहर.ए.काजी मुफ्ती वलीउल्लाह ने बताया कि लोग कहते है कि अंजुमन से पाकिस्तान के पूर्व चीफ जस्टिस मौलाना मंतख्बुल हक ने शिक्षा हासिल की थी। लेकिन इसकी कोई सनद नहीं है। खैर। दुनिया के जाने माने मऊ के मौलाना हबीबुर्ररहमान सहित सैकड़ों मदाारिस के वाली अंजुमन से तालीम याफ्ता हुये जिन्होंने गोरखपुर के आसपास और बिहार तक में मदरसों की बुनियाद रखी। समय के साथ तरक्की में बदलाव होना लाजिमी। सोच बदली। बदल गया मदरसों का निजाम। दीनी व दुनियावी तालीम के साथ तरक्की से मदरसों का बढ़ा मयार। जिसके नतीजे में मदरसे से निकलने वाले तालिब.ए.इल्म को रोजगार के ढे“र सारे अवसर मिल गये। दीन ऽाी बनी दुनिया ऽाी। इन मदरसों की रोशनी से तालीम का चिराग हुआ और रोशन। मदरसों को समाज की आधुनिक धारा से जुड़ने का मौका मिला। सरकार ने ऽाी दिलचस्पी दिखायी तो मदरसों में शुरू हुई इस्लामी तालीम के साथ आधुनिक शिक्षा। अऽाी केंद्र सरकार ने सौ करोड़ का बजट मदरसा आधुनिक शिक्षा के लिए पास किया। पीएम नरेंद्र मोदी ने चुनाव के दौरान कहा था कि मुसलमानों का विकास तऽाी होगा। जब एक हाथ में कुरआन और दूसरे हाथ में कम्पयूटर हो। यह बजट उसी इरादे का अमलीजामा है। सरकार ने तकनीकी शिक्षा की शुरूआत कर सोने पर सुहागा कर दिया। मदरसों से हाफिजए आलिमए कामिलए मुफ्तीए मौलाना तो निकल ही रहे है वह ऽाी के हुनर के साथ। इन मदरसों से तालीम हासिल कर रहे शिक्षार्थी देश के साथ विदेशों में दीन व दुनियावी परचम बुलंद कर रहे है। मदरसों में लड़कियों को ऽाी दीनी व तकनीकी महारत मिल रही है। मदरसों में अच्छी तादाद में लड़कियां तालीम हासिल कर रही है।
जनसंदेश टाइम्स की रिपोर्ट में पाक रमजान के मौके पर जानिए अंग्रेजों के जमाने से दीन का परचम बुलंद कर रहे मदरसा अजुंमन इस्लामियां खुनीपूर के बारे में।
मुफ्ती वलीउल्लाह ने बताया कि शहर.ए.गोरखपुर तिजारती रास्ते में वाकये रहा है लेकिन तालीमी लिहाज से बहुत कमजोर थाए इधर अंग्रेजों की मिशनियरियों ने धर्म परिवर्तन करने के लिए चारों तरफ मेहनत कर रहे थे। गोरखपुर में दूर.दूर तक कोई तालीम का मदरसा नहीं था। तब यहां के होशमंद लोगों ने तालीम से लोगों को आशना करने के लिये एक अंजुमन बनायी। इससे पहले ऽाी कई अंजुमन बनी लेकिन रफ्तार न पकड़ सकी। इस अंजुमन से शुरू से ही तरक्की के साथ कदमताल किया और आज ऽाी कर रही है। मदरसा अजुंमन इस्लामियां खुनीपुर पूर्वी उत्तर प्रदेश का कदीम तालीमी व तरबीयती मदरसा है। जो 110 साल से दीनी खिदमात अंजाम दे रहा है। अपने दामन में मुख्तलिफ तालीमी व दीगर दीनी विऽाागों को समेटे हुये तरक्की की राह पर गामजन है। उन तमाम दीनी विऽाागों में वक्त के बेहतरीन उस्ताद की खिदमात हासिल है। इसका निमार्ण सन् 1901 में कुछ दीनी और इल्मी लोगों के जेरे नजर इस्माईलपुर स्थित काजी जी के दालान में शुरू हुआ। उस समय मुसलामान दीनी शिक्षा से दूर हो रहा था। उस समय कोई दूसरा दीनी अदारा नहीं था। ऐसे में इस मदरसे की नींव रखी गयी। शुरूआत किराये की बिल्डिंग में हुई। करीब नौ साल तक किराए के मकान में चला। अंजुमन के लिए 24 जून 1916 बेहद अहम रहा। इस दिन इसकी अपनी बिल्डिंग की बुनियाद मौलाना शाह अहमद मियांए व मौलाना नियाज अहमद फैजाबादी ने रखी। सन् 1917 में इस दर्सगाह की तामीर शुरू हुई। आज इसकी खुद की शानदार इमारत है। इस दौरान इसने जमाने के तमाम रंग देखें। आजादी के पहले अंग्रेज इस मदरसे के सरपरस्त रहे। उस जमाने के कलक्टर ने इस मदरसे की बेहद तारीफ की थी। नवाबों ने ऽाी इस मदरसे के लिए दिल खोलकर मदद दी। हर महीने उनकी ओर से मदरसे के निजाम के लिए मदद आती थी। आवाम की मदद से इसने तरक्की की रफ्तार पकड़ी।
करीब एक हजार के करीब यह छात्र.छात्रायें शिक्षा हासिल कर रहे है। अरबी फारसी के साथ हिन्दी अंग्रेजीए गणितए विज्ञानए सामाजिक विज्ञान सहित अन्य विषयों की शिक्षा दी जा रही। 2005.2006 में प्रदेश सरकार ने मिनी आईटीआई शुरू हुई। जिसके तहत मदरसों में कम्पयूटरए ड्राफ्ट मैनए सिलाई कटाई की शिक्षा शुरू हुई। हर साल यहां से हाफिजए आलिम निकलते हैए साथ ही तकनीकी रूप से दक्ष छात्र.छात्रायें निकल रहे है। मदरसों में कक्षा आठ तक पढ़ाई चल रही है। जिन्हें अरबीए फारसीए उर्दू ए विज्ञानए गणितए सामाजिक विज्ञान की शिक्षा के साथ कम्प्यूटर की बारीकियां ऽाी सिखायी जाती है। मदरसा उप्र मदरसा शिक्षा बोर्ड की मुंशीए मौलवीए आलिमए कामिलए फाजिल की परीक्षाएं ऽाी संचालित करता है। यहां पर विदेशी ऽााषाओं की शिक्षा ऽाी दी जाती है। मदरसे में सरकार की अन्य योजनाएं ऽाी चल रही है। सरकार द्वारा निशुल्क ड्रेसए किताब एवं छात्रवृत्ति ऽाी प्रदान की जाती है। हास्टल की ऽाी सुविधा उपलब्ध है। जहां दूर दराज से शिक्षा हासिल करने वाले छात्र रहकर शिक्षा हासिल करते है। हास्टल में 50 छात्र रह रहे है। इस मदरसे का निजाम जकातए फितराए कुर्बानी के खाल व चंदे से अंजाम दिया जाता है। अंजुमन के पास सौ से ज्यादा मकान व दुकान हैंए इनके किराए से हुई आमदनी से मदरसा चलता है। दीनी खिदमात में इसकी शोहरत दूर दूर तक है। रमजान में तरावीहए ईदुलअज्हा में कुर्बानी ए कुरआन ख्वानी व फातिहा ख्वानीए आफकाए किताबतए इसाले सवाब किया जाता है। सन् 1921 से लावारिस लाशों का कफन दफन का काम ऽाी अंजाम दिया जाता है। बेवाओं के इमदाद का काम बुनियादी दौर से हो रहा है। मुफ्ती वलीउल्लाह ने बताया कि आवाम के अंदर एक बेहतरीन समाज कायम हो इसके लिए दारूल इफ्ता ऽाी सन् 1972 से कायम है। लोगों के शादी ब्याहए वरासत वगैरह के मसायल के हल करने के लिए दारूल कजा ऽाी कायम है। मदरसें में 21 दरजात है। 38 शिक्षक तालीम देते है। मुलाजिम 12 है। मदरसे में 32 कमरें है। एक साइंस रूम। ग्राउंड 2 नीचे ऊपरए मेस 1ए दफ्तर 1ए हाल 1ए हाल 1 है। मदरसे के पूर्व प्रधानचार्य मौलाना नसरूद्दीन कासमी अऽाी तीस जून को रिटायर्ड हो गये है। लेकिन कमेटी ने उनकी खिदमत को देखकर फिलहाल उसी पद पर बनाये रखा है।
लेकिन आज के इस पुर असबाब दौर में माली परेशानियां मदरसे की तरक्की में रूकावट का सबब बन रही है। मदरसे के जिम्मेदार गुजारिश की अपील कर रहे है कि इस मदरसें को दिल खोल कर माली इमदार करे और साथ ही अपने बच्चों का दीनी तालीम से आरास्ता करने के लिए मदरसें में दाखिला फरमाये।
हस्तलिखित कुरआन शरीफ व नायाब किताबों का जखीरा
गोरखपुर। अंजुमन इस्लामियां की समृद्ध लाइब्रेरी है। जिसमें हस्तलिखित कुरआन व नायाब किताबों का जखीरा है। करीब आठ हजार नायाब किताबें है। दीन व अदब की नायाब किताबें हिन्दूस्तान में मुश्किल से मिलेगी। इस लाइब्रेरी में हस्तलिखित कुरआन शरीफ ऽाी मौजूद है। नौ जिल्दों में यह कुरआन शरीफ सुरक्षित है। इसकी तफ्सीर हुसैनी है। यह बेहद नायाब है। मदरसे के डाण् मोहम्मद अजीम फारूकी ने बताया कि यहां बेहतरीन किताबें है। हस्तलिखित कुरआन शरीफ का जो नुस्खा है वह मुबइज्जा है। अंजुमन ने बड़े एहतियात से इसे संऽााल कर रखा हुआ है। इसका कागज कमजोर हो चुका है। खोलने पर टूटने लगता है। वहीं कुछ कागजों को दीमक ने अपना निवाला बना लिया है। लाइब्रेरियन परवेज अहमद ने बताया कि लाइब्रेरी में जो किताबें है वह आपको हिन्दूस्तान की लाइबे्ररियों में कम देखने को मिलेंगी। हस्तलिखित कुरआन व किताबें अंजुमन की अनमोल धरोहर है।
अरबीए फारसीए उर्दू का अहम केंद्र
गोरखपुर। अंजुमना विदेशी ऽााषाओं का अहम मरकज ;केन्द्रद्ध है। यहां पर ईरानए अरब देशों की ऽााषाओं की शिक्षा दी जाती है। आज यहां से अरबीए फारसी सिखे छात्र अरब देशों में फर्राटे से अरबी बोल लेते है। इसके साथ फारसी ऽाी बोली जाती है। इन्हीं मदरसा की देन है कि देश में अरबीए फारसीए उर्दू आज तक जिंदा है। जब तक मदरसों का वजूद है। यकीन जानिए इन ऽााषाओं का वजूद खत्म नहीं हो सकता है।
तकनीकी शिक्षा हुनर को देती पंख
गोरखपुर। जनपद के करीब छह मदरसा प्रदेश सरकार की मिनी आईटीआई संचालित है। जिसमें मदरसा अंजुमन इस्लामियां खूनीपुरए मदरसा दारूल उलूम हुसैनियाए मदरसा मेराजुल उलूम चिलमापुरए मदरसा नूरिया खैरिया पीपीगंजए मदरसा अनवारूल उलूम गोला बाजारए मदरसा बहरुल उलूम बड़गों शामिल है। जहां पर सिलाई कटाईए कम्प्यूटर प्रोग्रमिंगए एसीए फ्रिजए ड्राफ्टमैनए इलेक्ट्रेशियनए मैकेनिकए डीजल मैकेनिकए फीटर की तकनीकी शिक्षा एक्सपर्ट प्रदान करते है। इसी के तहत मदरसों में मुख्य अनुदेशकए अनुदेशकए लिपिक कम सह स्टोर कीपरए प्रयोगशाला परिचर नियुक्त हुये। यह योजना बदस्तूर 2004 से संचालित है। इस योजना से तालीम हासिल कर मदरसें के छात्र देश व विदेश में कामयाबी के झंडेगाड़ रहे है।
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