ईद का तोहफा
गोरखपुर
हदीस में आया है कि नबी ईदुलफित्र के दिन कुछ खाकर नमाज के लिए तशरीफ ले जाते थे। ईद के दिन हजामत बनवाना, नाखुन तरशवाना, गुस्ल करना, मिस्वाक करना, अच्छे कपड़े पहनना, नए हों तो नए वरना धुले हुए। खुश्बु लगाना, अंगूठी पहनना(चांदी की सिर्फ साढ़े चार माशा) की। नमाजे फज्र मस्जिदे मुहल्ला में पढ़ना। ईदुल फित्रकी नमाज को जाने से पहले चन्द खजूरें खा लेनां। खजूर न हो तो मीठी चीज खा लेना। नमाजे ईद ईदगाह में अदा करना। ईदगाह पैदल जाना अफजल है और वापसी में सुवारी पर आने से हरज नहीं। नमाजे ईद के लिए एक रास्ते से जाना और दूसरे रास्ते से वापस आनां ईद की नमाज से पहले सदकए फित्र अदा करना। कसरत से सदका देना। ईदगाह का इत्मिनान वकार और नीची निगाह किए जाना। आपस में मुबारक बाद देना। बाद नमाजे ईद मुसाफह यानि हाथ मिलाना और मुआनका यानि गले मिलना। ईदुल फित्र की नमाज के लिए जाते हुए रास्ते में अहिस्ता से तकबीर अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, लाइलाहा इल्लल्लाह। वल्लाहु अकबर,अल्लाहुु अकबर, व लिल्लाहिल हम्द।।
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