इल्म का रोशन चिराग मदरसा तरक्की के साथ करता कदमताल

सैयद फरहान अहमदए गोरखपुर। वक्त के साथ तरक्की ने रμतार पकड़ी। सोच बदली। तो बदल गया मदरसों का निजाम। दीनी व दुनियावी तालीम के साथ तरक्की से मदरसों ने कदमताल शुरू किया। नतीजा यह निकला की मदरसे से निकलने वाले तालिब.ए.इल्म ;शिक्षा का हासिल करने वालेद्ध को रोजगार के ढे“र सारे विकल्प मिल गये। इन मदरसों के तालीम की खुशबू से समाज का हर खित्ता मुनव्वर हो गया। आजादी के बाद मदरसों को समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का मौका मिला। सरकार ने भी दिलचस्पी दिखायी तो मदरसों में शुरू हुई इस्लामी तालीम के साथ आधुनिक शिक्षा। दिलचस्पी और बढ़ी तो सरकार ने तकनीकी शिक्षा की शुरूवात कर सोने पर सुहागा कर दिया। मदरसों से हाफिजए आलिमए कामिलए मुμतीए मौलाना तो निकल ही रहे है वह भी के हुनर के साथ। इन मदरसों से तालीम हासिल कर रहे शिक्षार्थी देश के साथ विदेशों में दीन व दुनियावी खिदमत को अंजाम दे रहे है। मदरसों ने लड़कियों की शिक्षा के लिए भी खास काम किया। मदरसों में पढ़ने वालों में पचास फीसदी लड़कियां की तादाद है। रिपोर्ट में जानिए शहर के तरक्की याμता मदरसों के बारे में। जो तरक्की के साथ कदमताल कर रहे है। जिससे मिलती समाज को नयी आशा। मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार जिसकी स्थापना 1960 में हुई। इसे रμतार दी 1984 में हाजी तहव्वर हुसैन ने। 1990 में परम्परागत तालीम के साथ सभी विषयों की शिक्षा शुरू हुई। करीब चार सौ के करीब यह छात्र.छात्रायें शिक्षा हासिल कर रहे है। हाफिज का पहला बैच बीस साल पहले निकला। आधुनिकीकरण योजना 1994.95 से शुरू हुई। अरबी फारसी के साथ हिन्दी अंग्रेजीए गणितए विज्ञानए सामाजिक विज्ञान सहित अन्य विषयों की शिक्षा दी जाने लगी। 2005 में मदरसा वित्तपोषित हुआ। 2005.2006 में प्रदेश सरकार ने मिनी आईटीआई शुरू हुई। जिसके तहत मदरसों में कम्पयूटरए एसीए फ्रिजए सिलाई कटाई की शिक्षा शुरू हुई। हर साल यहां से हाफिजए आलिम निकलते हैए साथ ही तकनीकी रूप से दक्ष छात्र.छात्रायें निकल रहे है। मदरसों में कक्षा आठ तक पढ़ाई चल रही है। जिन्हें अरबीए फारसीए उर्दू ए विज्ञानए गणितए सामाजिक विज्ञान की शिक्षा के साथ कम्प्यूटर की बारीकियां भी सिखायी जाती है। मदरसा उप्र मदरसा शिक्षा बोर्ड की मुंशीए मौलवीए आलिमए कामिलए फाजिल की परीक्षाएं भी संचालित करता है। यहां पर विदेशी भाषाओं की शिक्षा भी दी जाती है। मदरसे में सर्व शिक्षा अभियानए स्कीम फॉर प्रोवाइड क्वालिटी एजूकेशन इन मदरसाए मिड डे मिल योजना भी संचालित है। सरकार द्वारा निशुल्क ड्रेसए किताब एवं छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाती है। मदरसे की समृद्ध लाइब्रेरी है। करीब तीस लोगों का स्टाफ है। हास्टल की भी सुविधा उपलब्ध है। जहां दूर दराज से शिक्षा हासिल करने वाले छात्र रहकर शिक्षा हासिल करते है। इस मदरसे ने तालीम के साथ इमारत में तरक्की हासिल की। गगनचुंबी इमारत फख्र से खड़ी है। इस मदरसे का निजाम जकातए फितराए कुर्बानी के खाल व चंदे से अंजाम दिया जाता है। दीनी खिदमात में इसकी शोहरत दूर दूर तक है। रमजान में तरावीहए ईदुलअज्हा में कुर्बानी ए कुरआन ख्वानी व फातिहा ख्वानी के कार्य अंजाम दिये जाते है। बुधवार को मदरसे में दस्तरबंदी बनाम इस्लाहे माअशरा कांफ्रेंस का आयोजन किया गया है। जिसमें मदरसे के तालिमयाμता छात्रों हाफिज फैजान रजाए रहमत अलीए मोहम्मद साकिब कदर को दस्तरबंदी कर उपाधि प्रदान की जायेगी। जिसमें देश के मशहूर उलेमा किराम शिरकत करेंगे। मदरसे में लड़कियों की शिक्षा के लिए निस्वां की भी मान्यता है। इसी तरह दूसरा मदरसा है खुनीपुर में स्थापित अंजुमन इस्लामियां। 1901 में इसकी स्थापना हुई। नौ साल तक किराये के मकान में चालू रहा। आज इसके पास खुद की बिल्डिंग है। मदरसे में अरबीए फारसीए उर्दू के साथ आधुनिक शिक्षा भी जारी है। मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त कोर्स मुंशीए मौलवीए आलिमए कामिलए फाजिल की कक्षाएं संचालित है। मदरसे के जेरेनजर लड़कियों का जूनियर हाईस्कूल भी चलता है। करीब 550 बच्चे यहां पर तालिम हासिल कर रहे है। सरकार की तमाम स्कीमें यहां पर चलायी जा रही है। मिनी आईटीआई के जरिये छात्रों को हुनरमंद बनाया जा रहा है। तीन दर्जन स्टाफ है। दीनी व दुनियाबी खिदमात को मदरसों खैरअंजाम देता है। इ तीसरा मदरसा है चिलमापुर स्थिति मदरसा जामिया रजविया मेराजुल उलूम। इसकी स्थापना करीब 1983 में हुई। तब से लेकर आज तक तरक्की के साथ यह कदम बढ़ा रहा। इस मदरसे से आलिमें दीन तो निकलते ही हैए हुनरमंद भी निकलते है। लड़कियों को शिक्षा के लिए अच्छी तालिम की व्यवस्था है। सरकारी मदद भी मिलती है। इसी तरह कामयाबी की मिसाल है गोरखनाथ के पुराना गोरखपुर में स्थित मदरसा जियाउल उलूम। 1938 में स्थापित में यह मदरसा कई सौ आलिमे दीन दे चुका है। समाज की मुख्यधारा से जुड़ा है। परम्परागत शिक्षा के साथ दुनियावी शिक्षा भी प्रदान की जा रही है। हास्टलए लाइब्रेरी भी है। मदरसा बोर्ड की परीक्षाएं संचालित होती है। कम्प्यूटरए आधुनिक शिक्षा की व्यवस्था है। मदरसा जिसमें तकनीकी शिक्षा चालू गोरखपुर। जनपद के करीब छह मदरसा प्रदेश सरकार की मिनी आईटीआई संचालित है। जिसमें मदरसा दारूल उलूम हुसैनियाए मदरसा अंजुमन इस्लामियां खूनीपुरए मदरसा मेराजुल उलूम चिलमापुरए मदरसा नूरिया खैरिया पीपीगंजए मदरसा अनवारूल उलूम गोला बाजारए मदरसा बहरुल उलूम बड़गों शामिल है। जहां पर सिलाई कटाईए कम्प्यूटर प्रोग्रमिंगए एसीए फ्रिजए ड्राμटमैनए इलेक्ट्रेशियनए मैकेनिकए डीजल मैकेनिकए फीटर की तकनीकी शिक्षा एक्सपर्ट प्रदान करते है। इसी के तहत मदरसों में मुख्य अनुदेशकए अनुदेशकए लिपिक कम सह स्टोर कीपरए प्रयोगशाला परिचर नियुक्त हुये। यह योजना बदस्तूर 2004 से संचालित है। इस योजना से तालीम हासिल कर मदरसें के छात्र देश व विदेश में कामयाबी के झंडेगाड़ रहे है। विदेशी भाषाओं का अहम मरकज मदरसा गोरखपुर। शहर के मदरसा विदेशी भाषाओं का अहम मरकज ;केन्द्रद्ध है। यहां पर ईरानए अरबी देशों की भाषाओं की शिक्षा दी जाती है। आज यहां से अरबीए फारसी सिख छात्र अरबी देशों में फर्राटे से अरबी बोल लेते है। इसके साथ फारसी भी बोली जाती है। इन्हीं मदरसा की देन है कि देश में अरबीए फारसीए उर्दू आज तक जिंदा है। जब तक मदरसों का वजूद है। यकीन जानिए यह भाषायें यहां से कभी खत्म नहीं हो सकती है। कम्प्यूटर के साथ आधुनिक शिक्षा बना रहा आत्मनिर्भर गोरखपुर। मदरसों में पढ़ने वाले छात्र छात्रायें में आधुनिक विषयों के साथ कम्प्यूटर के प्रति जबरदस्त दिलचस्पी है। मदरसा दारूल उलूम हुसैनिया की सातवीं कक्षायें की छात्रायें नायमा परवेजए एहतेशाम बानोए तमन्ना बानों बोली मदरसों में अच्छी तालीम मिल रही है। कम्प्यूटर का ज्ञान काफी मददगार साबित हो रहा है। एहतरामुद्दीनए मोहम्मदद सैफ बोले यह मिनी आईटीआई ने हमें पैर पर खड़े होने का हुनर सीखया है। रोजगार में मदद मिलेगी। साथ ही उच्च शिक्षा हासिल करने का रास्ता खुलेगा। अफशां खातूनए शाबाना खातून बोली गणितए विज्ञान के साथ सामाजिक विज्ञान की शिक्षा मिल जाती है। साथ ही दीनी तालिम भी मिलती है। दीन व दुनिया दोनों बन जाती है। गुलअफशांए मोहम्मद आजमए मोहम्मद वारिसए आफताब आलमए अहमद हसन ने कहा कि मदरसा में तालीम का नजारा बदल गया। सरकार ने भी मुख्यधारा से जोड़ने के लिये तमाम प्रयास किये जो काबिले तारीफ है। मदरसे के शिक्षक मोहम्मद आजमए बदरे आलम अंसारीए नवेद आलमए गौसिया सुम्बुल सहित तमाम शिक्षक आधुनिक शिक्षा के साथ कम्पयूटर के कार्य को बाखूबी अंजाम दे रहे है। दीनी तालिम में हाफीज नजरे आलम कादरीए मुμती अख्तर हुसैनए रियाजुद्दीनए कारी अनीसए रियाज अहमद अपनी जिम्मेदाारियों को तत्परता से अंजाम दे रहे है। ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि इल्म के क्षेत्र के यह महकते हुये फूलों की खुशबू से सारा समाज रोशन है।

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