ईदैन की नमाज का तरीका

गोरखपुर। ईद की नमाज आबादी से बाहर खुले मैदान मंे जमाअत के साथ अदा करनी चाहिए। बूढे़ कमजोर अगर शहर की बड़ी मस्जिद में पढ़ लें, तो भी दुरूस्त है। जब सफें दुरूस्त हो जाएं तो ईदुल फित्र की नमाज के लिये सबसे पहले नीयत करलें कि ‘‘ मैं नियत करता हॅंू दो रकआत नमाज वाजिब ईदुल फ़ित्र की जायदमय छः तकबीर के , वास्ते अल्लाह के, पीछे इस इमाम के, रूख मेरा काबा शरीफ की तरफ। इमाम तक्बीरे तहरीमा कहे तो आप भी दोनों हाथ कानों तक हाथ उठाए और अल्लाहु अकबर कहकर हाथ नाफ से नीचे बांध लें फिर सना पढे़। इसके बाद तीन बार ‘‘अल्लाहु अकबर’’ कहिए और हर बार दोनों हाथ तक्बीरे तहरीमा की तरह कानों तक उठाइए हर तक्बीर के बाद हाथ छोड़ दीजिए, मगर तीसरी तक्बीर के बाद हाथ फिर बाॅंध लीजिए और इमाम ‘अअ़ूजु’ और ‘बिस्मिल्लाह’ पढ़ कर किरात शुरू करे और मुक्तदी खामोशी से इमाम की किरात सुनें और इमाम की पैरवी में रूकूअ व सज्दे करें- रूकूअ व सुजूद के बाद खड़े होकर दूसरी रकआत की किरात खामोशी के साथ सुनिए। किरात पूरी करने के बाद जब इमाम तक्बीर कहे तो आप भी इमाम के साथ धीमी आवाज में तक्बीरें कहते जाइए और तक़्बीरों के दरमियान दोनों हाथ खुले छोड़ दीजिए। तीसरी तक्बीर के बाद भी हाथ बाॅंधने के बजाए खुले छोड़ दीजिए और चैथी तक्बीर पर रूकूअ में जाइए और कायदे के मुताबिक कौमा, सज्दा, जल्सा और कअ़दा के बाद दोनो तरफ सलाम फेर कर नमाज खत्म कीजिए। ईदैन की नमाज के बाद खु़त्बा पढ़ना और सुनना सुन्नत है। ईद की नमाज के बाद दुआ होगी। उसके बाद मुसाफा व मुआनका(गले मिलना) करना जैसा उमूमन मुसलमानों में रिवाज है बेहतर है कि इसमें खुशी का इजहार है।

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