ईदैन की रातों में कयाम करे उसका दिल न मरेगा
गोरखपुर। कुरआन शरीफ में अल्लाह तआला फरमाता है, रोजों की गिनती पूरी करो और अल्लाह की बड़ाई बोलो कि उसने तुम्हें हिदायत फरमाएं।
हदीस में आया है कि नबी ए पाक ने फरमाया कि जो जिस दिन लोगों के दिल मरेंगे। जो पाॅंच रातों में शब बेदारी करे उसके लिए जन्नत वाजिब है जिलहिज्जा की आठवीं, नवीं, दसवीं रातें और ईदुल फ़ित्र की रात और शाबान की पन्द्रहवीं यानी शबे बारात। हदीस में है जब नबी ए पाक मदीने में तशरीफ लाए उस जमाने में अहले मदीना साल में दो दिन खुशी करते थे महरगान व नैरोज। फरमाया यह क्या दिन हैं लोगों ने अर्ज किया जाहिलियत में हम इन दिनों में खुशी करते थे। फरमाया अल्लाह तआला ने उनके बदले में इनसे बेहतर दो दिन तुम्हें दिये ईदे अजहा व ईदुल फित्र के दिन। नबी ए पाक ने फरमाया ईदुल फित्र के दिन कुछ खाकर नमाज के लिये तशरीफ ले जाते। ईद केा एक रास्ते से तशरीफ ले जाते और दूसरे से वापस होते। हदीस में है कि एक मर्तबा ईद के दिन बारिश हुई तो मस्जिद में हुजूर ने ईद की नमाज पढ़ी। ईदैन की नमाज वाजिब है और इसकी अदा की वही शर्तें है जो जुमे के लिए है सिर्फ इतना फर्क हैं कि जुमे में खुत्बा शर्त है और ईदैन में सुन्नत । ईदैन के दिन हजामत बनवाना, नाखून तरशवाना, गुस्ल करना, मिस्वाक करना, अच्छे कपड़े पहनना नया हो तो नया, वरना धुला हुआ। ईदगाह को नमाज के लिए जाना सुन्नत है
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