*गोरखपुर - 105 साल पुरानी है खरादी टोला (तुर्कमानपुर) की दरगाह हजरत हाजी सैयद जमाल शाह अलैहिर्रहमां व मस्जिद*


गोरखपुर। मसायख-ए-गोरखपुर के लेखक सूफी वहीदुल हसन अपनी किताब के पेद 64 व 65 पर लिखते हैं कि मुहल्ला खरादी टोला (तुर्कमानपुर) में एक आबिद, मुत्तकी, खूबसूरत, तरीकत और मारफत के रहनुमा हजरत हाजी सैयद जमाल शाह अलैहिर्रहमां हुए हैं। अपने जमाने के कामिल बुजुर्ग थे। अच्छे जाकिर थे। आपका सिलसिला कादरिया नक्शबंदिया था। इसके अलावा दूसरे और सिलसिलों में भी इजाजत व खिलाफत थी। इस शहर के साहिबे इल्म व अमल आपकी सोहबत में रहा करते थे। शहर के बहुत लोग मुरीद थे। आलिमे दीन होने के साथ साथ इल्म, मारफत व हकीकत के भी माहिर थे। मिलाद शरीफ की महफिल के बहुत शौकीन थे। शब बेदार थे। हजरत हाजी सैयद जमाल शाह का विसाल 21 शव्वाल 1335 हिजरी को हुआ। मजारे अकदस मुहल्ला खरादीटोला में आप ही की बनवायीं हुई मस्जिद के बगल में है। इस मजार से फैज जारी है। मजार के फाटक पर हजरत आरिफ साहब का कताअ व तारीख विसाल लिखा हुआ है।  हर साल आपका उर्स मनाया जाता है। जो 21 शव्वाल को होता है। उर्स की तकरीबात की तफसील कुछ यूं है - सुबह को बाद नमाज फज्र कुरआन ख्वानी और बाद फातिहा और तकसीमे तबर्रुक। दोपहर को चने की दाल और तंदूरी रोटियां आवाम में बांटी जाती है। शाम को बाद नमाज मगरिब जिक्रे पैगंबर-ए-इस्लाम होता है। आपने निहायत खूबसूरत मस्जिद बनवायी। आप का मजार भी खूबसूरत है।



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

*गोरखपुर में डोमिनगढ़ सल्तनत थी जिसे राजा चंद्र सेन ने नेस्तोनाबूद किया*

*गोरखपुर में शहीदों और वलियों के मजार बेशुमार*

जकात व फित्रा अलर्ट जरुर जानें : साढे़ सात तोला सोना पर ₹ 6418, साढ़े बावन तोला चांदी पर ₹ 616 जकात, सदका-ए-फित्र ₹ 40