*गोरखपुर - जानिए हजरत शाह मारूफ का इतिहास*



गोरखपुर। सूफी वहीदुल हसन की किताब 'मसायख-ए-गोरखपुर' के पेज नं. 33, 34 व 35 पर हजरत सैयद शाह मारूफ अलैहिर्रहमां का जिक्र है। वह लिखते हैं कि इस शहर के मशहूर रईसों में रईस बुजुर्ग और शेखे तरीकत हजरत सैयद शाह मारूफ अलैहिर्रहमां भी गुजरे हैं। आपका हसब व नसब 28 वास्ते से हजरत जाफर तय्यार रजियल्लाहु अन्हु से जा मिलता है। आपके वालिद मोहतरम हजरत सैयद शाह अब्दुर्रहमान अलैहिर्रहमां बादशाह मुअज्जम शाह के शासनकाल में गोरखपुर तशरीफ लाए और यहीं बस गये। आज तक आपकी औलादों का सिलसिला जारी व सारी है। हजरत सैयद शाह मारूफ का सिलसिले में हजरत सैयद शाह बायजीद अलैहिर्रहमां, हजरत ख्वाजा सैयद महमूद अलैहिर्रहमां, हजरत शाह सैयद रहीमुल्लाह, हजरत सैयद शाह फतह अली, सैयद मौलवी फजले अजीम, हजरत शाह सैयद मो. मसाहिब वगैरह जय्यद बुजुर्ग और अल्लाह वाले सज्जादानशीन और मसायख-ए-तरीकत हुए हैं। हजरत सैयद शाह मारूफ को जुमाला सलासिल में इजाजत व खिलाफत थीं। मुहल्ले का नाम भी आपके ही की जात से मशहूर व मंसूब है। इसे मुहल्ला शाह मारूफ ही कह कर गोरखपुर के लोग पुकारते हैं। आपके बेशुमार मुरीद थे। आवाम को आपके दौर में इस्लाहे बातिन नसीब हुई। इबादत, खिदमते खल्क।, इशार और खुश खुल्की का आप बेहतरीन नमूना थे। बुजुर्गों के और सल्फ के आसार व तबर्रुकात आज भी आपके खानदान में बशक्ले कुलाह, खिरका, रुमाल, पगड़ी, जुब्बा वगैरह मौजूद है। मौलवी सैयद फजले अजीम सदरुस सुदूरी के हाकिम भी थे। आपके खानदान की एक शाख मुहल्ला अलीनगर में आबाद है। वहां भी बुजुर्गों के मजारात हैं और सिलसिला-ए-तरीकत उस शाख से भी जारी व सारी है। हजरत सैयद शाह मारूफ के खानदान के मुताल्लिक मियां साहब सैयद अहमद अली शाह अपनी किताब महबूबुत तारीख में लिखते हैं कि

*"मसायख बड़े शाह मारूफ थे, बुजुर्गी में वो शाह मारूफ थे।*

*उन्हीं की जगह शाह मारूफ है, मुहल्ले में इस्म उनका मौसूफ है।*

*है औलाद भी उनकी यकसर सलीम, सफीक व रफीक व खलीको हलीम।*

*अजां जुमला था एक फजले अजीम, थे रावी के अजबस रफीक व नदीम।*

*वो पक्के जबरदस्त आलिम भी थे, ये सदरुस सुदूरी के हाकिम भी थे।*

हजरत शाह मारूफ का मजारे अक्दस मुहल्ला शाह मारूफ में है। हर साल उर्स भी होता है। गोरखपुर शहर में मारूफी खानदान आज तक अपनी कदीम रवायत के साथ आबाद है। मारूफी फैज जारी व सारी है। मुहल्ला अलीनगर में जो शाख हजरत सैयद शाह मारूफ के सिलसिले आलिया की है उसका ताल्लुक हजरत सैयद अहमद अली शाह ने भी अपनी तसनीफ में लिखा है

*अलीनगर में एक मर्दे खुदा, वली अल्लाह है मौलवी बाशफा।*

*वो मारूफी है ये जाने है हम, मसायख घराने के माने हैं हम।*


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