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हज़रते सैयदा मारिया क़िब्तिया रदियल्लाहु तआला अन्हा :ईमान वालों की अज़ीम माएं : "फ़ैज़ाने उम्महातुल मोमिनीन" "MOTHERS of the BELIEVERS" हज़रत इब्राहीम बिन पैगंबर हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की मां, नेक, परहेज़गार, इबादतगुजार खातून : Seerat-e-Hazrat Maria Al Qibtiyya Radi'Allahu Anha - Part - 13 Great Women of Islam : हज़रते मारिया क़िब्तिया रदियल्लाहु अन्हा की पाक सीरत Part - 13

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  आपका नाम मारिया, कुन्नियत उम्मे इब्राहीम, वालिद का नाम शमऊन और मां रोमी थीं। किब्ती खानदान से होने की वजह से आपको मारिया क़िब्तिया कहा जाता है। आप करियह हफन जिले इंसनाक मिश्र की रहने वाली थीं। हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम दोनों की वालिदा इसी खानदान से थीं। इसलिए रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि खानदान किब्त के साथ भलाई और खैर की वसीयत कबूल करो। हज़रते मारिया क़िब्तिया करीयह हफन से थीं, इसलिए हज़रत हसन रयिल्लाहु तआला अन्हु ने अमीरे मुआविया रदियल्लाहु तआला अन्हु से बात की और हज़रत मुआविया ने इनके इलाके का जुर्माना खत्म कर दिया।  हज़रते मारिया मदीने में: रसलूल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने पहले सैयदा मारिया क़िब्तिया के लिए हज़रत हारिस बिन नुमान के मकान में कयाम का इंतजाम फरमाया। इसके बाद हालात के पेशे नज़र आलिया नामी बस्ती में जो मदीना से थोड़े फासले पर है मुंतकिल कर दिया। जिसे मर्शबा उम्मे इब्राहीम कहा जाता है। वहीं जरूरीयाते जिंदगी दस्तयाब फरमाते।  हज़रते आयशा रदियल्लाहु तआला अन्हा फरमाती हैं कि मुझे जितना रश्क मारिया पर हुआ इतना कि...

उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा मैमूना बिन्ते हारिस रदिय़ल्लाहु तआला अन्हा : ईमान वालों की अज़ीम माएं : "फ़ैज़ाने उम्महातुल मोमिनीन" "MOTHERS of the BELIEVERS" A Blessed women, Intellectual & Inspiring Scholar : Hazrat Maymunah bint-e-Harith Radi'Allahu Anha - Part - 12 Great Women of Islam : हज़रते मैमूना बिन्ते हारिस रदियल्लाहु अन्हा की पाक सीरत Part - 12

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  उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा मैमूना बिन्ते हारिस रदिय़ल्लाहु तआला अन्हा शिफा खातून  पार्ट टाइम आलिमा कोर्स  मदरसा रज़ा ए मुस्तफा, तुर्कमानपुर गोरखपुर। उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा मैमूना बिन्ते हारिस रदियल्लाहु तआला अन्हा का नाम पहले बर्रह था। अल्लाह पाक के आखरी नबी नबी ए रहमत सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम ने तब्दील फरमाकर मैमूना कर दिया। आपके वालिद का नाम हारिस बिन हज़न और वालिदा का नाम हिंद बिन्ते औफ़ है। आपके वालिद मक्का के बनू हिलाला कबीले से ताल्लुक रखते थे।  आपका पहला निकाह मसऊद बिन अम्र सक़फी से हुआ। किसी वजह से इनसे तलाक हो गया। तलाक के बाद आपका दूसरा निकाह अबू रुहम बिन अब्दुल उज़्ज़ा से हुआ। कुछ अर्से बाद सात हिजरी में उसका इंतकाल हो गया। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम ज़िल क़ा'अदह आठ हिजरी में उमरा की नीयत से मक्का रवाना हुए। एहराम की हालात में हज़रते मैमूना से निकाह हुआ। हज़रत अब्बास निकाह के मुतवल्ली बने। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम जब उमरा से फारिग होकर मदीना के लिए रवाना हुए तो मकामे सरफ़ में जो मक्का से दस मील के फासले पर मौज...

उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा सफ़िया रदियल्लाहु तआला अन्हा :ईमान वालों की अज़ीम माएं : "फ़ैज़ाने उम्महातुल मोमिनीन" "MOTHERS of the BELIEVERS" The Noble wife of the Holy Prophet, A Heart of Gold, extremely spiritual, Genius : Hazrat Safiya bint-e-Huyayy Radi'Allahu Anha - Part - 11 Great Women of Islam : हज़रते सफ़िया बिन्ते हुय्य रदियल्लाहु अन्हा की पाक सीरत Part - 11

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  उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा सफ़िया रदियल्लाहु तआला अन्हा शिफा खातून  पार्ट टाइम आलिमा कोर्स  मदरसा रज़ा ए मुस्तफा, तुर्कमानपुर गोरखपुर।  आपका नाम सफ़िया है यह भी कहा गया है कि पहले आप आपका नाम ज़ैनब था फिर जब क़ैदी होकर आईं और हुज़ूर पाक सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम ने इन्हें अपने लिए चुन लिया तो आपको सफ़िया कहा जाने लगा।  आपके वालिद का नाम हय्य बिन अख़्तब और वालिदा का नाम ज़ेरौ बिन्ते समवाल है।  हज़रते सफ़िया हज़रते हारून बिन इमरान की औलाद में से हैं। आपका ताल्लुक नूर वाले मदीना के एक यहूदी कबीले बनी नज़ीर से था। आप रदियल्लाहु तआला अन्हा की विलादत हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के एलाने नबुव्वत के तीन साल बाद हुई।  आपका पहला निकाल सलाम बिन मिश्कम कुरज़ी से हुआ था। जब उसने तलाक दिया तो किनाना बिन अबू हकीक के निकाह में आईं। जो अबू राफे ताजिर ए हुज्जाज और रईस ए खैबर का भतीजा था। गज़वा-ए-खैबर में किनाना कत्ल किया गया। आपके बाप भाई मारे गए और खुद गिरफ्तार हुईं।  जब तमाम कैदी जीत के बाद जमा किए गए तो हज़रत दहिया कल्बी  रदियल्लाहु तआला अन्हु ने ...

उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा उम्मे हबीबा रदियल्लाहु तआला अन्हा :ईमान वालों की अज़ीम माएं : "फ़ैज़ाने उम्महातुल मोमिनीन" "MOTHERS of the BELIEVERS" HONORED, INFLUENTIAL, EMPOWERED Lady of Islam & A Loyal Wife by All Means: Hazrat Umme Habiba bint-e-Abu Sufyan Radi'Allahu Anha - Part - 10 Great Women of Islam : Life Lessons they can teach us : हज़रते उम्मे ह़बीबा रदियल्लाहु अन्हा की पाक सीरत Part - 10

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 उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा उम्मे हबीबा रदियल्लाहु तआला अन्हा सना फातिमा पार्ट टाइम आलिमा कोर्स  मदरसा रज़ा ए मुस्तफा, तुर्कमानपुर गोरखपुर। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम के एलान ए नबुव्वत से 17 साल पहले मक्का शरीफ़ की मुबारक ज़मीन पर हज़रते सैयदा उम्मे हबीबा रदियल्लाहु तआला अन्हु की विलादत हुई।  आपका ताल्लुक अरब के सबसे इज़्ज़तदार क़बीले क़ुरैश की एक शाख़ बनू उमय्या से है। आपके वालिद ज़मान ए जाहिलियत में कुरैश के सरदारों में से थे इस लिहाज़ से आपके घराने का शुमार निहायत इज़्ज़तदार घरानों में होता था।  मशहूर रिवायत के मुताबिक आपका नाम रम्ला, वालिद का नाम सख्र था। आपके वालिद अपनी कुन्नियत अबू सुफियान से ज़्यादा मशहूर थे। आपकी वालिदा का नाम सफ़िय्या बिन्ते अबुल आस है। यह अमीरूल मोमिनीन हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु तआला अन्हु की फूफी हैं। हज़रत उम्मे हबीबा रदियल्लाहु तआला अन्हा की कुन्नियत उम्मे हबीबा है नाम के बजाए कुन्नियत से ही आप ज़्यादा मशहूर हैं। आप मशहूर सहाबी कातिबे वही (रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम पर नाजिल होने वाले अल्लाह पाक के पैगा...

उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा जुवैरिया बिन्ते हारिस रदियल्लाहु तआला अन्हा : ईमान वालों की अज़ीम माएं : "फ़ैज़ाने उम्महातुल मोमिनीन" "MOTHERS of the BELIEVERS" A Blessing to her People, The Ideal Lady of Muslim Ummah : Seerat-e-Hazrat Juwairiyah bint-e-Harith Radi'Allahu Anha - Part - 9 Great Women of Islam : हज़रते जुवैरिया रदियल्लाहु अन्हा की पाक सीरत Part - 9

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  उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा जुवैरिया बिन्ते हारिस रदियल्लाहु तआला अन्हा हज़रते सैयदा जुवैरिया बिन्ते हारिस रदियल्लाहु तआला अन्हा का ताल्लुक कबीला बनी मुस्तलक़ से आपका है। जो ख़ुज़ाआ की एक शाख़ है। वालिद का नाम हारिस था। आपके वालिद क़बीला बिन मुस्तलक़ के सरदार थे।  एक अन्दाज़े के मुताबिक आपकी विलादत बि'असते नबवी से तकरीबन दो साल पहले 608 ई. में हुई है। आप बहुत खूबसूरत, ज़हीन व फसीह थीं। रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम ने जब मदीना तय्यबा को दारुल हुकूमत बनाया तो इसके आसपास बसने वाले बहुत से कबीलों ने इस नई इस्लामी हुकूमत क़बूल फरमा ली और समझौता कर अपने दीन पर क़ायम रहे।  इसी के साथ बहुत से क़बाइल ने कुफ्फारे मक्का के साथ समझौता कर लिया। हज़रते जुवेरिया रदियल्लाहु तआला अन्हा का पहला निकाह उनके कबीले के एक फर्द मुसाफे'अ बिन सफ्वान से हुआ था जो इस्लाम का सख़्त दुश्मन था। मुसलमानों से जंग के दौरान जंगे मरीसी'अ मेें वह मारा गया। मुसलमानों ने जंग में जीत हासिल की।  हज़रते जुवेरिया को दस्तूर के मुताबिक दूसरे लोगों के साथ कैद किया गया। अपनी हैसियत और शख़्सियत को बचाने...

उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा ज़ैनब बिन्ते जहश रदियल्लाहु तआला अन्हा :ईमान वालों की अज़ीम माएं : "फ़ैज़ाने उम्महातुल मोमिनीन" "MOTHERS of the BELIEVERS" Honoured by the Allah Almighty, Noble Lady : Hazrat Zainab bint-e-Jahsh Radi'Allahu Anha - Part - 8 The Great & Powerful Women of Islam : हज़रते ज़ैनब बिन्ते जह़श रदियल्लाहु अन्हा की पाक सीरत Part - 8

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  उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा ज़ैनब बिन्ते जहश रदियल्लाहु तआला अन्हा सना फातिमा आलिमा कोर्स, साल ए अव्वल  मदरसा रज़ा ए मुस्तफाﷺ, तुर्कमानपुर गोरखपुर। आपका पहला नाम बर्रह था, हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम ने बदल कर ज़ैनब रख दिया। आपकी कुन्नियत उम्मे हकम है। हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने आपको अव्वाहा के लक़ब से नवाज़ा है जिसका माना है अल्लाह तआला से बहुत ज़्यादा डरने वाली। आपके वालिद का नाम जहश बिन रियाब और वालिदा का नाम उमैमा था।  आपकी वालिदा नबी पाक  सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम के दादा हज़रत अब्दुल मुत्तलिब की साहबज़ादी थीं। इस लिहाज़ से हज़रते ज़ैनब रदियल्लाहु तआला अन्हा हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम की फूफीज़ाद बहन हुईं।  हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम ने जब दीन की तरफ लोगों को बुलाना शुरू किया उसी वक्त आप ईमान ले आईं। हज़रते ज़ैनब रदियल्लाहु तआला अन्हा अपने घर वालों के साथ मक्का मुकर्रमा में मुसलमान हुईं। यह वह ज़माना था, जब मुसलमान बज़ाहिर कमज़ोर और ज़ुल्म व सितम की चक्की में पीसे जा रहे थे, उन्होंने भी अपने ...

उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा उम्मे सलमा रदियल्लाहु तआला अन्हा ; ईमान वालों की अज़ीम माएं : "फ़ैज़ाने उम्महातुल मोमिनीन" "MOTHERS of the BELIEVERS" Extraordinary, Outstanding, Illustrious Muslim Women Scholar : Biography of Hazrat Umme Salama Radi'Allahu Anha - Part - 7 Great Women of Islam : हज़रते उम्मे सलमा रदियल्लाहु अन्हा की पाक सीरत Part - 7

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 उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा उम्मे सलमा रदियल्लाहु तआला अन्हा गुलअफ़्शां खातून आलिमा कोर्स, साल ए अव्वल मदरसा रज़ा ए मुस्तफाﷺ, तुर्कमानपुर गोरखपुर। उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा उम्मे सलमा रदियल्लाहु तआला अन्हा का शुमार दीन-ए-इस्लाम की बहुत ही पाकीज़ा व इज़्ज़तदार औरतों में होता है। आप बहुत अक़्लमंद थीं। आपकी शख़्सियत और दीनी गैरत हमारे लिए बेहतरीन नमूना (Ideal) है।  हज़रते सैयदा उम्मे सलमा रदियल्लाहु तआला अन्हा का नाम हिन्द और कुन्नियत उम्मे सलमा है। आपका तअल्लुक कुरैश के मशहूर खानदान बनी मख़्ज़ूम से था। वालिद का नाम हुजैफ़ा या सुहैल व कुन्नियत अबू उमय्या है और वालिदा नाम आतिका है।  आपके वालिद मक्का मुकर्रमा के बड़े सखी आदमी, ताजिर (Business man)  और काफी दौलतमंद थे। इस लिहाज़ से हज़रते सैयदा उम्मे सलमा ने बहुत खुशहाल घराने में परवरिश पाई।  आपका पहला निकाह अब्दुल्लाह बिन अब्दुल असद से हुआ, वह अबू सलमा के नाम से मशहूर थे। आप इस्लाम की इब्तिदा ही में अपने शौहर के साथ इस्लाम ले आईं थीं। गोया दोनों मियां बीवी शुरुआती दौर में इस्लाम लाने वालों में शुमार किए जाते हैं।  कुर...

उम्मुल मोमिनीन हज़रत सैयदा ज़ैनब बिन्ते ख़ुजै़मा रदियल्लाहु तआला अन्हा : ईमान वालों की अज़ीम माएं : "फ़ैज़ाने उम्महातुल मोमिनीन" "MOTHERS of the BELIEVERS" Helper of the Poors : Hazrat Zainab bint-e-Khuzaimah Radi'Allahu Anha - Part - 6 Great Women Of Islam : मिस्कीनों की मां‌ हज़रते ज़ैनब बिन्ते ख़ुज़ैमा रदियल्लाहु अन्हा की पाक सीरत Part - 6

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  उम्मुल मोमिनीन हज़रत सैयदा ज़ैनब बिन्ते ख़ुजै़मा रदियल्लाहु तआला अन्हा शिफा खातून  आलिमा कोर्स, साल ए अव्वल  मदरसा रज़ा ए मुस्तफाﷺ, तुर्कमानपुर गोरखपुर। आपका मुबारक नाम ज़ैनब है। वालिद का नाम ख़ुज़ैमा बिन हारिस और वालिदा का नाम हिंद बिन्ते औफ़ रदियल्लाहु तआला अन्हुमा है। आप बचपन ही से बहुत सखी और रहमदिल थीं। गरीबों और मिस्कीनों को खोज-खोज कर खाना खिलाया करती थीं इसीलिए लोग आपको "उम्मुलमसाकीन (मिस्कीनों की मां)" कहा करते। आप रदियल्लाहु तआला अन्हा ताइफ व उसके आस पास आबाद मशहूर कबीला हवाज़िन की एक मशहूर शाख हिलाल बिन आमिर बिन स'अस'अह की एक अज़ीम खातून हैं। आप अपने वतन ताइफ में में पैदा हुईं, यहीं आपकी परवरिश भी हुई। उस वक्त अरब में फितना, फसाद और बुराइयां काफी आम थीं। बुतों की पूजा, और पत्थर व दरख़्त की इबादत करना उनका मज़हबी शौक था। उस वक्त कुछ कबीलों में बच्चियों को ज़िंदा दफ्न करने को मज़हबी रिवायत और खानदानी शराफत समझा जाता था। चूंकि आप आप रदियल्लाहु तआला अन्हा एक पाकीज़ा और बुलंद पाया खानदान से निस्बत रखती थीं इसीलिए इस खौफनाक और बुरी रस्म से महफूज़ रहीं। आपने बहुत कम ...

12th Urs of Hazrat Sufi Nizamuddin from 3th November

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    Sant Kabir Nagar .The 12th Urs-e Pak of India's famous Sufi Islamic scholar Hazrat Sufi Muhammad Nizamuddin Barkati (R.A) will be held on 3th November 2024 at Khankahe Nizamia,  Agaya District Sant Kabir Nagar.  The Members of the organizing committee have started preparations for the Urs programme. Hazrat Sufi Nizamuddin (R.A) was a popular and a great Alim-e-Deen and Sufi.His followers are present in large numbers in different provinces of the country, and in the Gulf countries.  Every year his annual Urs Programme is held in a grand form, in which devotees from different provinces of the country are gathered.  Sajjadanshin Hazrat Maulana Habibur Rahman's  Elder Son and  General Secretary of all India Bazme Nizami Hazrat Maulana Ziaul Mustafa Nizami told that, On November 3, after the prayer, (Namaz Fajr) the programme of Urs will start with the recitation Qur'an at the Mazar sharef. After the prayers of Zuhar in the afternoon, the process o...

उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा हफ़्सा बिन्ते उमर रदियल्लाहु तआला अन्हा :ईमान वालों की अज़ीम माएं : "फ़ैज़ाने उम्महातुल मोमिनीन" "MOTHERS of the BELIEVERS" Great Women Scholar of Islamic History : Hazrat Hafsa bint-e-Umar Radi'Allahu Anha - Part - 5 Prominent, Influential, Excellent Orator, Writer and Hafidhah of Quran : हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु अन्हा की पाक सीरत Part - 5

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  उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा हफ़्सा बिन्ते उमर रदियल्लाहु तआला अन्हा शिफा खातून  पार्ट टाइम आलिमा कोर्स  मदरसा रज़ा ए मुस्तफा, तुर्कमानपुर गोरखपुर। हज़रते हफ़्सा रदियल्लाहु तआला अन्हा हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम की मुक़द्दस बीबी और उम्मत की माओं में से हैं। आपका ताल्लुक अरब के एक निहायत ही इज़्ज़त व अज़मत वाले क़बीले कुरैश की शाख बनी अदी से था। आप मुसलमानों के दूसरे खलीफा हज़रत उमर फारूक आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु की खुशनसीब साहबज़ादी है। आप रदियल्लाहु तआला अन्हा की वालिदा का नाम ज़ैनब बिन्ते मज़ऊन है।  अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम के एलाने नबुव्वत से पांच साल पहले जब कुरैश काबा शरीफ़ की नए सिरे से तामीर करने में लगे हुए थे तब हज़रत उमर रदियल्लाहु तआला अन्हु के यहां हज़रते हफ़्सा की पैदाइश हुई। आपकी तरबियत कुरैश के आला खानदान में हुई। वालिदे मोहतरम मुसलमानों के दूसरे खलीफा हज़रत उमर फारूक आज़म रदियल्लाहु तआला अन्हु कुरैश के बड़े लोगों में से थे। वालिद माजिद के इस्लाम लाने के बाद इस्लामी माहौल ने उनकी शख्सियत में और निखार पैदा कर ...

उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा आयशा सिद्दीक़ा रदियल्लाहु तआला अन्हा : ईमान वालों की अज़ीम माएं : "फ़ैज़ाने उम्महातुल मोमिनीन" "MOTHERS of the BELIEVERS" Biography of Inspirational Muslim Women Hazrat AYESHA SIDDIQA bint-e-Abu Bakr Radi'Allahu Anha - Part - 4 Islam's First Lady Scholar, Politician, Law-maker, Leader, Warrior : हज़रते आयशा रदियल्लाहु अन्हा की पाक सीरत Part - 4

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 उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा आयशा सिद्दीक़ा रदियल्लाहु तआला अन्हा आलिमा शहाना खातून  मुजरी, महराजगंज आप का नाम आयशा, लक़ब सिद्दीक़ा, हुमैरा और कुन्नियत उम्मे अब्दुल्लाह है। आपके वालिद हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु तआला अन्हु है, जो नौज़वानों में सबसे पहले ईमान लाने वाले और इस्लाम के पहले खलीफा भी हैं। आपकी वालिदा का नाम ज़ैनब बिन्ते आमिर है, लेकिन यह अपनी कुन्नियत उम्मेे रूमान से ज्यादा मशहूर हैं।  आपकी विलादत एलाने नबुव्वत के चौथे साल शव्वाल के महीने में हुई। एलाने नबुव्वत के दसवें साल दस रमज़ानुल मुबारक जब उम्मुल मोमिनीन हज़रते ख़दीजतुल कुबरा का इंतकाल हो गया, इनके इंतकाल से तीन दिन पहले अबू तालिब भी वफात पा चुके थे। अबू तालिब और हज़रते ख़दीजतुल कुबरा की वफात के बाद रसूले करीम सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम बहुत रंजीदा व ग़मगीन रहने लगे।  हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम की तरफ से इजाज़त पाकर हज़रते ख़ौला हज़रते आयशा के यहां निकाह का पैग़ाम लेकर गईं। हज़रते ख़दीजतुल कुबरा की वफात के चंद हफ्तों बाद शव्वालुल मुकर्रम के महीने में हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व ...