ग्यारहवीं शरीफ : हज़रत शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी की याद में निकाला जुलूस, पढ़ी फातिहा
गोरखपुर। मंगलवार को हज़रत शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमा (गौसे आज़म) का उर्स-ए-पाक ‘ग्यारहवीं शरीफ’ के रूप में अदबो-एहतराम के साथ मनाया गया। मदरसा, मस्जिद व घरों में फातिहा हुई। महफिल-ए-ग़ौसुलवरा का आयोजन हुआ। सुबह फज्र की नमाज़ के बाद फातिहा का सिलसिला शुरू हुआ जो पूरे दिन चलता रहा। कई जगह लंगर भी बांटा गया। गौसे आज़म फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष समीर अली, हाफिज मो. अमन, मो. फैज, रियाज़ अहमद, मो. जैद, मो. जैद कादरी, अहसन खान, अमान अहमद, वसीम अहमद, अब्दुर्हमान आदि ने दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद नार्मल के पास गरीबों में फल बांटा।
वहीं फैजाने गौसिया नौजवान कमेटी की ओर से अहमदनगर चक्शा हुसैन से जुलूस-ए-गौसिया निकाला गया। जो जुमनहिया बाग, जाहिदाबाद, गोरखनाथ, अंसारी रोड, हुमायूंपुर होता हुआ नूरी जामा मस्जिद अहमदनगर चक्शा हुसैन पर समाप्त हुआ। जुलूस में इस्लामी परचम, मस्जिद-ए-अक्सा का माडल, नात व मनकबत पढ़ते युवा आकर्षण का केंद्र रहे। जुलूस समापन पर महफ़िल हुई। कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। शीरीनी बांटी गई। जुलूस में मौलाना शादाब अहमद रजवी, मो. दानिश रजवी, सिमनान रजवी, हैदर हसन, मो. फैसल, फैजान रजवी, शहान, सूफियान, शान, मुनाजिर हसन, अफरोज कादरी, अजीम अहमद, सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
बसंतपुर में महफिल-ए-गौसे आज़म हुई। जिसमें कारी मोहम्मद अनस रजवी ने कहा कि अल्लाह के वलियों में सबसे ऊंचा मर्तबा हज़रत शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी (गौसे आज़म) का है। हमारे औलिया किराम व मशायख जिस रास्ते से गुजरे उन रास्तों में तौहीद व सुन्नत-ए-नबी का नूर व खुशबू फैल गई। हिन्दुस्तान में ईमान व दीन-ए-इस्लाम हमारे इन्हीं बुजुर्गों, औलिया व सूफिया के जरिए आया। ऐसे लोग जिनके चेहरों को देखकर और उनसे मुलाकात करके लोग ईमान लाने पर मजबूूर हो जाते थे। हमें भी इनकी शिक्षाओं पर पूरी तरह से अमल करना चाहिए। जिससे हमें दुनिया व आखिरत की कामयाबी मिलेगी।
मौलाना महमूद रज़ा कादरी व हाफिज अशरफ रज़ा इस्माईली ने कहा कि हज़रत शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमा नबियों के सच्चे जानशीन हैं। इस्लाम व ईमान की रोशनी इन्हीं के जरिए से हम तक पहुंची है। अंत में कुल शरीफ की रस्म अदा कर मुल्क व मिल्लत के लिए दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। बड़गो में जलसा-ए-गौसुलवरा का प्रोग्राम हुअा। जिसमें उलमा किराम ने हज़रत शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी की जिंदगी पर रोशनी डाली।
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