उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा उम्मे हबीबा रदियल्लाहु तआला अन्हा :ईमान वालों की अज़ीम माएं : "फ़ैज़ाने उम्महातुल मोमिनीन" "MOTHERS of the BELIEVERS" HONORED, INFLUENTIAL, EMPOWERED Lady of Islam & A Loyal Wife by All Means: Hazrat Umme Habiba bint-e-Abu Sufyan Radi'Allahu Anha - Part - 10 Great Women of Islam : Life Lessons they can teach us : हज़रते उम्मे ह़बीबा रदियल्लाहु अन्हा की पाक सीरत Part - 10


 उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा उम्मे हबीबा रदियल्लाहु तआला अन्हा

सना फातिमा
पार्ट टाइम आलिमा कोर्स 
मदरसा रज़ा ए मुस्तफा, तुर्कमानपुर गोरखपुर।

हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम के एलान ए नबुव्वत से 17 साल पहले मक्का शरीफ़ की मुबारक ज़मीन पर हज़रते सैयदा उम्मे हबीबा रदियल्लाहु तआला अन्हु की विलादत हुई। 

आपका ताल्लुक अरब के सबसे इज़्ज़तदार क़बीले क़ुरैश की एक शाख़ बनू उमय्या से है। आपके वालिद ज़मान ए जाहिलियत में कुरैश के सरदारों में से थे इस लिहाज़ से आपके घराने का शुमार निहायत इज़्ज़तदार घरानों में होता था। 

मशहूर रिवायत के मुताबिक आपका नाम रम्ला, वालिद का नाम सख्र था। आपके वालिद अपनी कुन्नियत अबू सुफियान से ज़्यादा मशहूर थे। आपकी वालिदा का नाम सफ़िय्या बिन्ते अबुल आस है। यह अमीरूल मोमिनीन हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु तआला अन्हु की फूफी हैं। हज़रत उम्मे हबीबा रदियल्लाहु तआला अन्हा की कुन्नियत उम्मे हबीबा है नाम के बजाए कुन्नियत से ही आप ज़्यादा मशहूर हैं। आप मशहूर सहाबी कातिबे वही (रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम पर नाजिल होने वाले अल्लाह पाक के पैगाम को लिखने वाले) हज़रत अमीर मुआविया रदियल्लाहु तआला अन्हु की बहन हैं। 

आप बड़े बाप की बड़ी बेटी थीं। ज़ाहिर है आपकी परवरिश अच्छे और खुशगवार माहौल में हुई होगी।

आपका पहला निकाह उबैदुल्लाह बिन जहश से हुआ था।

हज़रते उम्मे हबीबा के शौहर उबैदुल्लाह कुल तीन भाई थे और उनकी तीन बहनें थीं। इस्लाम का पैगाम जब फारान की चोटियों से ज़ाहिर हुआ और अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम ने तमाम लोगों को एक खुदा की बंदगी इख्तियार कर लेने की दावत दी तो तीनों भाई उसे कुबूल करते हुए इस्लाम के दामन से जुड़ गए। उन्हीं के साथ हज़रते उम्मे हबीबा भी इस्लाम की दौलत से मालामाल हो गईं।

मियां बीवी दोनों ने इस्लाम कुबूल करके हब्शा की तरफ हिजरत की। हज़रते उम्मे हबीबा का शौहर इंतकाल कर गया तो वह बेवा हो गईं। 

जब हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम को उनके हाल की ख़बर हुई तो आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिहि वसल्लम को इस बात का काफी दुख हुआ। ज़िलहिज्जा छह हिजरी को जब हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम ने बादशाहों को इस्लाम की दावत देने के लिए खत रवाना फरमाए तो हबशा के बादशाह नज्जाशी की तरफ हज़रत अम्र बिन उमय्या जमरी रदियल्लाहु तआला अन्हु को दो खत देकर रवाना किया। एक में उसे इस्लाम की दावत दी व कुरआने करीम की कुछ आयतें भी लिखीं और दूसरे खत में हुक्म फरमाया कि वह आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम का हज़रते उम्मे हबीबा से निकाह कर दें। 

जब नज्जाशी के पास हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम का मुबारक खत पहुंचा तो उन्होंने निहायत अदब एहतराम के साथ लेकर उसे अपनी आंखों पर रख लिया। 

नज्जाशी बादशाह ने अपनी बांदी अबरहा के ज़रिए हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम का पैग़ाम हज़रते उम्मे हबीबा के पास भेजा। जब हज़रते उम्मे हबीबा ने ये खुशखबरी का पैग़ाम सुना तो खुश होकर आई हुई बांदी अबरहा को ईनाम के तौर पर अपना जेवर उतार कर दे दिया। 

फिर अपने मामूज़ाद भाई हज़रत खालिद बिन सईद रदियल्लाहु तआला अन्हु को अपने निकाह का वकील बनाकर नज्जाशी बादशाह के पास भेज दिया और उन्होंने बहुत से मुहाजिरीन को जमा करके हज़रत उम्मे हबीबा का निकाह हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम के साथ कर दिया और अपने पास से महर भी अदा कर दिया। 

हज़रत उम्मे हबीबा रदियल्लाहु तआला अन्हा हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम की मुक़द्दस बीवी और तमाम मुसलमानों की मां बनकर हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम के बरकत वाले घर में रहने लगीं। 

आप रदियल्लाहु तआला अन्हा सखावत, शुजाअ़त, दीनदारी और अमानत व दयानत के साथ बहुत ही मज़बूत ईमान वाली थीं। बहुत ही दीनदार और पाकीजा औरत थीं। आप इंतेहाई इबादत गुज़ार और हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम की बेइंतहा खिदमत करने वाली और वफादार बीवी थीं। 

आप रदियल्लाहु तआला अन्हा को बहुत सी हदीसें याद थीं। अल्लाह तआला ने हज़रते उम्मे हबीबा को बेहतरीन सीरत के साथ साथ सूरत के हुस्न से भी नवाज़ा था। आपको दीने इस्लाम और अल्लाह पाक के आखरी नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि व आलिही वसल्लम से बहुत मुहब्बत थी। 


हदीस की मशहूर किताबों में हज़रते उम्मे हबीबा रदियल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत की गई हदीसों की तादाद 65 है। जिनमें से दो मुत्तफक़ अलैह यानी हदीस की मशहूर किताब बुखारी व मुस्लिम दोनों में है। इसके अलावा एक सिर्फ मुस्लिम शरीफ़ में और बकिया दूसरी किताबों में है। 

उम्मुल मोमिनीन हज़रते उम्मे हबीबा रदियल्लाहु तआला अन्हा ने तकरीबन चार साल तक हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के साथ रहने की सआदत हासिल की। आपका इंतकाल 44 हिजरी में हुआ और जन्नतुल बक़ीअ़ मदीना मुनव्वरा में दफन हुईं। इंतकाल के वक्त आपकी मुबारक उम्र 73 या 74 साल थी।

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हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के एलाने नबुव्वत से 17 साल पहले मक्का शरीफ़ की मुबारक ज़मीन पर हज़रते सैयदा उम्मे हबीबा रदियल्लाहु तआला अन्हु की विलादत हुई। आपका ताल्लुक अरब के सबसे मुअज्जज कबीले कुरैश की एक जैली शाख़ बनू उमय्या से था। आपके वालिद जमाना ए जाहिलियत में कुरैश के सरदारों में से थे इस लिहाज से आपके घराने का शुमार निहायत इज्जतदार घरानों में होता था। मशहूर रिवायत के मुताबिक आपका नाम रम्ला है, वालिद का नाम सख्र है यह अपनी कुन्नियत अबू सुफियान से ज्यादा मशहूर थे। वालिदा का नाम सफ़िय्या बिन्ते अबुल आस है। यह अमीरूल मोमिनीन हज़रत उस्माने गनी रदियल्लाहु तआला अन्हु की फूफी हैं। हज़रत उम्मे हबीबा रदियल्लाहु तआला अन्हा की कुन्नियत उम्मे हबीबा है नाम के बजाए कुन्निय से ही ज्यादा मारूफ थीं। आप हज़रत अमीर मुआविया रदियल्लाहु तआला अन्हु की बहन हैं। 


बचपन से लेकर इब्तेदाए जवानी तक के हालात परदह-ए-खफा में है। वह बड़े बाप की बड़ी बेटी थीं, जाहिर है इनकी परवरिश परदादार अच्छे और खुशगवार माहौल में हुई होगी। आपका पहला निकाह उबैदुल्लाह बिन जहश से हुआ था।


इस्लाम : हज़रते उम्मे हबीबा के शौहर उबैदुल्लाह कुल तीन भाई थे और उनकी तीन बहनें थीं। एलाने इस्लाम जब फारान की चोटियों से जाहिर हुआ और हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने तमाम लोगों को खुदा-ए-वाहिद की बंदगी इख्तियार कर लेने की दावत दी तो मजकूर तीनों भाईयों और बहनों ने उस पर लब्बैक कहा। उन्हीं के साथ हज़रते उम्मे हबीबा भी इस्लाम की दौलत से मुशर्रफ हो गईं और मियां बीवी दोनों ने इस्लाम कबूल करके हबशा की तरफ हिजरत करके चले गए थे और हज़रते उम्मे हबीबा के शौहर उबैदुल्लाह ने हबशा जाकर नसरानियत इख्तियार कर ली थी और की वहीं ईसाईयों की सोहबत में शराब पीते-पीते मर गया। लेकिन हज़रते उम्मे हबीबा रदियल्लाहु तआला अन्हा अपने ईमान पर कायम रहीं और बड़ी बहादुरी के साथ मुश्किलों का सामना करती रहीं।


हरम नबवी में : जब हज़रते उम्मे हबीबा का शौहर इंतकाल कर गया तो वह बेवा हो गईं। खुद उन्हीं का बयान है कि मैंने उसी ज़माने में मुबारक ख़्वाब देखा कि कोई या उम्मुल मोमिनीन के लकब से उन्हें पुकार रहा है। जब हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को उनके हाल की ख़बर हुई तो कल्बे नाज़ुक पर बेहद सदमा गुजर। जिलज्जिा छह हिजरी को जब हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने बादशाहों को दावते इस्लाम देने के लिए खत रवाना फरमाए तो शाहे हबशा अस्हमा नज्जाशी की तरफ हज़रत अम्र बिन उमय्या जमरी रदियल्लाहु तआला अन्हु को दो खत देकर रवाना किया, एक में उसे इस्लाम की दावत दी और कुरआने करीम की कुछ आयतें भी लिखीं और दूसरे खत में हुक्म फरमाया कि वह आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का हज़रते उम्मे हबीबा का निकाह कर दें। जब नज्जाशी के पास हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का खत मुबारक पहुंचा तो उन्होंने निहायत अदब एहतराम के साथ लेकर अपनी आंख पर रख लिया। नज्जाशी बादशाह ने अपनी बांदी अबरहा के जरिए हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का पैग़ाम हज़रते उम्मे हबीबा के पास भेजा। जब हज़रते उम्मे हबीबा ने ये खुशख़बरी का पैग़ाम सुना तो खुश होकर अबरहा को ईनाम के तौर पर अपना जेवर उतार कर दे दिया। फिर अपने मामूजाद भाई हज़रत खालिद बिन सईद रदियल्लाहु तआला अन्हु को अपने निकाह का वकील बनाकर नज्जाशी बादशाह के पास भेज दिया और उन्होंने बहुत से मुहाजिरीन को जमा करके हज़रत उम्मे हबीबा का निकाह हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के साथ कर दिया और अपने पास से महर भी अदा कर दिया। और यह हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की मुकद्दस बीवी और तमाम मुसलमान की मां बनकर हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की खान-ए-नबुव्वत में रहने लगीं। यह सखावत, शुजाअत, दीनदारी और अमान व दयानत के साथ बहुत ही कवी ईमान वाली थीं। बहुत ही दीनदार और पाकीजा औरत थीं। आप इंतेहाई इबादत गुजार और हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की बेइंतहा खिदमत गुजार और वफादार बीवी थीं। उन्हें बहुत सी हदीसें याद थीं। अल्लाह तआला ने हज़रते उम्मे हबीबा को सीरत के साथ हुस्ने सूरत से भी नवाज़ा था। आपको इस्लाम और आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से बहुत मुहब्बत थी। 


रिवायते हदीस : अहादीस की राइज कुतुब में हज़रते उम्मे हबीबा से मरवी अहादीस की तादाद 65 है, जिनमें से दो मुत्तफिकुन अलैह यानी बुखार व मुस्लिम दोनों में, एक सिर्फ मुस्लिम शरीफ़ में और बकिया दीगर किताबों में है। आपसे अहादीस रिवायत करने वालों में से आपकी साहिबजादी हज़रते हबीबा, भाई हज़रत मुआविया, हज़रत उत्बा, भांजे हज़रत अबू सुफियान बिन सईद सकफी, हज़रते सफिय्य बिन्ते शैबा और हज़रते ज़ैनब बिन्ते उम्मे सलमा जैसी अज़ीम शख़्सियत शामिल हैं।


विसाल : उम्मुल मोमिनीन हज़रते उम्मे हबीबा तकरीबन चार साल तक हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की रफाकत व हमराही में रहने की सआदत हासिल की। आपका 44 हिजरी में इंतकाल हुआ और जन्नतुल बकीअ मदीना मुनव्वरा के कब्रिस्तान में मदफून हुईं। इंतकाल के वक्त उम्र मुबारक 73 या 74 बरस थी। 


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