उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा सौदा बिन्ते ज़मअ़ा रदियल्लाहुत तआला अन्हा :ईमान वालों की अज़ीम माएं : "फ़ैज़ाने उम्महातुल मोमिनीन" "MOTHERS of the BELIEVERS" Seerat-e-Hazrat Sawdah bint Zam'ah Radi'Allahu Anha Part - 3 Exemplary Women (मिसाली ख़्वातीन) : सखावत, खिदमत व इबादत में ख़्वातीन की आइडियल हज़रते सौदह रदियल्लाहु अन्हा की पाक सीरत Part - 3
उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा सौदा बिन्ते ज़मअ़ह रदियल्लाहु तआला अन्हा
----------------
आपका नाम सौदा था। आप क़बीला आमिर बिन लुअय्य से थीं। यह कुरैश का एक मशहूर क़बीला था। वालिद का नाम ज़मअ़ा बिन क़ैस था। वालिदा का नाम शमूस बिन्ते क़ैस था।
हज़रते सौदा रदियल्लाहु तआला अन्हा ने मुल्क हबशा और मदीना की जानिब हिजरत फरमा कर दो हिजरतों का शर्फ हासिल किया। आपको पांच हदीस शरीफ़ रिवायत करने की सआदत हासिल की।
आपका पहला निकाह हज़रत सकरान बिन अम्र से हुआ। एलाने नबुव्वत के आप अपने शौहर के साथ मुशर्रफ बा इस्लाम हुईं। जब मक्का वालों के जुल्मों सितम से परेशान हो गए तो हुक्म हुआ कि आप हबशा की तरफ हिजरत कर जाएं और आपके शौहर और आप हबशा हिजरत कर गए। चंद साल बाद मक्का वापसी हुई। आपके शौहर ने कुछ साल बाद वफात पाई।
हज़रते सौदा हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के निकाह में : हज़रते ख़दीजतुल कुबरा के विसाल के बाद हज़रते सौदा को हरम नबुव्वत में दाखिल होने का शर्फ हासिल हुआ। हज़रते ख़दीजा का विसाल हुआ तो हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को ग़मख्वार रफीका-ए-हयात की जुदाई का बहुत सदमा हुआ और आप रंज व खातीर में रहने लगे। हज़रते ख़ौला बिन्ते हकीम ने यह कैफियत देखी तो अर्ज किया आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम को एक मौनूस रफीका की जरूरत है आप हज़रत सौदा से निकाह फरमा लें। हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने उनका मशवरा कबूल फरमाया और हज़रते ख़ौला ने हज़रते सौदा के वालिद से बात की तो उनके वालिदने कहा कि सौदा से भी दरयाफ्त कर लूं। एलाने नबुव्वत के दसवें साल शव्वालुल मुकर्रम के महीने में हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने आपसे से निकाह फरमाया। हज़रते सौदा की रजामंदी से यह निकाह हुआ। ज़मआ ने निकाह पढ़ाया। चार सौ दिरहम महर करार पाया। आप जानती थीं कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने सहारा देने के लिए मुझसे निकाह किया है। निकाह के वक्त आपकी उम्र 50 साल थी और हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की उम्र भी 50 साल थी। आप हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की और साहबजादियों की बहुत खिदमत करती रहती थीं। निकाह से लेकर हिजरत के बाद तक आप हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की एक ही बीवी थीं। आप बहुत सखी थीं और हमेशा खैरात करती रहती थीं। आपके पास जो माल बतौरे हदिया आता वो आप गरीब और हाजतमंदों में तक्सीम कर देती थीं। आप बुलंद अख़लाक थीं। इताअत व फरमाबरदारी उनमें कूट-कूट कर भरी थी। आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने अपनी अज़वाल मुताहरात को वसीयत फरमाई थी कि मेरे बाद घर में बैठना, सैयदा सौदा रदियल्लाहु तआला अन्हा ने इस फरमान पर इस क़दर सख़्ती से अमल किया कि फिर कभी हज के लिए भी नहीं गईं। फरमाया करती थी कि मैं हज व उमरा दोनों कर चुकी है, अब रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के हुक्म के मुताबिक घर में बैठूंगी। हज़रते आयशा रदियल्लाहु तआला अन्हा के बाद आप बाकी अज़वाज से ज्यादा सखी थीं। माल व दौलत से बिल्कुल मुहब्बत नहीं थी। जो आता अल्लाह के रास्ते में खर्च कर देती थीं। आप बहुत ज्यादा इबादतगुजार थीं। अहादीस की किताबों में आपसे चंद हदीस रिवायत की गई है।
हज़रते सौदा रदियल्लाहु तआला अन्हु के दो खुशनुमा ख्वाब : हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रदियल्लाहु तआला अन्हु का बयान है कि हज़रते सौदा ने एक ख्वाब देखा कि हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पैदल चलते हुए उनकी तरफ तशरीफ़ लाए और उनकी गर्दन पर अपना मुकद्दस पांव रख दिया। जब हज़रते सौदा ने इस ख्वाब को अपने शौहर से बयान किया तो उन्होंने कहा कि अगर तेरा ख्वाब सच्चा है तो यकीनन अनकरीब ही मैं मर जाऊंगा और हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम तुझसे निकाह फरमायेंगे। इसके बाद दूसरे दिन फिर एक ख्वाब देखा कि वह तकिया के सहारे लेटी हैं और आसमान से चांद टूट कर उनके ऊपर गिरा। इस ख्वाब का भी अपने शौहर से बताया तो फिर उन्होंने यही बयान फरमाया कि अनकरीब मैं तुम से जुदा होने वाला हूं और तुम मेरे बाद हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से निकाह करोगी। चुनांचे ऐसा ही हुआ कि हज़रत सकरान बीमार हुए और चंद दिनों बाद वफात पा गए।
औलाद : हज़रते सौदा रदियल्लाहु तआला अन्हा के पहले शौहर हज़रत सकरान से एक बेटा था। जिनका नाम हज़रत अब्दुर्रहमान था और वह एक जंग में शहीद हो गए थे। अलबत्ता हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से हज़रते सौदा रदियल्लाहु तआला अन्हा को कोई औलाद नहीं हुई।
विसाल : हज़रत सौदा रदियल्लाहु तआला अन्हु के वफात के बारे मुअर्रिखीन के दरम्यिान काफी इख्तिलाफ पाया जाता है सही और रायज बात यही बयान की जाती है कि माहे शव्वाल 55 हिजरी में हज़रते सौदा की वफात हुई। यह जमानए सल्तनते हज़रते मुआविया रदियल्लाहु तआला अन्हु का था। आपका मजार जन्नतुल बकीअ, मदीना मुनव्वरा में है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें